कमरा नंबर 202 का रिवाज बरकरार, मारकंडा भी हारे
एक बार फिर राज्य सचिवालय के कमरा नंबर 202 का इतिहास बरकरार रहा। बीते करीब ढाई दशक का इतिहास बताता है कि कमरा नंबर 202 में बैठने वाले कैबिनेट मंत्री जीतकर वापस विधानसभा नहीं पहुंचते और इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। सचिवालय के कमरा नंबर 202 में बैठने वाले पूर्व मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा इस बार चुनाव हार गए। अब प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता वापसी हो चुकी है और ये कमरा नंबर 202 फिर चर्चा में आ गया है। बहरहाल सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस बार इस कमरे में कौन बैठेगा ? जो मंत्री कमरा नंबर 202 में बैठकर सरकार का कामकाज निपटाएगा क्या अगली बार चुनाव जीत पायेगा ? इन सभी सवालों का जवाब देना तो मुश्किल है, लेकिन इतना ज़रूर है कि जो विधायक मंत्री पद को लेकर आश्वस्त हैं, उनके समर्थक उन्हें इस कमरे में न बैठने की सलाह दे रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश राज्य सचिवालय का कमरा नंबर 202 वो कमरा है जिसमें बैठने वाला मंत्री अगला चुनाव हार जाता है। इस कमरे में मंत्री बनने पर जगत प्रकाश नड्डा, आशा कुमारी, नरेंद्र बरागटा और सुधीर शर्मा भी बैठे है और ये सभी तत्कालीन मंत्री रहते हुए अगला चुनाव हार गए। गौरतलब है कि वर्ष 1998 से 2003 तक तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री एवं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा इस कमरे में बैठे। नड्डा 2003 का चुनाव हार गए। फिर वीरभद्र सरकार में मंत्री रही आशा कुमारी 2007 का विधानसभा चुनाव हार गई। 2007 में प्रदेश में फिर धूमल सरकार बनी और नरेंद्र बरागटा कैबिनेट मंत्री बने और इसी कमरे में बैठे। बरागटा भी 2012 का चुनाव हार गए। इसके बाद वीरभद्र सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे सुधीर शर्मा भी इस कमरे में बैठे और 2017 का विधानसभा चुनाव हार गए। वहीं इस बार जयराम सरकार में मंत्री रहे डॉ रामलाल मारकंडा चुनाव हारे है जो इसी कमरा नंबर 202 में बैठते थे।
मारकंडा ने बताया था अंधविश्वास
पूर्व मंत्री डॉ. राम लाल मारकंडा की भी इस कमरे के ग्रहण से बच नहीं पाए है। लाहुल स्पीति से इस बार चुनाव लड़े मारकंडा को कांग्रेस के रवि ठाकुर ने 1616 वोट से शिकस्त दी है। 2017 में जब डॉ. रामलाल मारकंडा को मंत्री पद मिला और उन्हें कमरा नम्बर 202 अलॉट हुआ तो उन्होंने इसे अंधविश्वास ही बताया था। पर अब इसे अंधविश्वास कह लीजिये या फिर कुछ और, इस कमरे की परम्परा अब भी बरकरार है।