वीरभद्र नाम सहारे चुनावी भव सागर तरने की तैयारी
अगर सत्ता मिली, तो दिलचस्प होगा चुनाव के बाद का चुनाव
सियासी जुदाई का दंश झेल रहे होलीलॉज के निष्ठावानों में एक नई ऊर्जा का प्रवाह होता दिखाई दे रहा है। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक देख बीते दिनों कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और लोकसभा सांसद प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। दरअसल, वर्तमान परिवेश में कांग्रेस के पास वीरभद्र सिंह की विरासत पर भरोसा करने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं दिख रहा था। विशेषकर उपचुनाव में वीरभद्र सिंह के नाम का असर साबित होने के बाद तो ये तय था कि पार्टी आलाकमान जो भी निर्णय लेगा उसमें होलीलॉज को तवज्जो मिलेगी, और हुआ भी ऐसा ही। हालांकि प्रदेश की सरदारी संभालने के लिए महत्वाकांक्षी नेताओं की फेहरिस्त लम्बी थी और इनमें कई दमदार नेता शामिल थे। ऐसे में पार्टी में अंतर्कलह की स्थिति पैदा न हो इसके लिए पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी महत्वपूर्ण पद सौंपे गए है। मुकेश अग्निहोत्री का नेता प्रतिपक्ष के लिए पद बरकरार रखा गया, तो सुखविंद्र सिंह सुक्खू को चुनाव प्रचार समिति की कमान सौंपी गई। अलबत्ता अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी अहम् जिम्मेदारियां देकर संतुलन साधने का प्रयास किया गया है, पर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि नई कार्यकारिणी में भी वीरभद्र कैंप की मौजूदगी अधिक दिखती है। यानी वीरभद्र सिंह के नाम का असर और रसूख बरकरार दिख रहा है।
कांग्रेस की नई कार्यकारिणी में शामिल चारों कार्यकारी अध्यक्ष वीरभद्र सिंह के समर्थक माने जाते है। चम्बा से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हर्ष महाजन होलीलॉज के करीब है और सिर्फ वे कई बार वीरभद्र सिंह के चुनाव प्रभारी भी रह चुके है। कहते है कि साल 2012 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाने में हर्ष महाजन का सबसे बड़ा योगदान रहा है। इसके अतिरिक्त पवन काजल, राजेंद्र राणा और विनय कुमार भी वीरभद्र सिंह के समर्थक रहे है। पवन काजल तो वीरभद्र सिंह के पसंदीदा नेताओं में से एक थे और उन्हें कांग्रेस में लाने वाले भी वीरभद्र सिंह ही थे। पिछले लोकसभा के दौरान वीरभद्र ने स्वयं फील्ड पर उतर कर उनके लिए वोट भी मांगे थे। वहीं शिलाई विधानसभा क्षेत्र से विधायक हर्षवर्धन चौहान को विधानसभा में डिप्टी सीएलपी लीडर बनाया गया है। हर्षवर्धन चौहान शिलाई विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक बने हैं। वह पूर्व वीरभद्र सरकार में मुख्य संसदीय सचिव भी रह चुके हैं। वे वीरभद्र के करीब न सही लेकिन उनसे दूर भी नहीं है। पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से वीरभद्र सिंह के पक्के समर्थक रहे जीआर मुसाफिर को एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में उपाध्यक्ष बनाया गया है। गंगूराम मुसाफिर पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के खासमखास सिपाही रहे हैं। चीफ व्हिप बनाए गए जगत सिंह नेगी, सीनियर वाइस प्रेजिडेंट इंद्र दत्त लखनपाल और कुल्लू से विधायक सुंदर सिंह ठाकुर भी इसी खेमें के माने जाते है।
इन सभी के अलावा कार्यकारिणी में शामिल कई अन्य नेता भी वीरभद्र सिंह के करीबी रहे है जिसमें आशा कुमारी, मुकेश अग्निहोत्री, आशीष बुटेल और सुधीर शर्मा के नाम शामिल है। यहाँ ये जहन में रखना भी जरूरी है कि वर्तमान में मुकेश अग्निहोत्री की अपनी लॉबी है, कई विधायक उनके समर्थक है। पर इसका मतलब ये भी नहीं अग्निहोत्री होलीलॉज से दूर हो गए है। ये सियासत है, आपस में मिली भगत से बड़े मुकाम हासिल किये जा सकते है। इसमें कोई संशय नहीं कि अगर कांग्रेस सत्ता में लौटी तो चुनाव के बाद का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा।