कांटे के मुकाबले में फंसे कांग्रेस के दिग्गज
कांग्रेस के कई बड़े नेता अपनी अपनी सम्बंधित सीटों पर कांटे के मुकाबले में फंसे दिख रहे है। इनमें से कई तो मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी है। नजदीकी मुकाबले में इन सीटों पर कुछ भी संभव है, ऐसे में जाहिर है आठ दिसम्बर को कई नेताओं के अरमानो पर पानी फिर सकता है। डलहौज़ी सीट पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता आशा कुमारी और भाजपा के डीएस ठाकुर में कांटे का मुकाबला दिख रहा है। इस सीट पर सभी की निगाह टिकी है और यहाँ कुछ भी मुमकिन है। शायद ये ही कारण है कि चुनाव के दौरान आशा कुमारी ने अपनी सीट पर भी अधिकांश समय दिया। अन्य क्षेत्रों में आशा कुमारी प्रचार करती नहीं दिखी। इसी तरह सोलन सीट से कर्नल धनीराम शांडिल नजदीकी मुकाबले में फंसे दिख रहे है। उनका मुकाबला उनके दामाद और भाजपा प्रत्याशी डॉ राजेश कश्यप से है। दोनों के बीच 2017 में भी मुकाबला हुआ था, जिसे शांडिल ने महज 671 वोट के अंतर से जीता था। शिलाई में वरिष्ठ नेता हर्षवर्धन चौहान और बलदेव तोमर में मुकाबला है। यहाँ हाटी फैक्टर के सहारे भाजपा जीत की उम्मीद में है और यदि हाटी फैक्टर चला है तो हर्षवर्धन की मुश्किल बढ़ सकती है। वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर ठियोग से चुनाव लड़ रहे है और बहुकोणीय मुकाबले में फंसे दिख रहे है। यहाँ निर्दलीय इंदु वर्मा, सीपीआईएम के राकेश सिंघा और भाजपा के अजय श्याम मैदान में है। इस सीट पर कुलदीप का असल इम्तिहान है। वहीं नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की सीट हरोली पर भी भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है। यहाँ से प्रो रामकुमार मैदान में है और भाजपा नियोजित रणनीति के तहत यहाँ चुनाव लड़ती दिखी है। हालांकि मुकेश ने पुरे दमखम से चुनाव लड़ा है। इस सीट पर कितना अंतर रहता है इस पर निगाह जरूर टिकी है।