भाजपा में लगातार चुनाव हारने वालों को फिर मौका मुश्किल
सुनैना कश्यप. फर्स्ट वर्डिक्ट
रतन पाल, तेजवंत नेगी, बलदेव शर्मा, बलदेव ठाकुर जैसे नेताओं की डगर होगी मुश्किल
पार्टी विद डिफरेंस भाजपा मिशन रिपीट के लिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। संगठन, संसाधन और संतुलन के साथ -साथ पार्टी ये भी सुनिश्चित करना चाहती है कि उपचुनाव की तर्ज पर विधानसभा चुनाव में कोई रणनीतिक चूक न हो। ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में पार्टी कई निर्वाचन क्षेत्रों में चेहरे बदलने वाली है। इसके लिए बाकायदा ग्राउंड फीडबैक लिया जाएगा, जिसका आधार न सिर्फ इंटरनल सर्वे होगा बल्कि बाहरी एजेंसियों से भी सर्वे करवाया जा सकता है। वहीँ लगातार दो या अधिक चुनाव हारने वाले नेताओं के टिकट भी आगामी विधानसभा चुनाव में कटना तय माना जा रहा है। प्रदेश में ऐसे 6 निर्वाचन क्षेत्र है जहाँ पार्टी टिकट पर एक ही उम्मीदवार लगातार दो चुनाव हार चूका है। इनमें अर्की से रतन सिंह पाल, बड़सर से बलदेव शर्मा, हरोली से प्रो राम कुमार, रामपुर से प्रेम सिंह धरैक और किन्नौर से तेजवंत नेगी लगातार दो चुनाव हार चुके है। वहीँ ठियोग से पार्टी सिंबल पर दो चुनाव हारने वाले राकेश वर्मा का स्वर्गवास हो चूका है। अर्की से रत्न सिंह पाल 2017 का विधानसभा चुनाव और 2021 में हुआ उपचुनाव हार चुके है तो अन्य सभी नेता 2012 व 2017 का विधानसभा चुनाव हार चुके है। फतेहपुर निर्वाचन क्षेत्र से बलदेव ठाकुर भी लगातार तीन चुनाव हार चुके है, किन्तु 2017 में वे बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव हारे थे जबकि 2012 और 2021 का उपचुनाव पार्टी सिंबल पर हारे है। जाहिर है इन सभी उम्मीदवारों का दावा टिकट के लिए कमजोर जरूर हुआ है। हालांकि स्थिति -परिस्थिति के लिहाज से इनमें से एकाध अपवाद जरूर हो सकते है।
क्षेत्रवार बात करें तो रामपुर और हरोली में भाजपा की बनिस्पत कांग्रेस बेहद मजबूत है, इस बार से इंकार नहीं किया जा सकता। इन दोनों सीटों पर टिकट बदले या न बदले, नतीजा बदलना बेहद मुश्किल है। वहीँ ठियोग में भी कांग्रेस - सीपीआईएम का मैच अगर फिक्स सा होता है तो भाजपा के लिए उम्मीद कम ही होगी। सही मायनों में अगर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो ही भाजपा इस सीट पर बेहतर कर पायेगी। पर अन्य चार सीटें ऐसी है जहाँ भाजपा दमखम से लड़े और कोई रणनीतिक चुन न हो तो जीत की सम्भावना भी प्रबल होगी। बड़सर में भी दो चुनाव हारने के बाद बलदेव शर्मा की राह मुश्किल हो सकती है। हालांकि यहां बलदेव में समकक्ष कोई अन्य चेहरा अब भी नहीं दिखता। बलदेव के पक्ष में एक बात और जा सकती है, 2012 में जहाँ वे करीब ढाई हज़ार के अंतर से हारे थे तो 2017 में ये अंतर करीब 400 वोट का था। पर एक खेमा चाहता है कि इस बार यहाँ से पार्टी नए चेहरे को मौका दें।
अर्की की बात करें तो रतन सिंह पाल के अतिरिक्त पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा भी दावेदारों की फेहरिस्त में है। यहाँ पार्टी किसी नए उम्मीदवार को भी मैदान में उतार सकती है। बीते दिनों ही पार्टी ने प्रतिभा कंवर को प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा का प्रवक्ता नियुक्त किया है। प्रतिभा भी सक्रीय है और टिकट की दावेदार है। वहीँ एक अन्य पत्रकार का नाम भी टिकट की रेस में है, जिनकी क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। वहीँ फतेहपुर में जानकार मान कर चल रहे है की इस बार फिर पार्टी कृपाल परमार को मौका दे सकती है। लगातार तीन चुनाव हार चुके बलदेव को एक और मौका मिलना मुश्किल है।
वहीँ जनजातीय जिला किन्नौर में ठाकुर सेन नेगी के बाद तेजवंत नेगी ही भाजपा का चेहरा रहे है। पर पिछले दो चुनाव हार चुके तेजवंत की राह इस बार मुश्किल होगी। बीते कुछ वक्त में पार्टी में सूरत नेगी के बढ़ते कद ने तेजवंत का तेज जरूर कुछ कम किया है। टिकट के लिए भी सूरत का दावा मजबूत है। यहाँ भाजपा के लिए उम्मीदवार का चयन बड़ी चुनौती है।