जयराम सरकार को मंत्री ले बैठे
विधानसभा चुनाव के नतीजे तस्दीक करते है कि जयराम सरकार को उनके मंत्रियों का प्रदर्शन ले बैठा। खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस बार सबसे बड़ी जीत दर्ज की और उनके गृह जिला मंडी में भी पार्टी का शानदार प्रदर्शन जारी रहा। किन्तु जयराम ठाकुर के अलावा उनकी कैबिनेट में मंत्री रहे बिक्रम ठाकुर और सुखराम चौधरी ही चुनाव जीत पाए है। कुल नौ मंत्रियों की सीट पर भाजपा हारी है और आठ मंत्री चुनाव हारे है। चुनाव हारने वाले मंत्रियों में सुरेश भारद्वाज, डॉ रामलाल मारकंडा, वीरेंद्र कंवर, गोविंद सिंह ठाकुर, राकेश पठानिया, डॉ. राजीव सैजल, सरवीण चौधरी और राजेंद्र गर्ग शामिल हैं। इनके अलावा जयराम कैबिनेट में जल शक्ति मंत्री रहे महेंद्र सिंह ठाकुर की सीट से उनके पुत्र रजत ठाकुर भी चुनाव हार गए। जाहिर है अगर ये मंत्री भी सरकार के मुखिया जयराम ठाकुर जैसा प्रदर्शन कर पाते तो संभवतः हिमाचल प्रदेश में रिवाज बदल गया होता।
गौरतलब है कि जयराम ठाकुर के अलावा मंत्रिमंडल में शामिल 11 चेहरों में से इस बार पार्टी ने 10 को फिर मैदान में उतारा था। पर इनमें से दो मंत्रियों की सीट पार्टी ने बदल दी थी। ये मंत्री थे सुरेश भारद्वाज और राकेश पठानिया। ये फैसला उल्टा पड़ा और ये दोनों ही बड़े अंतर से चुनाव हारे। इसके अलावा डॉ रामलाल मारकंडा, वीरेंद्र कंवर, गोविंद सिंह ठाकुर, डॉ. राजीव सैजल, सरवीण चौधरी और राजेंद्र गर्ग भी चुनाव हारे। सिर्फ बिक्रम ठाकुर और सुखराम चौधरी ही चुनाव जीते सके। वहीं मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर अपनी सीट धर्मपुर से अपने पुत्र रजत ठाकुर के लिए टिकट चाहते थे और पार्टी ने रजत को ही टिकट दिया। दिलचस्प बात ये है कि इस सीट पर महेंद्र सिंह लगातार सात चुनाव जीत चुके थे लेकिन उनके बेटे को टिकट देना पार्टी को उल्टा पड़ गया।
क्या एंटी इंकम्बेंसी नहीं भांप पाई भाजपा ?
मंत्रियों की हार के बाद भाजपा के टिकट आवंटन को लेकर भी सवाल उठ रहे है। अगर मंत्रियों की हार के अंतर पर निगाह डाले तो वीरेंद्र कँवर 7579 वोट, राजेंद्र गर्ग 5611 वोट, सुरेश भारद्वाज 8655 वोट, राकेश पठानिया 7354 वोट, डॉ राजीव सैजल 6768 और सरवीण चौधरी 12243 के बड़े अंतर से चुनाव हारे। ये अंतर इन मंत्रियों के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी को दर्शाता है। मंत्री गोविंद ठाकुर 2957 और डॉ रामलाल मारकंडा 1616 के अंतर से हारे। सवाल ये है कि क्या भाजपा इस एंटी इंकम्बेंसी को भांप नहीं पाई।
भाजपा के गढ़ को किया 32 साल बाद ध्वस्त
कुटलैहड़ ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जो पिछले 32 वर्षों से भाजपा का अभेद्य दुर्ग रहा है, लेकिन इस चुनाव में पहले दिन से ही यहाँ भाजपा को कांग्रेस से कड़ी चुनौती देखने को मिली। इस बार फिर इस सीट से भाजपा ने वीरेंद्र कंवर को प्रत्याशी बनाया था, जो लगातार 4 बार के विधायक थे और जयराम सरकार में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रहे। उनके मुकाबले में कांग्रेस ने देवेंद्र कुमार भुट्टो को चुनावी रण में उतारा था। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को देवेंद्र कुमार भुट्टो से चुनाव में करिश्मे की आस थी। कांग्रेस के प्रत्याशी ने प्रदेश के मुद्दों और स्थानीय समस्याओं को जमकर भुनाया। नतीजन कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र कुमार भुट्टो ने मंत्री वीरेंद्र कंवर को 7579 मतों के बड़े अंतर से हराया। देवेंद्र कुमार ने शुरू से ही बढ़त बना ली,जिसे भाजपा प्रत्याशी अंत तक तोड़ नही पाए। देवेंद्र कुमार को कुल 66808 मतों में से 36636 मत पड़े,जबकि वीरेंद्र कंवर को 29057 मत मिले।
शिक्षा मंत्री के हैट्रिक लगाने का सपना टूटा
जयराम कैबिनेट में शिक्षा मंत्री रहे गोविन्द सिंह ठाकुर के टिकट को लेकर किन्तु-परन्तु की स्थिति पहले दिन से ही देखने को नहीं मिली थी। क्या इस सीट पर गोविन्द सिंह ठाकुर बेहतर कर पाएंगे, ये सवाल खूब उठे। सवाल उठना लाजमी था, पिछले साल हुए मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में भी गोविंद ठाकुर यहाँ पार्टी की साख नहीं बचा पाए थे। उस उपचुनाव में मनाली से भाजपा प्रत्याशी को लीड नहीं मिल पाई थी। जाहिर है ऐसे में उठ रहे सवालों पर विराम लगाने के लिए गोविन्द सिंह ठाकुर को मनाली सीट पर जीत हासिल करने का दबाव था, लेकिन उनके हैट्रिक लगाने के इस स्वप्न को कांग्रेस के भुवनेश्वर गौड़ ने तोड़ दिया और मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर चुनाव हार गए। भुवनेश्वर गौड़ परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई मनाली सीट से जीतने वाले कांग्रेस के पहले विधायक बने हैं।
