डॉ सैजल सह प्रभारी, समर्थकों के मन में सवाल ,ऐसा क्यों ?
जयराम कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल फिलवक्त जिला सोलन से सबसे दमदार चेहरा है। सैजल उन नेताओं में से है जिनकी इमेज मिस्टर क्लीन की है, यही कारण है कि पिछले वर्ष हुए कैबिनेट विस्तार में सैजल का कद बढ़ाया गया था। तब सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय देख रहे सैजल को स्वास्थ्य महकमे का प्रभार दिया गया। वजह साफ़ थी, कोरोना काल में हुए स्वास्थय घोटाले के चलते जयराम सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। तब स्वास्थ्य मंत्रालय स्वयं मुख्यमंत्री देख रहे थे और सरकार की इमेज बचाये रखने के लिए नैतिकता के आधार पर पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद सरकार ने डॉ राजीव सैजल को स्वास्थ्य मंत्री बनाया। पर इतना महत्वपूर्ण महकमा देख रहे डॉ राजीव सैजल को चुनाव में बड़ी ज़िम्मेदारी देने से सरकार-संगठन बचते दिख रहे है। पहले सोलन नगर निगम चुनाव में उन्हें सह प्रभारी बनाया गया और अब अर्की में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में भी डॉ सैजल सह प्रभारी है।
सोलन नगर निगम चुनाव के वक्त भी सैजल समर्थकों में मायूसी थी और अब भी उनके समर्थकों में नाराज़गी दिख रही है। हालाँकि खुद डॉ राजीव सैजल हसंते हुए समर्थको को एक ही संदेश दे रहे है कि पार्टी में पद को नहीं बल्कि किये गए कार्य को तवज्जों दी जाती है। बहरहाल मंत्री कुछ भी कहे पर अर्की उपचुनाव में उन्हें सह प्रभारी बनाये जाने से उनके समर्थक निराश है, ये अलग बात है कि सैजल के चेहरे पर इस बार भी शिंकज नहीं दिखाई दे रही है। हमेशा की तरह मंत्री डॉ राजीव सैजल का यही कहना होता है कि पार्टी सर्वोपरि है, हम पार्टी से है पार्टी हमसे नहीं।
सोलन में नहीं चला जादू, अब अर्की की ज़िम्मेदारी
डॉ राजीव बिंदल की बात करें तो बेशक डॉ राजीव सैजल के मुकाबले उनका अनुभव भी अधिक है और संगठन में काम करने का तरीका भी, पर बिंदल सोलन नगर निगम चुनाव में खुद को साबित नहीं कर पाए थे। सोलन में बिंदल की अच्छी पकड़ मानी जाती है बावजूद इसके नगर निगम चुनाव में उनके अपनी कई करीबी हार गए थे। यूं तो खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी सोलन में वार्ड -वार्ड घूमे थे लेकिन हार का ठीकरा भी बिंदल के सिर फोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। ऐसे में अर्की का प्रभार फिर बिंदल को दिया गया है।
आखिर बिंदल पर ये मेहरबानी क्यों
कसौली निर्वाचन क्षेत्र लम्बे वक्त तक कांग्रेस का गढ़ रहा। 2007 में इस सीट को भाजपा की झोली में डालने वाले डॉ राजीव सैजल ही थे। जीत की हैट्रिक लगा चुके सैजल लगातार अपनी काबिलियत सिद्ध करते आ रहे है। बेशक डॉ राजीव बिंदल की जिला सोलन में अच्छी पकड़ रही है पर फिलवक्त सैजल ही पार्टी का प्राइम फेस है। ऐसे में बिंदल को प्रभारी और सैजल को सह प्रभारी बनाने की रणनीति समझ से परे है। ऐसा इसलिए भी है क्यों कि दोनों एक गुट से नहीं आते। जब जयराम राज में बिंदल पूरी तरह हाशिय पर है तो चुनाव में प्रभार की मेहरबानी क्यों ? अर्की में भाजपा अभी से अंतर्कलह से ग्रस्त है, तो क्या अर्की में बिंदल की तैनाती के मायने कुछ और है, ये यक्ष प्रश्न है !