"वाह रे नेहरू तेरी मौज, घर में हमला बाहर फौज"...जाने सियासत के रोचक नारे
( words)
सियासत में नारों का अहम किरदार होता हैं। कुछ नारे इतने बुलंद हो जाते हैं कि उनकी सहारे चुनाव लड़े भी जाते हैं और जीते भी। ये नारे अगर चल जाएँ तो हवा भी बदलते हैं और कार्यकर्ताओं को जोश से लबरेज भी करते है। नारों से ही राजनैतिक दलों की विचारधारा और मुद्दों का भी पता चलता है। आजादी के बाद से अब तक कई ऐसे नारे हैं जिन्होंने हिंदुस्तान की राजनीति में चाप छोड़ी हैं। कई नारे बेहद सफल रहे तो कई पूरी तरह विफल। आपको बताते हैं ऐसी ही चुनिंदा दस नारों के बारे में...
"वाह रे नेहरू तेरी मौज, घर में हमला बाहर फौज"
चीन युद्ध के बाद 1962 में तीसरे लोकसभा चुनाव में जनसंघ ने ये नारा दिया था। हालांकि कांग्रेस फिर सत्ता पर काबिज हुई।
"गरीबी हटाओ"
1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ के नारे को भुनाया था। इंदिरा को जबरदस्त समर्थन मिला और उन्होंने सत्ता में शानदार वापसी की।
"इंदिरा हटाओ, देश बचाओ"
जनता पार्टी ने आपातकाल में इंदिरा गाँधी के खिलाफ ये नारा दिया था। तब कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हुआ और खुद इंदिरा गाँधी भी चुनाव हार गई।
"सबको देखा बारी-बारी, अबकी बार अटल बिहारी"
1998 में ये भाजपा का नारा था और भाजपा सबसे बड़ा दल बनी। चुनाव के बाद अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।
"इंडिया शाइनिंग"
2004 में लोकसभा चुनाव में ये भाजपा का नारा था। अटल जीत को लेकर आश्वस्त थे और केंद्र ने समय से पहले चुनाव करवा दिए। किन्तु जनादेश उलट आया।
"कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ"
2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का मुख्य नारा था। ये भाजपा के "इंडिया शाइनिंग" पर भारी पड़ा।
"हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश है"
2007 में उत्तर प्रदेश में मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने ये नारा दिया था। पहली बार बसपा को सवर्ण वोट भी मिले और मायावती सत्ता में लौटी।
"अच्छे दिन आने वाले हैं"
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने ये नारा दिया था और इसका भरपूर असर दिखा।
"हर हर मोदी, घर घर मोदी"
2014 के ही लोकसभा चुनाव में भाजपा ने ये नारा भी दिया था। नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता चरम पर थी और ये नारा बच्चे -बच्चे की जुबान पर।
"चौकीदार चोर हैं"
2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस ने ये नारा दिया था , लेकिन ये उल्टा पड़ा। चुनाव में कांग्रेस का सफाया हो गया और इस नारे को देने वाले राहुल गाँधी खुद अमेठी सीट से चुनाव हार गए।
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