अस्वीकार्य : सिर्फ कुंठित और विकृत मानसिकता का परिचायक है पत्र
हिमाचल की सियासत में अब एक नया पत्र बम चर्चा में है। कोरोना काल की गंभीरता के बीच भी कुछ लोग सस्ती सियासत करने से बाज नहीं आ रहे। एक गुमनाम पत्र में जयराम कैबिनेट के एक मंत्री का चरित्र हनन करने का प्रयास किया गया है। इस पत्र में स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल और एक महिला नेता को लेकर बेहद अमर्यादित और अस्वीकार्य बातें कही गई है। साथ ही भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए गए है। बिना किसी ठोस आधार के लिखे गए इस गुमनाम पत्र को लिखने वाला खुद को भाजपा का सच्चा सिपाही बता रहा है। चलिए बिना किसी सबूत के भ्रष्टाचार के आरोप लगा भी दिए, पर किसी के चरित्र पर कीचड़ उछालने का अधिकार भाजपा के इस तथाकथित सच्चे सिपाही को किसने दिया ? ये पत्र किसी की कुंठित और विकृत मानसिकता का परिचायक है, इससे अधिक कुछ नहीं। यदि ऐसा न होता तो पत्र लिखने वाला सामने आकर अपना पक्ष रखता, वो भी मर्यादित ढंग से। यदि इस पत्र को भेजने वाला भाजपा का सच्चा सिपाही है भी, तो निसंदेह ऐसी विकृत मानसिकता के लोग न भाजपा को चाहिए है और न ही किसी अन्य राजनीतिक दल को।
दिन -ब -दिन गिरती राजनीति के बीच हुए इस प्रकरण में सुखद पहलु ये है कि विपक्ष ने अपनी मर्यादा कायम रखी। बड़े नेताओं से तो ऐसा अपेक्षित था लेकिन डर था कि कहीं जाने -अनजाने आम कार्यकर्ता इस गंदगी में न पड़ जाए, पर ऐसा हुआ नहीं। इसके लिए कांग्रेस निसंदेह साधुवाद की पात्र है। वहीं भाजपा की बात करें तो जिला सोलन के कुछ भाजपाई जो डॉ राजीव सैजल के साथ परछाई बनकर घूमते है, वे चुप है। सोलन में डॉ राजेश कश्यप ने जब डॉ राजीव सैजल के समर्थन में पत्रकार वार्ता की तो देखादेखी कुछ और नेता-कार्यकर्ता सपोर्ट में उतरे। पर विशेषकर कसौली में डॉ सैजल के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने वाले कुछ भाजपाई अपने नेता के लिए सार्वजनिक तौर पर आगे नहीं आये। यही राजनीति है, शायद किसी के पतन में ही किसी को अपना उदय दिखता हो।
औछा राजनैतिक हथकंडा लगता है ये पत्र
इसमें कोई संशय नहीं है कि डॉ राजीव सैजल बेहद स्वच्छ छवि के नेता है। डॉ सैजल कसौली से तीसरी बार विधायक है और उनकी अब तक की पब्लिक लाइफ में कभी उन पर कोई आरोप नहीं लगा। बेशक बतौर मंत्री उनके कामकाज पर सवाल उठते रहे हो लेकिन उनके व्यक्तित्व को लेकर कभी प्रश्न नहीं उठा। दरअसल, सैजल का अच्छा आचरण और स्वच्छ छवि ही उनकी असल मजबूती है। ये पत्र एक तरीके से औछा राजनीतिक हथकंडा लगता है ताकि उनकी इसी मजबूती पर प्रहार किया जा सके। यदि ऐसा नहीं है तो पत्र लिखने वाला प्रमाणों के साथ सामने क्यों नहीं आया ?