2022 में क्या फिर करामात दिखायेगा कमरा नंबर 202
2022 के विधानसभा चुनाव में राज्य सचिवालय का सबसे फेमस कमरा नंबर 202 क्या फिर एक मंत्री के सियासी अरमानों की बलि लेगा ? क्या जयराम सरकार में आईटी मिनिस्टर डा. रामलाल मारकंडेय अगले साल चुनाव जीत पाएंगे या फिर मनहूस कमरे का ग्रहण लगेगा? ये बड़े सवाल है और इस कमरे पर बवाल है। जनाब ये कमरा नम्बर 202 है ही ऐसा, सत्तालोभी नेता इसका नाम सुनते ही भागे भागे फिरते है। दरअसल, राज्य सचिवालय में मंत्रियाें काे हर दफे कमरे अलॉट होते हैं, जिसको जो मिला वो उसमे खुश, लेकिन यहां एक कमरा ऐसा भी है जिसमें बैठने के लिए कोई भी मंत्री तैयार नहीं होता। प्रदेश सचिवालय में सभी मंत्रियों के इन कमरों से ही प्रदेश सरकार का कामकाज कैबिनेट मंत्री संभालते हैं। इन कमरों में कमरा नंबर 202 वो कमरा है जिसमें बैठने वाला मंत्री चुनाव हारता है। ये हम नही पिछले चुनाव के नतीजे बताते है और हिमाचल के सियासी गलियारों में भी ये बात आम है। पिछले चुनाव के नतीजों पर गाैर करें ताे 2012 में जब वीरभद्र सरकार बनी तो ये कमरा शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा को मिला, और 2017 का चुनाव सुधीर शर्मा हार गए। सुधीर शर्मा इसी कमरे में बैठते थे। हालांकि उस वक्त सुधीर शर्मा बार-बार यही कहते थे कि ये सबकुछ अन्धविश्वास है, ऐसा कुछ नहीं हाेगा, मगर हुआ तो वो जो सोचा न था। इस कमरे में मंत्री बनने पर जगत प्रकाश नड्डा, आशा कुमारी और नरेंद्र बरागटा भी बैठे है और ये तीनों तत्कालीन मंत्री रहते हुए अगला चुनाव हार गए। हालांकि इसके बावजूद सियासत में इन नेताओं का दबदबा बना रहा। जगत प्रकाश नड्डा इस समय भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जबकि आशा कुमारी एआईसीसी सचिव के साथ पंजाब कांग्रेस की प्रभारी हैं। नड्डा का केंद्र में दबदबा है और आशा कुमारी के पंजाब कांग्रेस के प्रभारी रहते हुए पार्टी को सत्ता मिली। गौरतलब है कि वर्ष 1998 से 2003 तक तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री एवं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा इस कमरे में बैठे। नड्डा दाे बार राज्य सरकार में मंत्री रहने के अलावा प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। हालांकि राज्य में स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद वे वर्ष 2003 में चुनाव हार गए थे।
जीत हुई पर कैबिनेट में नहीं मिल पाई जगह
2012 के चुनाव में आशा कुमारी जीत कर विधानसभा पहुंची, लेकिन वीरभद्र सिंह के कैबिनेट में उन्हें जगह नहीं मिल पाई। इसी तरह से पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा 2017 का चुनाव जीत कर आए ताे जयराम सरकार में मंत्री पद नसीब नहीं हुआ। उन्हें चीफ व्हिप की कुर्सी दी गई, वह भी डेढ़ साल बाद। वर्ष 2002 के चुनाव में आशा कुमारी को भी शिक्षा मंत्री बनने के बाद यही कमरा मिला था, लेकिन वे 2007 में विधानसभा चुनाव हार गई थीं। जेपी नड्डा और आशा कुमारी के बाद यही कमरा नरेंद्र बरागटा को 2007 में बागवानी मंत्री बनने पर आबंटित हुआ और 2012 का विधानसभा चुनाव हार गए। उसके बाद सुधीर शर्मा को शहरी विकास मंत्री बनने पर ये कमरा मिला था, जो चुनाव हार गए हैं।
अभी डा. रामलाल मारकंडा निपटा रहे हैं कामकाज
प्रदेश की जयराम सरकार में आईटी मिनिस्टर डा. रामलाल मारकंडा कमरा नंबर 202 में बैठकर सरकार का कामकाज निपटा रहे हैं। अब देखना है की अगले साल हाेने वाले चुनाव में क्या डा. मारकंडा चुनाव जीत पाते हैं या फिर इतिहास बरकरार रहेगा?