वीरभद्र नाम संजीवनी, कांग्रेस सुमिरे दिन -रात
वीरभद्र नाम संजीवनी, कांग्रेस सुमिरे दिन -रात ...भाजपा के साधन, संसाधन और संगठन का तोड़ कांग्रेस को वीरभद्र सिंह के नाम में दिख रहा है। कांग्रेस के लिए सत्ता वापसी के धुरी पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह ही रहेंगे, इस बात पर औपचरिक मुहर लग चुकी है। तमाम गुट और तमाम नेता एक सुर में बोल रहे है कि कांग्रेस वीरभद्र सिंह के विकास मॉडल पर ही चुनाव लड़ेगी। ऐसे कई नेता भी जिनकी सियासी बिसात का आधार ही वीरभद्र सिंह का विरोध रहा है। स्पष्ट है कि आलाकमान के साथ -साथ प्रदेश के नेताओं को भी वीरभद्र सिंह के नाम पर ही चुनावी समर में उतरने में अपनी भलाई दिख रही है।
बीते दिनों शिमला के चौड़ा मैदान में हुई रैली में फिर सिद्ध हो गया कि हिमाचल कांग्रेस में अब भी वीरभद्र सिंह के बराबर सियासी वजन किसी का नहीं है, ‘राजा नहीं फकीर है, हिमाचल की तकदीर है’.. नारा अब भी असरदार है। वीरभद्र सिंह के नाम का असर उपचुनाव में स्पष्ट दिखा, अब कांग्रेस इसी नाम के सहारे सत्ता वापसी की आस में है। उधर, प्रतिभा सिंह के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का का निजी आवास हॉलीलॉज फिर एक बार प्रदेश कांग्रेस की सियासत का केंद्र बन गया है। अर्से तक वीरभद्र सिंह के निष्ठावान रहे कार्यकर्त्ता - समर्थक अब प्रतिभा सिंह का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ा रहे है। हालांकि दावेदारों की फेहरिस्त में शामिल अन्य नेताओं के समर्थक भी पीछे नहीं है।
हकीकत : संख्या बल तय करेगा सीएम !
मुख्यमंत्री बनने के लिए सभी के रास्ते खुले हैं, लेकिन इसके लिए पहले विधायक बनना जरूरी है। बहुमत मिलने पर हाईकमान ही इसे तय करेगा। चुनाव वीरभद्र मॉडल पर लड़ा जायेगा। पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता ये ही बात दोहरा रहे हैं। पर आलाकमान के साथ -साथ संख्याबल भी सीएम तय करेगा। वीरभद्र स्टाइल पॉलिटिक्स तो ये ही कहती है। ऐसे में सभी चाहवान पहले ये सुनिश्चित करना चाहेंगे कि विधानसभा में उनके निष्ठावान अधिक पहुंचे। ऐसे में जाहिर है टिकट आवंटन की भी बड़ी भूमिका होगी।