लगातार 11वीं बार मैदान में है सीएम पद के ये दावेदार
** द्रंग में ठाकुर कौल सिंह की निगाह नौवीं जीत पर
प्रदेश में अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? इसका जवाब तो वक्त ही देगा लेकिन फिलवक्त कई ऐसे नाम है जिनको लेकर कयासबाजी जारी है।
मुख्यमंत्री पद के इन्हीं दावेदारों में शामिल है कौल सिंह ठाकुर जो लगातार अपनी वरिष्ठता और अनुभव को लेकर सीएम पद के लिए दावा ठोक रहे है। करीब 50 साल लम्बे राजनीतिक सफर में कौल सिंह ठाकुर ने पंचायत समिति से लेकर कैबिनेट मंत्री तक का फासला तय किया है। वे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे है और कांग्रेस के निष्ठावान सिपाही भी है। ऐसे में जाहिर है उनका दाव कमजोर नहीं माना जा सकता। पर मुख्यमंत्री बनने से पहले कौल सिंह ठाकुर को विधायक बनना होगा। इस बार फिर कौल सिंह
द्रंग विधानसभा सीट से मैदान में है और उनकी सीट पर सबकी निगाहें टिकी है।
यूँ तो द्रंग विधानसभा सीट कौल सिंह ठाकुर का गढ़ मानी जाती है। कौल सिंह ठाकुर द्रंग से कुल आठ बार चुनाव जीते है और ये ही वजह है कि ये सीट कांग्रेस का अभेद दुर्ग बनी रही। कौल सिंह ठाकुर पहली बार 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे। इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। 1990 और 2017 के अलावा यहाँ हर बार कौल सिंह ठाकुर को ही जीत हासिल हुई है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कौल सिंह भाजपा प्रत्याशी जवाहर ठाकुर से चुनाव हार गए थे। दरअसल तब ठाकुर कौल सिंह के खिलाफ उनके ही करीबी रहे पूर्ण चंद ठाकुर ने कांग्रेस से बगावत करके चुनाव लड़ा था, जिसका फायदा यहाँ भाजपा को मिला।
अब द्रंग सीट से कौल सिंह ठाकुर एक बार फिर मैदान में है। उनके खिलाफ भाजपा ने यहां अपने सिटींग विधायक का टिकट काट कर पूर्ण चंद ठाकुर को मैदान में उतारा है। अब भाजपा का ये फैसला कितना सही साबित होगा ये तो वक्त ही बताएगा। बहरहाल, कौल सिंह ठाकुर का क्षेत्र में अपना जनाधार है और एक किस्म से वे सीएम पद पर दावे के साथ चुनाव लड़े है। इस बार वे जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहे है। अब यदि समीकरण पक्ष में रहे और कौल सिंह ठाकुर चुनाव जीत गए तो उनकी निगाह निश्चित तौर पर 2012 का अपना अधूरा सपना पूरा करने पर होगी।