ऊना : इस बार कौन सा 'सतपाल', ये बड़ा सवाल
2017 के विधानसभा चुनाव नतीजों में भाजपा का आंकड़ा 44 पहुंच गया था, पर जीते हुए उम्मीदवारों की सूची में खुद तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती का नाम नदारद था। ऊना सदर की जनता ने सत्ती की उम्मीद पर पानी फेर दिया और पांच साल के लिए सियासी जायदाद कांग्रेस के सतपाल रायजादा के नाम कर दी। लगातार तीन चुनाव जीतने के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती का चुनाव हार जाना तब बड़ा घटनाक्रम था। दरअसल, भाजपा के सीएम उम्मीदवार प्रो प्रेम कुमार धूमल भी चुनाव हार चुके थे और जाहिर है अगर सत्ती चुनाव जीते होते तो सीएम पद की दौड़ में उनका नाम भी शामिल होता। प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उनका दावा निसंदेह मजबूत रहने वाला था, मगर ऐसा हो न सका। अब इस वर्ष के अंत में फिर विधानसभा चुनाव होने है और एक बार फिर भाजपा के सतपाल का मुकाबला कांग्रेस के सतपाल से होना तय माना जा रहा है। यूँ तो दोनों तरफ टिकट के अन्य दावेदार भी है लेकिन फिलवक्त ऐसा कोई नहीं दिखता जो टिकेट की दौड़ में इन दोनों दिग्गजों को पछाड़ सके। ऊना के बढ़ते तापमान के साथ -साथ सियासी ताप भी प्रखर है और दोनों ही मुख्य उम्मीदवार अभी से दमखम सहित मैदान में टिके है।
ऊना के सियासी अतीत की बात करें तो ऊना भाजपा का मजबूत गढ़ रहा है। भाजपा के गठन के बाद 1982 में हुए पहले ही विधानसभा चुनाव में ऊना में पार्टी का खाता खुल गया था। 1977 में जनता दाल के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले देशराज 1982 में भाजपा के उम्मीदवार थे और दोबारा जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। 1985 में कांग्रेस के वीरेंद्र गौतम ने ये सीट पार्टी की झोली में डाली लेकिन 1990 फिर एक बार भाजपा के देशराज यहाँ से विधायक बने। इसके बाद 1993 में कांग्रेस के ओपी रतन और 1998 में फिर कांग्रेस के वीरेंदर गौतम ने यहाँ से जीत दर्ज की। पर 2003 में भाजपा ने सतपाल सिंह सत्ती को मैदान में उतारा और सत्ती ने जीत दर्ज की। इसके बाद 2007 और 2012 में भी सत्ती ही जीते। पर 2017 में जनता का साती से कुछ मोहभंग हुआ और कांग्रेस को जीत मिली। पर हार के बावजूद सत्ती निरंतर सक्रिय है और संभवतः इस बार भी पार्टी प्रत्याशी होंगे।
तीसरी बार आमने -सामने हो सकते है सत्ती और रायजादा :
ऊना में पिछले दो मुकाबले सतपाल रायजा और सतपाल सत्ती के बीच हुए है। 2012 में सतपाल सत्ती करीब 4700 वोट से जीते तो 2017 में सतपाल रायजादा करीब तीन हज़ार वोट से जीते। रायजादा कांग्रेस के सीएम पड़ा के प्रबल दावेदार सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी माने जाते है। बतौर विधायक उनका कामकाज ठीक ठाक है लेकिन सतपाल सिंह सत्ती की जमीनी पकड़ पर भी कोई संशय नहीं है। ये तय है कि इस बार भी यहाँ कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। ऊना में आम आदमी पार्टी पर भी नज़र रहने वाली है। ये क्षेत्र पंजाब से लगता हुआ है जहाँ आप की सरकार है। ऐसे में आप यहाँ कैसा करती है और किसके समीकरण बनाती -बिगाड़ती है , ये देखना भी रोचक होगा ।