हाटी समुदाय को साधकर सिरमौर जीतने की कवायद में बीजेपी
हाटीयों की बरसों की मांग को भाजपा ने पूरा किया है। बीते दिनों केंद्रीय कैबिनेट ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए गिरिपार के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का ऐलान किया था। चुनाव से पहले लिए गए इस फैसले को भाजपा का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। इस निर्णय से सिरमौर जिले की करीब डेढ़ लाख से अधिक की आबादी लाभान्वित होगी और इसका पूरा लाभ लेने के लिए भाजपा हर संभव प्रयास कर रही है। इसी उदेश्य से भाजपा द्वारा सिरमौर में हाटी आभार रैली करवाई गई जिसमें खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शिरकत की। अमित शाह गिरिपार के हाटी समुदाय के बीच पहुंचे और चुनावी उद्घोष किया। शाह ने गिरिपार की जनता को भाजपा की उपलब्धियां भी गिनवाई और कांग्रेस की नाकामियां भी। इस रैली में शाह ये तक कह गए की कांग्रेस ने हाटी समुदाय के साथ 55 साल अन्याय किया है। उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा है। चुनाव से पहले इस उपलब्धि को खूब भुनाया जा रहा है और रैली में भी भाजपा के आभार के लिए भारी संख्या में हाटी वहां पहुंचे थे। अब ये भीड़ वोटों में तब्दील होती है या नहीं ये देखना रोचक होगा।
बता दें कि सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय के लोग बीते पांच दशक से एसटी का दर्जा मांग रहे थे। दरअसल गिरिपार क्षेत्र के लोगों जैसी संस्कृति, परंपराओं और परस्पर संबंधों वाले उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र के लोगों को 1967 में ही यह दर्जा दे दिया गया था, पर हिमाचल में ऐसा नहीं हुआ था। अब आखिरकार इन लोगों का दशकों का संघर्ष रंग लाया और उन्हें जनजातीय दर्जा मिलने जा रहा है। गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने का मसला सीधे 154 पंचायतों से जुड़ा है और इसके दायरे में चार विधानसभा क्षेत्र आते है। आगामी विधानसभा चुनाव में शिलाई और श्रीरेणुकाजी के अतिरिक्त पच्छाद व पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्रों में भी ये मुद्दा निर्णायक भूमिका निभा सकता है। अब तक कई सरकारें आई और गई, लेकिन हाटी समुदाय को कोई भी सरकार जनजातीय दर्जा नहीं दिला पाई। जाहिर है ऐसे में भाजपा इस निर्णय का लाभ उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली। वहीं अनुसूचित जाति (एससी) के लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा नहीं दिया जा रहा है। दरअसल इस वर्ग के लोग इसके पक्ष में नहीं थे। एसटी में हाटी समुदाय के अन्य सभी लोग शामिल होंगे। एसटी दर्जे से सिरमौर जिले की 154 पंचायतें और 389 गांव कवर होंगे। इससे 1,59,716 लोग लाभान्वित होंगे, जबकि जिले के एससी के 90,446 लोग एसटी के दायरे में नहीं आएंगे। ऐसा कर भाजपा ने एससी समुदाय के संभावित रोष को भी साधने का प्रयास किया है।
जौनसार बाबर को 1967 में मिला था दर्जा
इसे विडंबना ही कहेंगे कि दूरदराज क्षेत्र से होने के बावजूद भी गिरिपार के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के दर्जे के साथ आने वाली प्रतिष्ठित सरकारी परिलब्धियां नहीं मिल पाई थी। इस समुदाय के प्रतिनिधि कई वर्षों से अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत थे। मगर हुक्मरानों को हाटी समुदाय का मुद्दा सुलझाते इतना वक्त लग गया। गिरिपार का हाटी समुदाय उत्तराखंड के जौनसार बाबर क्षेत्र के जौनसारी समुदाय की तर्ज पर जनजातीय दर्जे की मांग कर रहा था। बता दें कि पूर्व में उत्तराखंड का जौनसार बाबर क्षेत्र सिरमौर रियासत का ही एक भाग था। जौनसार बाबर को 1967 में केंद्र सरकार ने जनजाति का दर्जा दिया था। जौनसार बाबर और सिरमौर के गिरिपार की लोक संस्कृति, लोक परंपरा, रहन-सहन एक समान है। इनके गांवों के नामों और भाषा में भी समानता है। बावजूद इसके जिला सिरमौर की 144 पंचायतों को ये दर्जा नहीं मिल पाया था।
अब तक लंबित क्यों था मामला
