नगरोटा बगवां : क्या कुक्का को पटखनी दे पाएंगे आरएस बाली ?
'गुरु गुड़ रहे चेला हो गए शक्कर', 2017 के विधानसभा चुनाव में नगरोटा बगवां निर्वाचन क्षेत्र में हाल ऐसा ही था। तब स्व. जीएस बाली के कभी समर्थक रहे अरुण कुमार 'कुक्का' ने चुनावी मैदान में बाली को पटकनी देकर अपना लोहा मनवाया था। दबंग नेता और वीरभद्र कैबिनेट में दमदार मंत्री रहे जीएस बाली इस तरह चुनाव हारेंगे, ये किसी ने नहीं सोचा था। पर तब चुनाव नजदीक आते -आते सियासी समीकरण कुछ ऐसे बदले कि बड़ा उलटफेर हो गया। कुक्का एक हजार वोट से जीते थे। इससे पहले वे 2012 में भी बाली के विरुद्ध चुनाव लड़े थे और तब वे करीब 2800 वोट से हारे थे। ये आंकड़ा बताता है कि नगरोटा बगवां की सियासी बैटल फील्ड में कुक्का को कमजोर योद्धा आंकना बड़ी भूल हो सकती है।
अब आते है मौजूदा चुनाव पर। दिग्गज नेता जीएस बाली का पिछले वर्ष निधन हो गया था और उनके बाद उनकी सियासी विरासत को आगे बढ़ा रहे है उनके पुत्र आरएस बाली।
वे पहले से ही सियासत में सक्रिय है और अब जीएस बाली के निधन के बाद उन्हीं को सीट से मैदान में उतरा गया है। आरएस बाली का मुकाबला उन्हीं अरुण कुमार कुक्का से है जिन्होंने पिछले चुनाव में उनके पिता को हराया था। क्षेत्र में उनको लेकर कुछ सहानुभूति भी दिखी है और स्व. जीएस बाली द्वारा करवाए गए विकास कार्यों का हिसाब किताब भी आरएस बाली को बखूबी याद है। ऐसे में वे दमदार तरीके से चुनाव लड़े है और जीत को लेकर आश्वस्त है।
अब जनता ने इस बार आरएस बाली पर भरोसा जताया है या फिर भाजपा के अरुण कुमार 'कुक्का' पर भरोसा बरकरार रखा है, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। बहरहाल नतीजा आठ दिसंबर को आना है,लेकिन इतना तय है कि ये मुकाबले कांटे का है। यहाँ जीत -हार का अंतर एक बार फिर बेहद कम हो सकता है।