नूरपुर में चला निक्का का सिक्का
जिला कांगड़ा प्रदेश की सियासत का रास्ता प्रशस्त करता है और कांगड़ा के नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में सियासी पारा हमेशा से हाई रहा है। नूरपुर भाजपा के तेजतर्रार नेता राकेश पठानिया का क्षेत्र है। बावजूद इसके इस बार चुनाव से पहले ही भाजपा में काफी उठापठक और अंतर्कलह देखने को मिली। दरअसल भाजपा के जिला महामंत्री रणवीर सिंह निक्का चुनाव से पहले ही काफी सक्रिय दिखे और लगातार टिकट की मांग करते आये। निक्का ने यह तक ऐलान कर दिया था कि यदि पार्टी टिकट नहीं देती है तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। निक्का ने विभिन्न रैली और आयोजनों में उनके साथ जन समर्थन का बेहतर प्रदर्शन किया। शायद पार्टी निक्का के शक्ति प्रदर्शन से भांप चुकी थी कि निक्का अगर बागी लड़ते है तो भाजपा को इसका नुकसान होगा। नतीजन भाजपा ने रणवीर सिंह निक्का को टिकट दिया और राकेश पठानिया को फतेहपुर भेज दिया। निक्का ने बेहतरीन तरीके से चुनाव लड़ा और बड़े मार्जिन के अंतर् से कांग्रेस के प्रत्याशी अजय महाजन को हरा दिया। हालाँकि नूरपुर सीट पर तो निक्का का सिक्का चला लेकिन राकेश पठानिया फतेहपुर सीट पर चुनाव हार गए।
उधर, नूरपुर निर्वाचन क्षेत्र में पिछले चार चुनाव के नतीजों पर गौर फरमाएं तो यहाँ की जनता ने हर पांच वर्ष में बदलाव किया है। 2003 के विधानसभा चुनाव में सत महाजन ने कांग्रेस को इस सीट पर जीत दिलाई। 2007 के विधानसभा चुनाव में राकेश पठानिया आज़ाद उमीदवार के रूप में मैदान में उतरे और जीत का परचम लहराया। 2012 में कांग्रेस ने अजय महाजन पर दांव खेला और जनता ने कांग्रेस पार्टी पर विश्वास जताया। 2017 के विधानसभा चुनाव में राकेश पठानिया भाजपा में शामिल हुए और इस सीट पर भाजपा की जीत हुई। इस बार कांग्रेस ने फिर अजय महाजन को टिकट दिया था जबकि भाजपा ने निक्का को चुनावी मैदान में उतार था। इस चुनाव में नूरपुर में रणवीर सिंह निक्का ने जीत दर्ज की है और पहली बार विधानसभा पहुंचे, जबकि अजय महाजन विजय प्राप्त नहीं कर सके।