कर्मचारी लहर पर सवार होकर लोकसभा पहुंचने की चाह
हिमाचल की कर्मचारी राजनीति के कई दिग्गज असली सियासी पटल पर भी अपनी किस्मत आजमाते रहे है। कुछ सफल हुए कुछ नहीं। जल्द मंडी संसदीय क्षेत्र का उप चुनाव होना हैं, और इस चुनाव में हिमाचल की कर्मचारी राजनीति के एक धुरंधर के भी चुनावी समर में उतरने के कयास हैं। माना जा रहा है कि कर्मचारी नेता एनआर ठाकुर भाजपा से टिकट के चाहवान है। हालांकि खुद एनआर ठाकुर खुलकर इस मसले पर नहीं बोल रहे पर उनके समर्थक सोशल मीडिया पर उन्हें टिकट देने की खूब पैरवी कर रहे है। स्वास्थ्य शिक्षक और अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष एनआर ठाकुर पिछले 30 सालों से कर्मचारी राजनीति में है। उन्होंने कर्मचारी राजनीति में रहते हुए 18 चुनाव लड़े है और अपना वर्चस्व कायम रखने में हमेशा कामयाब रहे। एन आर ठाकुर अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के तीनों बड़े पदों पर रहे है, पहले साल 2000 में चुनाव जीतकर वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनें, उसके बाद महामंत्री और फिर प्रदेश अध्यक्ष। 13 अन्य संस्थाओं से भी जुड़े हैं और कर्मचारियों में खासी पकड़ रखते है। ठाकुर संघ की पृष्ठ्भूमि से भी है। यानी ठाकुर का बायोडाटा तो ठीक-ठाक है, लेकिन बायोडाटा के साथ-साथ राजनीति में आलाकमान के आशीर्वाद की भी जरूरत होती है। अब ठाकुर को आशीर्वाद मिलता है या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा।
क्या तीसरी दफा जोखिम लेगी भाजपा ?
नगर निगम चुनाव में लगे झटके के बाद भाजपा के लिए मंडी संसदीय क्षेत्र का उपचुनाव बेहद ख़ास है, या यूं कहे की साख का सवाल है। नगर निगम चुनाव में भाजपा सिर्फ मंडी में ही अच्छा परफॉर्म कर पाई थी। अब उपचुनाव है, यदि मंडी में पार्टी ठंडी पड़ गई तो सरकार और संगठन पर तो सवाल उठेंगे ही भाजपा के भीतर भी सियासी बवंडर तय है। इतिहास पर नज़र डाले तो मंडी संसदीय क्षेत्र में इससे पहले भाजपा दो कर्मचारी नेताओं को टिकट दे चुकी है, 1984 में व 1996 में और दोनों ही मर्तबा भाजपा को शिकस्त मिली। ऐसे में बड़ा सवाल ये ही है कि क्या पार्टी तीसरी दफा जोखिम लेगी ?
मधुकर और अदन सिंह ठाकुर लड़ चुके है मंडी से चुनाव
मंडी संसदीय क्षेत्र की बात करें तो प्रदेश कर्मचारी महासंघ में अध्यक्ष के पद पर रह चुके फायर ब्रांड कर्मचारी नेता मधुकर और ठाकुर अदन सिंह ने यहां से चुनाव लड़ा था। इन दोनों ने हिमाचल की राजनीति के चाणक्य पंडित सुखराम के खिलाफ चुनाव लड़ा। हालांकि दोनों को ही चुनावों में सफलता नहीं मिली थी, लेकिन संसदीय क्षेत्र के चुनाव में कर्मचारी नेताओं ने दिग्गज नेता को टक्कर दी थी। मधुकर ने 1984 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, तो वहीं अदन सिंह ठाकुर ने 1996 में भाजपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ा था।
विस चुनाव में भी रही है कर्मचारी नेताओं की धाक
-रणजीत सिंह ठाकुर और चौधरी विद्यासागर रहे हैं मंत्री
ऐसा नहीं है कर्मचारी नेताओं पर खेला गया हर दांव उल्टा पड़ा हो ,लोकसभा न सही पर विधानसभा चुनाव में कर्मचारी नेताओं ने खुद को साबित किया है। राज्य की कर्मचारी राजनीति में सक्रिय रहे ठाकुर रणजीत सिंह 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर बमसन से चुनाव लड़े और तत्कालीन मंत्रिमंडल में भी शामिल हुए । वहीं कर्मचारी नेता चौधरी विद्यासागर कांगड़ा जिले के कांगड़ा निर्वाचन हलके से भाजपा टिकट पर चार बार चुनाव जीते और प्रदेश कैबिनेट का हिस्सा बने । चौधरी विद्या सागर 1982, 1985,1990 और 1998 में चुनाव जीते हैं । अर्की के पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा भी कर्मचारी राजनीति सक्रिय रह चुके हैं। वह महासंघ में संयुक्त सचिव भी रहे हैं। वर्तमान में खादी बोर्ड के उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम गुलेरिया भी कर्मचारी नेता रहे है। हालांकि गुलेरिया चुनावी राजनीति से अब तक दूर है।
ये नाम भी चर्चा में
मंडी उप चुनाव में भाजपा टिकट के लिए महेश्वर सिंह का नाम भी चर्चा में है। महेश्वर सिंह 1989 , 1998 और 1999 में मंडी से सांसद रह चुके है। महेश्वर सिंह के अतिरक्त अभिनेत्री कंगना रनौत के नाम के भी चर्चे आम है। कंगना खुद सोशल मीडिया पर हिमाचल से चुनाव न लड़ने की बात कह चुकी है। इसी तरह जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह की बेटी वंदना गुलेरिया और पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर का नाम भी सुर्ख़ियों में है। ऐसे में भाजपा किसी पुराने चेहरे पर भरोसा जताती है या किसी नए चेहरे पर दांव खेलती है, इस पर सबकी नज़र है।