संघ के मुखपत्र में नसीहत, सिर्फ 'पीएम मोदी' और 'हिंदुत्व विचारधारा' काफी नहीं
* हिमाचल और कर्नाटक से भाजपा को सबक लेने की जरुरत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में एक एडिटोरियल छपा है, इसे लिखा है प्रफुल्ल केतकर ने। ये कर्नाटक चुनाव नतीजों का विश्लेषण है और एक किस्म से 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा को नसीहत भी। संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में बीजेपी से कहा गया कि है उसे आत्ममंथन की जरूरत है। पार्टी का बिना मजबूत आधार और क्षेत्रीय लीडरशिप के चुनाव जीतना आसान नहीं है। इसमें साफ़ लिखा गया है कि सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा और हिंदुत्व विचारधारा 2024 का रण जीतने के लिए काफी नहीं है। आगे इसमें कहा गया है कि विचारधारा और केंद्रीय नेतृत्व बीजेपी के सकारात्मक पहलू हो सकते हैं, पर ये भाजपा के लिए आत्ममंथन करने का वक्त है। एडिटोरियल में लिखा कि पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद ये पहली बार हुआ जब कर्नाटक चुनाव में बीजेपी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में थी।
बीते 6 महीनों में भाजपा सरकारों की दो राज्यों से विदाई हो चुकी है, दिसंबर में हिमाचल प्रदेश में सत्ता गवाईं और मई में कर्नाटक भी हाथ से गया। इन दोनों राज्यों में मिली हार का बड़ा कारण भाजपा का कमजोर स्थानीय नेतृत्व माना जा रहा है। भाजपा ने दोनों राज्यों में पीएम मोदी और केंद्र के मुद्दों पर चुनाव लड़ने की गलती करी, लेकिन जनता ने वोट स्थानीय मुद्दों और लीडरशिप पर दिया। नतीजन, भाजपा को हार मिली।
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से करीब एक साल पहले हुए चार उपचुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ़ हुआ था। बावजूद इसके भाजपा ने न तो सरकार में बैठे चेहरे बदले और न संगठन में बदलाव किया। विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी के धुआंधार प्रचार के बावजूद भाजपा हारी। जयराम सरकार के कई मंत्रियों के खिलाफ एंटी इंकम्बैंसी थी लेकिन भाजपा ने सबको मैदान में उतारा। एक मंत्री खुद इच्छुक नहीं थे तो उनके बेटे को मैदान में उतार दिया। इनमें से अधिकांश हार गए। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में अगर भाजपा को बेहतर करना है तो हिमाचल से सबक लेकर कई चेहरे बदलने होंगे।
वहीँ कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने स्थानीय मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दों को तरजीह दी। भ्रष्टाचार पर भी भाजपा बैकफुट पर दिखी। निसंदेह 2024 का चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जायेगा और पीएम मोदी ही फेस होंगे, लेकिन दो टर्म की एंटी इंकम्बैंसी भी भाजपा के खाते में होगी। ऐसे में स्थानीय नेतृत्व का मजबूत होना बेहद जरूरी होने वाला है। बेशक चुनाव लोकसभा का होगा लेकिन पूरी तरह स्थानीय मुद्दों को दरकिनार करना भाजपा को भारी पड़ सकता है। मौजूदा सांसदों का रिपोर्ट कार्ड देखकर ही भाजपा को प्रत्याशी तय करने होंगे।
बहरहाल मोदी राज में पहली बार संघ के मुखपत्र में भाजपा को इस तरह नसीहत दी गई है। 2024 के लोकसभा चुनाव अगर समय पर होते है तो पार्टी को उससे पहले पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने है। भाजपा को सुनिश्चित करना होगा कि हिमाचल और कर्नाटक की गलतियां न दोहराई जाएँ, विशेषकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में। वहीँ पार्टी को अपनी चुनावी रणनीति पर भी फिर मंथन करने की जरुरत है।