सोलन में भाजपा शून्य, स्वास्थ्य मंत्री भी हारे
सोलन के पांच सीटों में से सोलन सदर, अर्की, दून और कसौली सीट पर कांग्रेस का हाथ भारी पड़ा जबकि नालागढ़ सीट पर निर्दलीय ने चुनाव जीता है। कसौली सीट पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। वे यहां से लगातार 3 विधानसभा चुनाव जीत चुके थे। इस बार वे सियासी चौका लगाने को लेकर आश्वस्त थे किन्तु उन्हें इस सीट से तीसरी बार में कांग्रेस के उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल चुनाव को 6768 मतों से हराया।
वन मंत्री नहीं कर पाए फ़तेहपुर को फ़तेह
फतेहपुर विधानसभा सीट पर भाजपा को टिकट बदलना भारी पड़ गया और फतेहपुर की जनता ने भाजपा के कद्दावर मंत्री राकेश पठानिया चुनाव हार गए। राकेश पठानिया इससे पहले नूरपुर सीट से चुनाव लड़ते आये है और इस बार भाजपा ने उनका टिकट बदल कर उन्हें फतेहपुर भेजा था। चुनाव जीतने के लिए उन्होंने पूरी ताकत झोंकी लेकिन वे विफल हुए और कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया ने जीत अपने नाम कर ली। उपचुनाव के बाद कांग्रेस के प्राइम फेस बने रहे भवानी सिंह पठानिया यहां से लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। कांग्रेस के भवानी सिंह को 32452 वोट मिले, जबकि भाजपा के राकेश पठानिया को 25884 वोट हासिल हुए।
मंत्री सरवीण को नहीं मिला शाहपुर का साथ
शाहपुर सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर तीन दशक से भाजपा की सरवीण चौधरी का वर्चस्व रहा। भाजपा की सरवीण चौधरी 2007 से लगातार चुनाव जीतती आ रही हैं। किन्तु इस विधानसभा चुनाव में जयराम कैबिनेट में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय संभाल रही सरवीण चौधरी अपनी सीट नहीं बचा पाई। इस बार कांग्रेस के केवल सिंह पठानिया ने कमल खिलने नहीं दिया। केवल सिंह को जहां 35862 वोट मिले हैं, वहीं, भाजपा की सरवीण चौधरी को 23931 वोट ही हासिल हुए।
कुसुम्पटी सीट पर हार गए भारद्वाज
कसुम्पटी विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां से कांग्रेस पिछले 15 साल से जीत दर्ज करती आ रही है। इस बार भी कांग्रेस ने सिटींग एमएलए अनिरुद्ध सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था जबकि भाजपा ने मंत्री सुरेश भरद्वाज को शिमला शहरी से टिकट न देकर कुसुम्पटी भेजा था। भाजपा को उम्मीद थी कि टिकट के फेरबदल से कुसुम्पटी सीट भाजपा के झोली में आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस बार भी बड़े मार्जन के साथ अनिरुद्ध सिंह ने यहां से जीत दर्ज की। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के अनिरुद्ध सिंह 9800 वोटों से जीते थे और इस बार उन्होंने 8431 वोटों से जीत हासिल की।
घुमारवीं में मंत्री राजेंदर गर्ग चुनाव हारे
जिला बिलासपुर की घुमारवीं विधानसभा सीट पर खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंदर गर्ग को कांग्रेस के राजेश धर्माणी ने हराया। गर्ग करीब साढ़े पांच हजार के अंतर से चुनाव हारे। गर्ग की टिकट को लेकर भी सवाल उठते रहे और माना जा रहा था कि एंटी इंकम्बेंसी भांपते हुए पार्टी किसी नए चेहरे को मैदान में उतारेगी, किन्तु ऐसा हुआ नहीं और पार्टी ने राजेंद्र गर्ग को ही टिकट दिया।
लाहौल स्पीति से तकनीकी शिक्षा मंत्री भी हारे
लाहौल स्पीति में तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ रामलाल ठाकुर भाजपा प्रत्याशी के तौर पर तीसरी दफा चुनावी मैदान में थे और जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहे थे। उनके हैट्रिक लगाने की उम्मीदों पर कांग्रेस प्रत्याशी रवि ठाकुर ने पानी फेर दिया और 1616 मतों से कांग्रेस उम्मीदवार रवि ठाकुर ने मंत्री को पराजित किया है। इस क्षेत्र में मंडी संसदीय उपचुनाव में भी भाजपा पिछड़ी थी।