सरकार-संगठन में सिरमौर का जलवा, बिन बिंदल भी रसूख बरकरार
प्रदेश की जयराम सरकार और भाजपा संगठन में जिला सिरमौर खूब चमक रहा है। मात्र पांच विधानसभा सीटाें वाले इस ज़िले में भाजपा ने 2017 में तीन सीटें ही जीती थी, पर सरकार और संगठन दोनों में सिरमौर का जलवा दिखा है। वर्तमान में जिला सिरमौर से एक मंत्री तो है ही, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और शिमला संसदीय क्षेत्र से सांसद भी सिरमौर से है। 2017 के चुनाव में नाहन, पांवटा साहिब और पच्छाद सीट पर भाजपा की जीत हुई ताे नाहन विधायक डा. राजीव बिंदल काे विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी मिली। 2019 में डॉ राजीव बिंदल ने स्पीकर पद से इस्तीफा दिया और उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिल गई। पर पिछले साल यानी काेविड-19 के दाैरान स्वास्थ्य विभाग में घाेटाले के चलते डा. बिंदल काे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा देना पड़ा। पर पार्टी ने उनका रिप्लेसमेंट भी सिरमौर से ही ढूंढा। सांसद सुरेश कश्यप काे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का ज़िम्मा मिल गया। सिरमौर काे तवज्जो मिलने का सिलसिला ज़ारी रहा और पिछले साल मंत्रिमंडल विस्तार में पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुखराम चाैधरी काे मंत्री की कुर्सी मिल गई। यहीं से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला सिरमौर काे सरकार और संगठन में विशिष्ट स्थान प्राप्त है।
बिंदल चले गए ताे सुखराम चाैधरी की हुई एंट्री
2017 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लाैटी तो संभावनाएं जताई जा रही थी कि डा.बिंदल काे कैबिनेट में जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्हें विधानसभा में स्पीकर की कुर्सी दे दी गई। फिर वे प्रदेश अध्यक्ष रहे। पर वक्त बदला और डॉ बिंदल न सरकार में है और न संगठन में, लेकिन सिरमौर काे जगह दिलाने में उनका काफी याेगदान रहा। दरअसल, माना जाता है कि संतुलन बनाये रखने के लिए ही सुखराम चाैधरी को कैबिनेट में एंट्री मिली।
पहली बार सिरमौर से सांसद
पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे सुरेश कश्यप काे भाजपा ने 2019 में लाेकसभा चुनाव के मैदान में उतारा और वे जीत भी गए। शिमला संसदीय क्षेत्र से पहली बार सिरमौर का कोई नेता सांसद बना। उसके बाद हुए उपचुनाव में संगठन ने एक युवा महिला नेता काे टिकट के काबिल समझा और रीना कश्यप काे पच्छाद उपचुपनाव में जीत मिली।
क्या सिरमौर भी रखेगा 2022 में ख्याल
बेशक भाजपा ने सरकार और संगठन में जिला सिरमौर का पूरा ख्याल रखा है पर सिरमौर भाजपा का कितना ख्याल रखेगा इसका पता 2022 में ही चलेगा। पच्छाद क्षेत्र से भाजपा की फायर ब्रांड नेता रही दयाल प्यारी अब कांग्रेस में शामिल हो चुकी है। यहाँ से कांग्रेस के लिए हार की हैट्रिक लगा चुके वरिष्ठ नेता गंगूराम मुसाफिर की जगह पार्टी 2022 में दयाल प्यारी को मौका दे सकती है। वैसे भी पच्छाद में भाजपा की स्तिथि कमजोर हुई है, जिला परिषद् और स्थानीय निकाय के नतीजे भी इसकी तस्दीक करते है। कमोबेश ऐसा ही हाल मंत्री सुखराम चौधरी के क्षेत्र पावंटा साहिब का है। यहाँ अभी से भीतरखाते मंत्री की मुख़ालफ़त का बंदोबस्त दिखने लगा है। नाहन में जरूर डॉ राजीव बिंदल खुद को साबित करते आ रहे है लेकिन इसमें कोई शक-ओ-शुबह नहीं है कि मौजूदा स्तिथि में वे हाशिए पर ही है। रेणुकाजी और शिलाई में फिलहाल कांग्रेस का कब्ज़ा है और 2022 में भी यहाँ जबरदस्त मुकाबला होना तय है।