1978 में पहली बार गिरीपार क्षेत्र के लिए जनजातीय दर्जे की मांग हेतु राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को पत्र भेजा गया था । 1979 में जब पहली रिपोर्ट आई तो राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग जनजाति के लिए सिफारिश की गयी लेकिन उसके बाद भी मामला लंबित पड़ा रहा। इसके बाद विधानसभा में इसके तहत एक कमेटी गठित की गई जिसका नाम कन्हैया लाल कमेटी रखा गया। ट्राइबल कमीशन के सदस्य टीएस नेगी की कमेटी ने इलाके का दौरा किया और रिपोर्ट भी सौंपी। 1983 में केंद्रीय हाटी समिति बनाई गयी। वर्ष 2011 में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी। राज्य सरकार ने प्रदेश विश्वविद्यालय के जनजातीय शोध एवं अध्ययन संस्थान को यह जिम्मा सौंपा। वर्ष 2011 में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी। राज्य सरकार ने प्रदेश विश्वविद्यालय के जनजातीय शोध एवं अध्ययन संस्थान को यह जिम्मा सौंपा। वर्ष 2016 में इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी गई, जिसके बाद मामले की फाइल रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के पास लंबित थी। सितंबर 2018 में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्वयं हाटी मुद्दे को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह से चर्चा की। छह दिसंबर 2018 को तत्कालीन सांसद वीरेंद्र कश्यप के नेतृत्व में केंद्रीय हाटी समिति का एक प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री से मिला। आरजीआई को गृह मंत्री ने जल्द कार्यवाही के निर्देश दिए गए पर हुआ कुछ नहीं। अब भाजपा की डबल इंजन की सरकार में ये मांग पूरी हुई।
चार विधानसभा क्षेत्रों में सीधा असर
इस फैसले से पच्छाद की 33 पंचायतों और एक नगर पंचायत के 141 गांवों के कुल 27,261 लोगों को लाभ होगा। यहां एससी के 21,594 लोग एसटी में नहीं होंगे। रेणुका जी में 44 पंचायतों के 122 गांवों के 40,317 संबंधित लोगों को लाभ होगा। यहां एससी के 29,990 लोग बाहर होंगे। शिलाई विधानसभा क्षेत्र में 58 पंचायतों के 95 गांवों के 66,775 लोग इसमें शामिल होंगे। 30,450 एससी के लोग इससे बाहर रहेेंगे। शिलाई में 58 पंचायतों के 95 गांवों के 66,775 लोगों को यह लाभ मिलेगा। एससी के 30,450 लोग यहां एसटी में नहीं होंगे। पांवटा में 18 पंचायतों के 31 गांवों के 25,323 लोग शामिल होंगे। यहां एससी के 9,406 लोग एसटी के दायरे से बाहर रहेंगे।
विरोधियों के नारे को जयराम ने बनाया हथियार
'सिरमौर वालो, मामा ने अपना फर्ज पूरा कर दिया है। अब भांजों की बारी है।' सतौन, हाटी धन्यवाद रैली में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ये शब्द कहे। दरअसल, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के लिए संघर्ष कर रहे कर्मचारियों ने धरना दिया था। उस दौरान मामा संबोधन के साथ एक नारा भी दिया था। विपक्ष ने भी इसे सरकार के खिलाफ हथियार बनाया और अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसी नारे को सकारात्मक रूप से लेते हुए सिरमौर के लोगों को भांजा कहकर संबोधित किया है। मुख्यमंत्री के अनुसार हाटी आंदोलन के बाद से सिरमौर से उनका रिश्ता मामा भांजे का बन चूका है। रैली में जयराम ने ये भी कहा की यह रिश्ता सच में उनके लिए भावनात्मक है और हर स्तर पर वे हाटी समुदाय के अधिकार पूर्ण करने की लड़ाई लड़ते रहेंगे।
जनजातीय घोषित होने पर मिलेगा ये फायदा
- गिरिपार के युवाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा और रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।
- केंद्र सरकार से विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त मदद मिलेगी।
- लुप्त होती जा रही हाटी लोक संस्कृति को नई पहचान मिलेगी।
- क्षेत्र के विद्यार्थियों को शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आर्थिक मदद मिलेगी।
कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा
सिरमौर की पांच सीटों में से तीन पर 2017 में भाजपा को जीत मिली थी। इनमें नाहन, पांवटा साहिब और पच्छाद सीटें शामिल थी। जबकि शिलाई और रेणुकाजी सीटें कांग्रेस के खाते में गई। इस बार भी यहाँ कड़ा मुकाबला तय है। आम आदमी पार्टी के आने से भी यहाँ रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि जो पार्टी न्यूनतम अंतर्कलह और भीतरघात सुनिश्चित करेगी, वो ही सिरमौर में बेहतर करेगी।