मंत्री पद को धर्माणी का इंतजार कायम
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के करीबियों में गिने जाने वाले घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजेश धर्माणी मंत्रिमंडल विस्तार के पहले चरण में मंत्री नहीं बन पाए हैं। चुनाव परिणामों के बाद से धर्माणी लगातार मुख्यमंत्री सुक्खू के साथ थे। समर्थकों को उम्मीद थी कि बिलासपुर जिले से जीत कर आए एक मात्र कांग्रेस विधायक राजेश धर्माणी मंत्रिमंडल में शामिल होंगे। मगर अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। कहा तो ये भी गया कि धर्माणी से पूछा जा चुका था कि उन्हें कौन सा विभाग चाहिए, लेकिन अंतिम सूची से उनका नाम काट दिया गया। मंत्री पद न मिलने से धर्माणी के समर्थक खूब आहत हुए है। मंत्री न बनाने पर उनके एक समर्थक ने तो रोष प्रकट करते हुए मुंडन भी करवा लिया। सोशल मीडिया पर भी बिलासपुर जिले को मंत्री पद की खूब मांग हो रही है। अब धर्माणी को मंत्री पद मिलता है या नहीं ये तो वक्त ही बताएगा, बहरहाल इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि धर्माणी मंत्री पद के प्रबल दावेदार है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव राजेश धर्माणी इस मर्तबा भाजपा सरकार के मंत्री राजेंद्र गर्ग को हराकर विधानसभा पहुंचे है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह जिला बिलासपुर के घुमारवीं से तीसरी बार विधायक बने राजेश धर्माणी की हाईकमान और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी नजदीकियां हैं। उनकी जुझारू छवि को देखते हुए पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कई जिम्मेदारियां भी सौंपी। बिलासपुर जिले से कांग्रेस का सिर्फ एक विधायक जीत कर आया है और वो राजेश धर्माणी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने मंत्रीमंडल में जिन प्रोफेशनल्स को शामिल करने की बात कही थी उनमे से एक राजेश धर्माणी भी हो सकते है। धर्माणी ने एनआईटी हमीरपुर से बीटेक सिविल और फिर एमबीए की पढ़ाई की है।
1990 में राजेश धर्माणी ने राजनीति में एंट्री की और इसके बाद वो प्रदेश युवा कांग्रेस के महासचिव, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव, जिला कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर रहे। धर्माणी कांग्रेस चार्जशीट कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं। धर्माणी ने 2007 में घुमारवीं विधानसभा सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा था और तब भाजपा के कर्मदेव को 1931 वोटों से हराया था। फिर 2012 में राजेश धर्माणी ने भाजपा के राजेंद्र गर्ग को 3,208 वोट से हराया। उस समय सरकार ने उन्हें मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त किया, लेकिन 2017 के चुनाव में धर्माणी को 10,435 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इस बार धर्माणी पूर्व मंत्री राजेंद्र गर्ग को हराने में कामयाब रहे।
धर्माणी कांग्रेस के ईमानदार नेताओं में से एक है और अपनी स्वच्छ छवि के लिए जाने जाते है। इसके बावजूद उन्हें मंत्री पद नहीं मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है। माना जा रहा है कि शिमला संसदीय सीट को अधिक तवज्जो देने के चक्कर में धर्माणी का पत्ता कटा है। धर्माणी के समर्थक तो ये तक कह रहे है कि सीएम सुक्खू पर भरोसे की वजह से धर्माणी ने अपने हक़ की लड़ाई नहीं लड़ी। अब कैबिनेट के अगले विस्तार में धर्माणी मंत्री बनते है या नहीं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है।