प्रदेश अध्यक्ष के संसदीय क्षेत्र में भाजपा फिसड्डी
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और शिमला संसदीय क्षेत्र से सांसद सुरेश कश्यप के संसदीय क्षेत्र में भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। संसदीय क्षेत्र की 17 सीटों में से भाजपा को सिर्फ 3 पर जीत मिली। इन 17 में से 13 पर कांग्रेस को विजय मिली तो एक पर निर्दलीय को। प्रदेश के चारों संसदीय क्षेत्रों में से शिमला संसदीय क्षेत्र में पार्टी सबसे कमजोर रही। शिमला संसदीय क्षेत्र में जिला सोलन की पांच सीटें आती है और ये सभी पांच सीटें भाजपा हारी है। इनमें से कसौली और दून सीट पर 2017 में भाजपा जीती थी, लेकिन ये दो सीटें भी भाजपा हार गई। इनमें कसौली सीट से मंत्री राजीव सैजल को शिकस्त मिली है। वहीं सोलन सीट पर भाजपा लगातार तीसरी बार हारी है। अर्की और नालागढ़ में तो भाजपा तीसरे स्थान पर रही है। नालागढ़ में भाजपा के बागी केएल ठाकुर ने जीत दर्ज की है।
इस तरह संसदीय क्षेत्र के तहत जिला सिरमौर की सभी पांच सीटें आती है। यहाँ भी भाजपा को सिर्फ दो सीटें मिली है, जबकि तीन पर कांग्रेस का कब्ज़ा रहा। ये सुरेश कश्यप का गृह जिला है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नाहन, पच्छाद और पावंटा साहिब सीट जीती थी और कांग्रेस को शिलाई और रेणुकाजी में विजय मिली थी। इस बार भाजपा पच्छाद और पावंटा साहिब सीट पर कब्ज़ा रखने में तो कामयाब यही लेकिन नाहन सीट हार गई। नाहन से पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल को शिकस्त मिली है। वहीं रेणुकाजी और शिलाई सीट पर कांग्रेस का कब्ज़ा बरकरार रहा। संसदीय क्षेत्र शिमला के तहत जिला शिमला की सात सीटें आती है। जिला की रामपुर के अतिरिक्त सभी सीटें शिमला संसदीय क्षेत्र में ही आती है। इनमें से 6 पर कांग्रेस को जीत मिली है और सिर्फ एक सीट भाजपा के खाते में गई है। वहीं 2017 की बात करें तो भाजपा शिमला शहरी, जुब्बल कोटखाई और चौपाल में जीती थी, पर इस बार सिर्फ चौपाल सीट ही भाजपा के खाते में आई। वहीं शिमला ग्रामीण, कसुम्पटी, और रोहड़ू सीट पर कांग्रेस का कब्ज़ा बरकरार रहा। ठियोग सीट सीपीआईएम के कब्जे में थी, जिस पर इस बार कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर जीते है।
दो मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हारे
शिमला संसदीय क्षेत्र से जयराम कैबिनेट में तीन मंत्री थे, सुरेश भारद्वाज, डॉ राजीव सैजल और सुखराम चौधरी। इनमें से सिर्फ सुखराम चौधरी को ही जीत मिली है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल भी नाहन से चुनाव हार गए। वहीं हाटी फैक्टर का लाभ भी भाजपा को ज्यादा मिलता नहीं दिखा। हाटी बाहुल शिलाई और रेणुका जी सीट पर कांग्रेस को ही जीत मिली।
दो सीटों पर कांग्रेस की बगावत ने बचाया
अगर पच्छाद और चौपाल सीट पर कांग्रेस के बागी उम्मीदवार मैदान में नहीं होते तो इन दोनों सीटों पर भी भाजपा की जीत मुश्किल हो सकती थी। एक किस्म से कांग्रेस की बगावत भाजपा के लिए संजीवनी सिद्ध हुई। ये भी बता दें कि नालागढ़ में कांग्रेस के सीटिंग विधायक को पार्टी में लेकर चुनाव लड़वाने का फैसला भी पार्टी को उल्टा पड़ा है।