जयसिंहपुर: पहली बार कांग्रेस जीती, दूसरी बार भाजपा, तीसरे चुनाव में तीसरी पार्टी का फेर
कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के तहत कांगड़ा जिला के अंतर्गत आता जयसिंहपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। यह विधानसभा क्षेत्र साल 2008 में हुए विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के चलते अस्तित्व में आया, जिसमें राजगीर विधानसभा क्षेत्र और थुरल विधानसभा क्षेत्र का समायोजन किया गया। जब यह थुरल विधानसभा थी तो इस पर राजपूत मतदाताओं की बहुलता थी, लेकिन अब दलित मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। जयसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र उन 16 विधानसभा क्षेत्रों में शामिल है, जहां पुरुषों के मुकाबले महिला वोटर ज्यादा हैं और जीत- हार की चाबी महिलाओं के हाथ है। इस सीट पर पहला विधानसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस के नाम दर्ज है तो दूसरे चुनाव में भाजपा जीत दर्ज करने में सफल हुई है, लेकिन इस बार तीसरी पार्टी के रूप में आम आदमी पार्टी की एंट्री से इस विधानसभा के चुनाव के रोचक होने की सम्भावना है। देखना यह भी दिलचस्प होगा कि कांग्रेस और भाजपा यहाँ पुराने मोहरों पर ही दांव खेलती हैं, अथवा नए चेहरे आजमाती है।
कांग्रेस के खाते में पहली जीत
2012 के विधानसभा चुनाव में जयसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए पहली बार चुनाव हुआ। भाजपा ने राजगीर के पूर्व विधायक रहे आत्मा राम पर दांव खेला तो कांग्रेस ने राजगीर के ही पूर्व विधायक मिलखी राम गोमा के बेटे यादविंदर गोमा को चुनावी समर में उतार दिया। जयसिंहपुर विधानसभा सीट के लिए हो रहे पहले ही चुनाव में भाजपा विचारधारा से सम्बन्ध रखने वाले रविन्द्र धीमान ने निर्दलीय मैदान में उतर कर मुकाबले को तिकोना बना डाला। आजाद उम्मीदवार के तौर पर आठ हजार से ज्यादा वोट लेकर रविन्द्र धीमान ने भाजपा के चुनावी समीकरणों को बुरी तरह से बिगाड़ दिया, नतीजतन कांग्रेस के यादविंद्र गोमा बम्पर जीत के साथ चुनाव जीते थे।
पहले चुनाव निर्दलीय लड़े, दूसरे चुनाव में बने भाजपा विधायक
पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतर कर भाजपा के समीकरणों को बिगाड़ने वाले रविन्द्र धीमान को भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पार्टी टिकट थमाया तो संगठन के भीतर उनका जबरदस्त विरोध हुआ। बावजूद इसके रविन्द्र धीमान ने दस हजार से ज्यादा वोटों से कांग्रेस विधायक यादविंदर गोमा को हराकर इस सीट पर जीत दर्ज कर पार्टी में अपने विरोधियों के मुंह पर करारा तमाचा रसीद किया और चुनाव विश्लेषकों के मुंह पर भी ताला जड़ दिया।
आप की एंट्री से बिगड़ेंगे कांग्रेस- भाजपा के समीकरण
पूर्व विधायक मिलखी राम गोमा के बेटे यादवेन्द्र गोमा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत युवा कांग्रेस से की। उनको राजनीति विरासत में मिली है। 2012 में पहला चुनाव लड़ा और पहली ही बार वह विधायक चुने गए। यादवेन्द्र गोमा ने पहला चुनाव जिस बड़े अंतर से जीता था, अगले ही चुनाव में भाजपा से उतनी ही बड़ी हार का मुंह देखना पडा। इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों एक- एक बार बम्पर जीत दर्ज कर चुके हैं, लेकिन इस बार देखना आम आदमी पार्टी के मैदान में होने से देखना रोचक होगा कि किसका पलड़ा भारी पड़ता है?
जयसिंहपुर के हिस्से में आया विकास
इस सरकार में जयसिंहपुर के लिए एचआरटीसी डिपो और जल शक्ति विभाग के डिवीजन के साथ बीएमओ आफिस खोलने की घोषणा हुई है। अंद्रेटा स्कूल में कॉमर्स कक्षाएं व टटेहल स्कूल में साइंस कक्षाएं चलाने की सौगात मिली है। पॉलिटेक्निक कॉलेज तलवाड़ में इलेक्ट्रिकल व कंप्यूटर ट्रेड चलाने और लोक निर्माण विश्राम गृह जयसिंहपुर में अतिरिक्त चार कमरों की स्वीकृति दी गई है। लाहडू में वेटरनरी कॉलेज, गंदड़ में पीएचसी व पंचरुखी में सीएचसी खोलने की घोषणा हुई है। विकास के ये काम भाजपा के कितने काम आते हैं, आने वाला वक्त ही तय करेगा।
भाजपा – कांग्रेस की मजबूरियां
जयसिंहपुर भाजपा संगठन में पिछले विधानसभा चुनाव में जो विरोध मुखर हुआ था, अंदरखाते वह तेज़ हुआ है। पिछली बार की तरह इस बार भी रविन्द्र धीमान को अपने घर में विरोध का सामना करना पड़ सकता है। दूसरी और कांग्रेस के उम्मीदवार रहे यादविंदर गोमा के लिए इसलिए चुनावी चुनौती है कि कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने को लेकर उनका नाम उछलता रहा है। विपक्ष में रहते हुए गोमा यहां के स्थानीय मुद्दों को लेकर ज्यादातर समय गौण ही रहे हैं, जबकि यहां की खड्डों में अवैध खनन की ख़बरें सुर्खियाँ बटोरती आई हैं।