ज्वाली में भाजपा की हालत निराली, एक फूल दो माली
अरविन्द शर्मा। फर्स्ट वर्डिक्ट
ज्वाली विधानसभा हलके में भाजपा के टिकट के लिए दो सशक्त दावेदार मैदान में है। एक फूल और दो माली वाली ये स्थिति भाजपा की चिंता बढ़ाती दिख रही है। 2017 विधानसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में चुनाव न लड़ने वाले संजय गुलेरिया तब से न सिर्फ भाजपा संगठन में बने हुए है, बल्कि पिछले साढ़े चार वर्षों में उन्होंने ख़ुद को इस विधानसभा क्षेत्र में और मज़बूत किया है। जबकि अर्जुन ठाकुर विधायक तो है पर अपने कामकाज से कोई विशिष्ट पहचान स्थापित करते नहीं दिखते। मौजूदा दौर में जो राजनीतिक माहौल बनता दिख रहा है और जिस तरह के सियासी एक्सपेरिमेंट सत्ता प्राप्ति के लिए भाजपा द्वारा किए जा रहे हैं, इसमें कोई दो राय नहीं कि एंटी इनकम्बेंसी वाले क्षेत्रों में पार्टी चेहरे बदलने से गुरेज न करे। हालांकि ज्वाली में अर्जुन ठाकुर के लिए यह कार्यकाल एक सुनहरा मौका था, लेकिन अर्जुन के तीर इस विधानसभा क्षेत्र में गढ़ी संजय की नज़रों को नहीं भेद पाए है।
ज्वाली में भाजपा के दो गुटों का विभाजन इस तरह से किया जा सकता है, एक देहर के इस पार नगरोटा सूरियां -हरसर -घाड़ जरोट वाला इलाका जो कि संजय गुलेरिया का गुट है। इक्का -दुक्का लोगों को छोड़ दें तो ज़्यादातर यहाँ संजय समर्थक हैं। दूसरा देहर के उस पार ज्वाली -गुगलाड़ा वाला इलाका जिसमें ज्यादातर अर्जुन समर्थक हैं। पिछले चुनाव में अर्जुन का साथ देने वाले संजय गुलेरिया से उनकी दूरियों के मुख्य कारणों पर नज़र दौड़ाएँ तो सबसे बड़ी वजह गुलेरिया समर्थकों की उपेक्षा है। गुलेरिया समर्थकों का आरोप है कि अर्जुन ठाकुर पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं को जो कि हरबंस राणा के समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं, उनको पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में नहीं बुलाते। बुलाना तो दूर की बात अर्जुन उनको प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। उनका ये भी आरोप है कि अर्जुन ने भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं को नज़र अन्दाज़ कर अपने इर्द -गिर्द उन ठेकेदारों की फ़ौज जमा कर रखी है जिन्होंने पिछले साढ़े चार सालों में करोड़ों रुपए कमाए हैं। ये स्थिति निसंदेह भाजपा के लिए बेहतर नहीं हैं।
अब बात करते हैं ग्राउंड रियलिटी की। ज्वाली में कई ऐसे मुद्दे है जो अर्जुन के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी का सूत्रधार बन सकते है। मसलन पिछले साढ़े चार साल से नगरोटा सूरियां कालेज में प्रिंसिपल की ख़ाली पड़ी पोस्ट, चार महीने पहले सीएम द्वारा नगरोटा को उप तहसील का दर्जा दिए जाने की घोषणा के बाद वहाँ तहसीलदार को ना ला पाना, पिछले साढ़े चार सालों से नगरोटा सूरियां में बीएमओ की ख़ाली पोस्ट, नगरोटा -देहरा चौक के पास सात वर्ष पूर्व शुरू किए गए टूरिज्म सेंटर का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने पर भी उद्घाटन नहीं कर पाना, अर्जुन खब्बल में टूरिज्म के तैयार हट्स का उद्घाटन नहीं करवा पाना ( फलस्वरूप उनको वाइल्ड लाइफ़ वालों को देना पड़ा लेकिन फिर भी क्रियान्वित नहीं हो पाए), लम्बे अरसे से गज खड्ड पर प्रस्तावित जरोट -नगरोटा सूरियाँ पुल के लिए शिलान्यास का एक भी पत्थर तक न लगवा पाना इत्यादि। इन मुद्दों को लेकर न केवल विपक्ष हमलावर है बल्कि भाजपा के अंदर से भी आवाज उठ रही है।
पिछले लम्बे समय से संजय गुलेरिया की ज्वाली विधानसभा क्षेत्र में निरंतर सक्रियता उनकी हर हाल में चुनावी मैदान में उतरने की मंशा को स्पष्ट ही नहीं करती बल्कि अर्जुन ठाकुर को भाजपा टिकट पाने की राह को और भी मुश्किल कर सकती है। इस बार ज्वाली विधानसभा क्षेत्र के परिणाम तो ख़ैर भविष्य के गर्भ में छिपे हैं लेकिन फ़िलवक्त दो -दो प्रत्याशियों के चलते ज्वाली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की राह जरूर मुश्किल हो सकती है।
पहले गुलेर अब ज्वाली, चौधरी चंद्र कुमार का रहा दबदबा :
ज्वाली विधानसभा क्षेत्र 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया। ये निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। इससे पहले फतेहपुर और ज्वाली दोनों एक हुआ करते थे। फ़तेहपुर को ज्वाली से अलग किया गया और पहले का गुलेर विधानसभा क्षेत्र अब ज्वाली विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। ज्वाली ( पहले गुलेर ) परंपरागत रूप से कांग्रेस के दबदबे वाली सीट रही है। हरबंस राणा ने यहां बीजेपी से तीन बार सफलता हासिल की है। इसके अलावा यहाँ ज़्यादातर चौधरी चंद्र कुमार ही जीतते आए हैं। परिसीमन के बाद पहली बार 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में चौधरी चंद्र कुमार के पुत्र नीरज भारती ने जीत दर्ज की। इससे पहले नीरज भारती 2007 में भी विधायक चुने गए थे। अगर पिछले चुनाव यानी 2017 की बात की जाए तो यहाँ भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी।
गुलेरिया के साथ आने से चंद्र कुमार का गढ़ भेद पाएं थे अर्जुन :
2017 के हुए चुनाव में भाजपा के अर्जुन ठाकुर ने चंद्र कुमार को 8213 वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी। तब अर्जुन ठाकुर को कुल 36,999 मत मिले जबकि चौधरी चंद्र कुमार ने 28,786 वोट हासिल किए थे। 2017 के परिणामों का विश्लेषण करें तो अर्जुन ठाकुर की जीत का मुख्य कारण संजय गुलेरिया का उनके पक्ष में आना था। ज्वाली विधानसभा क्षेत्र तथा भाजपा में अपनी ख़ूब पैठ रखने वाले संजय गुलेरिया गज़ पार यानी नगरोटा सूरियाँ से ताल्लुक रखते हैं। पिछली बार अगर संजय गुलेरिया बतौर आजाद प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में उतरे होते तो भाजपा की इस सीट पर हार तय मानी जा रही थी, लेकिन भाजपा संगठन संजय गुलेरिया को मनाने में कामयाब रहा।