मंडी उपचुनाव : 17 विधानसभा क्षेत्र के नेताओं की है अग्निपरीक्षा
भाजपा के लिए मंडी संसदीय क्षेत्र का उपचुनाव न सिर्फ प्रदेश बल्कि केंद्र की सियासत के लिहाज से भी विशेष महत्व रखता है। प्रदेश के लिहाज से बात करें तो इस संसदीय क्षेत्र के तहत 17 विधानसभा हलके आते है, जिसमें से 9 स्वयं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी के है। जाहिर है ऐसे में इस चुनाव को उनकी परफॉरमेंस से जोड़कर देखा जायेगा। वहीँ राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के उपरांत हिमाचल प्रदेश में ये जगत प्रकाश नड्डा का भी पहला बड़ा इम्तिहान है। सो उनके लिए भी ये चुनाव प्रतिष्ठता का प्रश्न है। ऐसे में भाजपा यहां कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी में जनसम्पर्क अभियान शुरू कर चुके है। मुख्यमंत्री ये एलान कर चुके है कि मंडी उनकी थी, उनकी है और उनकी ही रहेगी। किसी भी सूरत में मंडी उपचुनाव हारना भाजपा के लिए ऑप्शन नहीं है। येन- केन-प्रकारेण, मंडी में जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी को जो भी करना पड़े पार्टी वो करने से पीछे नहीं हटेगी। शायद इसीलिए मंडी में स्वयं टिकट मांगने वाले प्रत्याशियों को अनदेखा कर पार्टी मंत्रियों को चुनाव लड़ने के लिए मनाने में लगी है। माना जा रहा है कि ज़रूरत पड़ी तो पार्टी कोई नया चेहरा सामने लाकर सभी को चौंका भी सकती है। मंडी संसदीय क्षेत्र की 17 सीटों में से 13 में भाजपा के विधायक है। ऐसे में सिर्फ मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर ही नहीं, मंडी उपचुनाव में बेहतर करने का प्रेशर भाजपा के सभी 13 विधायकों पर है। विधायकों को अपने -अपने क्षेत्रों से लीड सुनिश्चित करनी होगी। इसी तरह अन्य चार विधानसभा क्षेत्रों में भी पार्टी के मुख्य चेहरों पर लीड दिलवाने का दबाव रहेगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में इन सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को शानदार लीड मिली थी, अब इसे बरकरार रखना बड़ी चुनौती है। ये तय है कि नतीजे के लिहाज से हर क्षेत्र का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाएगा। नतीजे के बाद विधानसभा क्षेत्रवार नफे -नुक्सान का आंकलन होगा। ऐसे में ये प्रदर्शन 2022 में टिकट की दावेदारी पर भी असर डालेगा।