मौका आने पर कई और नंदलाल बुलंद कर सकते है आवाज
कहते है ना, मन के लड्डू छोटे क्यों, छोटे हैं तो फीके क्यों ... स्व वीरभद्र सिंह के बाद होलीलोज समर्थक और निष्ठावान इसी प्रयास में है कि कांग्रेस सरकार में आएं और प्रतिभा सिंह मुख्यमंत्री हो। समर्थक प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर उनके नाम को हवा देने में लगे है। बीते दिनों कुछ ऐसे ही अरमान रामपुर विधायक नंदलाल ने भरे मंच जाहिर किये। नंदलाल के अलावा और भी छोटे बड़े कई नेता है जो प्रतिभा सिंह के नाम को चर्चा में बनाये हुए है। यानी अगर कांग्रेस सत्ता में आई, तो कई और नंदलाल अपने अरमान बुलंद आवाज में जाहिर कर सकते है। बहरहाल, ये दूसरा सवाल है कि क्या प्रतिभा सिंह के रुप में प्रदेश को पहली महिला मुख्यमंत्री मिलेगी या नहीं। दरअसल, पहला सवाल ये है कि क्या कांग्रेस सत्ता में वापस आ पायेगी ? कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी को सत्ता में लाने के लिए तीन लोगों को अहम दायित्व दिए है, प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री। पार्टी सत्ता में आई तो जीत का सेहरा इन्ही के सर बंधेगा और न आ पाई तो हार का ठीकरा भी इन्ही के सर फूटेगा।
प्रतिभा सिंह प्रदेश अध्यक्ष है तो जाहिर है प्राथमिक जिम्मेदारी उन्हीं की होगी, चाहे अच्छा हो या बुरा। पर पिछले कुछ वक्त में जिस तरह से एक के बाद एक दिग्गज नेता कोंग्रस छोड़कर गए है, वो पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है। चार में से दो कार्यकारी अध्यक्ष पार्टी छोड़कर जा चुके है और बाकी दो के नाम चर्चा में रहे है। हालांकि दोनों ने इसका खंडन किया है। अब तक भाजपा के इस दांव के जवाब में कांग्रेस कोई दमदार पलटवार नहीं कर पाई है। वहीं होलिलॉज के हनुमान कहे जाने वाले हर्ष महाजन के जाने से सीधे प्रतिभा सिंह की प्रबंधन क्षमता पर सवाल उठे है। इसके अलावा पार्टी के पास न भाजपा जैसा मजबूत संगठन दिखता है और न साधन-संसाधन। हाँ, प्रदेश में ओपीएस सहित कुछ ऐसे मुद्दे जरूर है जो कांग्रेस के लिए मददगार हो सकते है। पर इसके लिए भी पार्टी को दमदार और आक्रामक शैली में जनता के बीच जाने की जरुरत दिखती है। यहाँ ये भी जहन में रखना होगा कि अगर आम आदमी पार्टी सत्ता विरोधी वोट बांटती है, तो सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा। इस सबके बावजूद अगर कांग्रेस 35 का जादुई आंकड़ा छू पाई तो ही दूसरा सवाल आएगा, कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा ?
प्रतिभा सिंह की बतौर प्रदेश अध्यक्ष ताजपोशी के बाद अन्य नेताओं ने ये स्पष्ट किया था कि जो भी प्रदेश अध्यक्ष बनेगा वो चुनाव नहीं लड़ेगा। पर चुनाव तो मुख्यमंत्री बनने के बाद भी लड़ा जा सकता है। ऐसे में जानकार इस तथाकथित संधी के बावजूद प्रतिभा सिंह का दावा खारिज नहीं कर रहे। ऐसा इसलिए क्यूंकि अगर विधानसभा में होलीलॉज समर्थक विधायक ज्यादा संख्या में चुनकर पहुंचे तो सम्भवतः आलाकमान के लिए भी उनकी दावेदारी नकारना आसान नहीं होगा। इस पर महिला होने का लाभ भी उन्हें मिल सकता है। हालांकि क्या अब भी होलीलॉज स्व वीरभद्र सिंह की तरह विधायकों की परेड करवाने का दमखम रखता है, इसे लेकर कुछ संशय जरूर है। दरअसल 'रानी' ने अब तक तेवर के वैसे 'जेवर' नहीं पहने है जो वीरभद्र सिंह की पहचान हुआ करते थे, लेकिन अभी भी किसी निष्कर्ष पर निकलना जल्दबजी होगा। कहते है न, 'तेल देख, तेल की धार देख'। अलबत्ता उनकी जमीनी पकड़ वीरभद्र सिंह के मुकाबले नहीं है पर कांग्रेस की सियासत का केंद्र अब भी होलीलॉज ही बना हुआ है।