सोलन भाजपा में एकसाथ आते दिख रहे कई चेहरे
मुकम्मल मुलाकातें हो रही है, बकायदा योजना तैयार की जा रही है। नए गठबंधन बन रहे है और हालात बदलने की तैयारी जोरो पर है। विधानसभा चुनाव से पहले सोलन निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के कुछ चेहरे एकसाथ आते दिख रहे है। मकसद साफ है कि टिकट के लिए जानदार तरीके से दावा ठोका जाएं। दरअसल, पिछले चुनाव में पार्टी ने चुनाव से ठीक पहले वीआरएस लेकर सियासत में आएं डॉ राजेश कश्यप को टिकट दिया था। तब टिकट के कई दावेदार थे लेकिन पार्टी के निर्णय ने सबको चौंका दिया। तब मुख्य तौर पर कुमारी शीला, तरसेम भारती और एच एन कश्यप टिकट की दौड़ में थे, पर सबके हाथ निराशा लगी। पार्टी के इस निर्णय से असंतोष भी उपजा और नतीजन डॉ राजेश कश्यप चुनाव नहीं जीत सके। पर तब से अब तक कश्यप निरंतर सक्रिय है और इस बार वे ही टिकट के प्रबल दावेदार है। अब ताजा खबर ये है कि कश्यप की राह रोकने को उनके विरोधियों ने हाथ मिला लिया है, मंशा साफ है कि उनमें से ही किसी एक को टिकट मिले। टिकट किसे मिलता है ये तो वक्त ही बताएगा, पर ऐसी स्थिति में भाजपा की राह निसंदेह मुश्किल जरूर होने वाली है।
ताजा स्थिति की बात करें तो सर्वविदित है कि डॉ राजेश कश्यप ही पार्टी के प्राइम फेस है। कश्यप सक्रिय है पर अब तक सबको साथ लाने में कामयाब नहीं हो सके है। साढ़े चार साल का वक्त मिलने के बावजूद भी पार्टी का एक बड़ा तबका उनके साथ चलता नहीं दिख रहा। हालाँकि आलाकमान जरूर उन पर मेहरबान रहा है। उधर अन्य चेहरों की बात करें तो उनमें भी कोई ऐसा नहीं है जो अपनी कार्यशैली से पार्टी को टिकट देने के लिए विवश कर सके। तरसेम भारती पहले खराब स्वास्थ्य के चलते फील्ड से दूर थे और अब भी प्रो एक्टिव नहीं दिख रहे। कुमारी शीला की बात करें तो इस मर्तबा तो वे जिला परिषद् का चुनाव भी नहीं जीत पाई थी, ऐसे में पार्टी को जीत का भरोसा दिलाना उनके लिए भी मुश्किल होगा। हालांकि उनकी जमीनी पकड़ को कमतर नहीं आँका जा सकता। एच एन कश्यप भी सियासी सरगर्मियों से लगभग गायब ही है। कई अन्य चाहवान तो ऐसे भी है जो इच्छा तो विधायक बनने की रखते है लेकिन उनकी कार्यशैली पार्षद का चुनाव जीतने लायक भी नहीं दिख रही। पर यहाँ ये जहन में भी रखना होगा कि पूर्व सांसद और डॉ राजेश के बड़े भाई वीरेंद्र कश्यप भी टिकट मिलने पर चुनाव लड़ने को तैयार है।
कांग्रेस में सिर्फ एक दावेदार :
सोलन कांग्रेस की बात करें तो कर्नल धनीराम शांडिल ही फिलवक्त इकलौते उम्मीदवार है और संभवतः वे ही पार्टी प्रत्याशी होंगे। वैसे भी माना जाता है कि कर्नल का टिकट 10 जनपथ से फाइनल होता है। पार्टी का एक तबका उनके साथ बेशक न दिख रहा हो लेकिन बावजूद इसके कांग्रेस की स्थिति अभी तो भाजपा से बेहतर है। कर्नल का सरल स्वभाव और ईमानदार छवि भी कांग्रेस के लिए लाभदायक सीड हो सकते है।