प्रशांत का इंतजार, फिर होगा बदलाव !
बैठकों का दौर जारी है और उम्मीद कायम। रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कांग्रेस में एंट्री पर राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले तमाम लोगों की निगाहें टिकी है, विशेषकर कांग्रेस के निष्ठावान अब आशावान दिख रहे है। उम्मीद है कि अगर प्रशांत की एंट्री हो गई तो शायद आवश्यक बदलाव की राह भी खुल जाएं। दरअसल ये सर्वविदित है कि कांग्रेस में टॉप टू बॉटम बदलाव जरूरी है, पर पार्टी आलाकमान मानो वक्त काट रहा है। ऐसे में खबरें सामने आ रही है कि प्रशांत किशोर ने पार्टी को पुर्नजीवित करने का ब्लूप्रिंट पेश किया है और जल्द पार्टी इस पर आगे बढ़ सकती है। खासबात ये है कि इसमें उन राज्यों को लेकर भी विशेष योजना है जिनमें इस साल के अंत में या अगले साल विधानसभा चुनाव है। इसी वर्ष के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव है, तो अगले साल कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में चुनाव है।
हिमाचल प्रदेश में पार्टी संगठन में बदलाव के कयासों के बीच पार्टी आलाकमान और रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच हो रही मैराथन बैठकों पर सबकी निगाहें टिकी है। अब प्रशांत और कांग्रेस के बीच बात बनी तो ये तय है कि हिमाचल में भी संभावित बदलाव प्रशांत किशोर के हिसाब से होंगे। शायद ये ही कारण है कि अब तक हिमाचल में पार्टी ने कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया है जबकि चुनाव में मात्र कुछ माह ही शेष है।
वीरभद्र फैक्टर अब भी असरदार :
उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन का एक बहुत बड़ा कारण स्व. वीरभद्र सिंह के प्रति सहानुभूति भी था। वीरभद्र सिंह के निधन के बाद जिस तरह का जनसैलाब उमड़ा था वैसे शायद ही कभी देखने को मिला हो। अब भी वीरभद्र सिंह के नाम का असर प्रदेश में दिखता है। वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह वर्तमान में विधायक है, तो वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह सांसद है। कुछ क्षेत्र विशेष में तो इस परिवार के प्रति लोगों का लगाव स्पष्ट दिखता है। ऐसे में जानकार मानते है कि सत्ता वापसी के लिए होलीलॉज को विशेष तवज्जो मुमकिन है। पर वंशवाद इसमें रोड़ा है। अब इसे लेकर प्रशांत किशोर की क्या सोच रहती है ये देखना रोचक होगा, बशर्ते पहले प्रशांत किशोर की एंट्री तो हो।