देशराज के बर्ताव पर सवाल, महिला अधिकारी भी प्रताड़ित.....आखिरी क्या है ओंकार शर्मा की रिपोर्ट में ?

- पेखूबेला सोलर प्रोजेक्ट में निजी कंपनी को अनुचित लाभ देने का जिक्र
- आखिर क्यों सरकार एसीएस से रिपोर्ट से नाखुश ?
विमल नेगी मामले में कोर्ट में हुई किरकिरी के बाद प्रदेश सरकार ने तीनों सम्बन्धित अधिकारीयों को लम्बी छुट्टी पर भेज दिया। तीनों ने कोर्ट में अलग -अलग रिपोर्ट दी थी, जिसके बाद कोर्ट ने CBI जांच के आदेश दे दिए। इस पुरे प्रकरण में पुलिस की अंतर्कलह खुलकर सामने आई। SP शिमला बनाम DGP की जंग सबने देखी। प्रेस कांफ्रेंस करके एसपी ने अनुशासन की धज्जियां भी उड़ाई। ऐसे में दोनों पुलिस अधिकारीयों पर एक्शन तय माना जा रहा था। पर ओंकार शर्मा पर कार्रवाई क्यों हुई, इसे लेकर सवाल उठने लगे। आपको बताते है ऐसा क्या था ओंकार शर्मा की जांच में, जो संभवतः सरकार को रास न आया।
19 मार्च चीफ इंजीनियर विमल नेगी का शव शिमला लाया गया और परिजनों ने विरोध प्रदर्शन किया। तब सुक्खू सरकार ने स्वतंत्र प्रशासनिक जांच के लिए ओंकार शर्मा को नियुक्त किया। उन्हें 15 दिन में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था। आदेश अनुसार ओंकार शर्मा ने जांच की और रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इस बीच विमल नेगी के परिवार ने जांच और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाये और सीबीआई जांच को उनकी पत्नी किरण नेगी हाईकोर्ट में चली गई। मामले की जांच शुरू हुई तो हाईकोर्ट ने पुलिस की एसआईटी जांच पर तो रिपोर्ट मांगी ही, ओंकार शर्मा और डीजीपी को भी विस्तृत शपथ पत्र दाखिल करने को कहा। सुनवाई के दौरान सामने आया कि जहाँ डीजीपी ने एसआईटी जांच पर सवाल उठाये, वहीँ ओंकार शर्मा की रिपोर्ट भी सीबीआई जांच का बड़ा कारण बनी। इस रिपोर्ट में बिजली बोर्ड के एमडी हरिकेश मीणा, शिवम प्रताप सिंह और देशराज की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि इन्हीं के दबाव में विमल नेगी तनाव में थे। खासतौर से देशराज के बर्ताव को लेकर काफी कुछ लिखा गया है। साथ ही उन्होंने 220 करोड़ रुपये की पेखुबेला सोलर परियोजना की जांच की सिफारिश की, जिसमें विमल नेगी की भूमिका थी। कोर्ट के फैसले में इसका विस्तृत जिक्र है।
- विमल का चैम्बर दफ्तर की दूसरी मंजिल पर था और देशराज का पांचवी मंजिल पर। देशराज उन्हें बार-बार बुलाता था और घंटो खड़ा रखता था। विमल नेगी एक सीनियर अधिकारी थे लेकिन उन्हें बैठने तक को नहीं कहा जाता था। इसमें ये भी जिक्र है कि NIT हमीरपुर में कॉलेज के दिनों में विमल नेगी, देश राज के सीनियर थे। देश राज की भाषा और बुरे बर्ताव से पुरे दफ्तर का माहौल ख़राब था।
- ओंकार शर्मा की रिपोर्ट के अनुसार एक महिला अधिकारी ने भी देशराज पर प्रताड़ित करने के आरोप लगाए है। उस अधिकारी ने कहा है वो दफ्तर में सुबह नौ बजे से रात के दस बजे तक रहती थी। एक बार तो उसे रात ग्यारह बजे तक रुकने को कहा गया। अधिकारीयों के दबाव के चलते उसे एंग्जायटी की दवा तक लेनी पड़ी।
- आपातकाल स्थीति में एक दो दिन की कसुअल लीव लेने पर भी विमल नेगी को कारण बताओ नोटिस देने का भी जांच रिपोर्ट में जिक्र है। देशराज के खिलाफ कई कर्मचारियों ने आरोप लगाए है। यहाँ तक की विमल नेगी के ड्राइवर ने भी देशराज पर उन्हें टार्चर करने के आरोप लगाए है।
- प्रोजेएल इंफ़्रा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड को पेखूबेला सोलर प्रोजेक्ट में कई अनुचित लाभ देने का इस रिपोर्ट में जिक्र है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि प्रोजेक्ट की रेवेनुए प्रोजेक्शन रिपोर्ट में इजाफा करने का दबाव विमल नेगी पर डाला गया।
मुख्यमंत्री ने ओंकार शर्मा की जांच की सराहना तो की लेकिन सवाल उठाया कि जिन अफसरों पर आरोप लगाए गए है उनका पक्ष इसमें नहीं है। निष्कर्ष पर निकलने के लिए उनका पक्ष भी जरूरी है। मुख्यमंत्री ने अपनी प्रेस कांफेरेंस में भी कहा कि उक्त अधिकारीयों को अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए। दूसरी, आपत्ति ये मानी जा रही है कि एसीएस ने सीधे अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी। वहीँ सबसे बड़ी बात ये है कि इस रिपोर्ट में पेखूबेला सोलर प्रोजेक्ट पर सवाल है। विपक्ष को मुद्दा मिल गया। ऐसे में लाजमी है सरकार को ये रास नहीं आया।
ओंकार शर्मा के समर्थन में खुलकर आ गई भाजपा
आईएएस अधिकारी ओंकार शर्मा के समर्थन में भाजपा खुलकर आ गई है। कई बड़े नेता उन्हें छुट्टी पर भेजने के सुक्खू सरकार के फैसले पर सवाल उठा चुके है। भाजपा विधायक सुधीर शर्मा, विधायक बिक्रम ठाकुर और राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन ने इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। इन नेताओं का कहना है कि एक ईमानदार और निष्पक्ष अफसर के साथ अन्याय हुआ है।
सुधीर शर्मा ने कहा, "ओंकार शर्मा एक वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारी हैं। उन्हें जो जांच सौंपी गई थी, उसे उन्होंने पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अंजाम दिया। उनके खिलाफ की गई कार्रवाई न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि यह संदेश देती है कि अगर कोई अधिकारी निष्पक्षता से सच्चाई सामने लाएगा, तो उसे सज़ा भुगतनी पड़ेगी।" हर्ष महाजन ने इसे ‘ईमानदार हिमाचली अफसर की बर्खास्तगी’ बताया, जबकि बिक्रम ठाकुर ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया देते हुए सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए। इन नेताओं के बयानों से साफ़ है कि सत्तारूढ़ सुक्खू सरकार अब विपक्ष के सीधे निशाने पर है। सिर्फ राजनीतिक हलकों में ही नहीं, सोशल मीडिया पर भी ओंकार शर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने पर प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। बड़ी संख्या में लोग उन्हें ईमानदार और निर्भीक अफसर मानते हुए सवाल उठा रहे हैं।