चाय वाले से मुकाबले में क्या जनारथा लेंगे जीत की चुस्की !
** भाजपा ने सुरेश भारद्वाज की जगह संजय सूद को दिया टिकट
** कांग्रेस में इस बार बागी नहीं, सीपीआईएम भी मैदान में
शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र वर्तमान शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज का गढ़ रहा है। भारद्वाज इस क्षेत्र से चार बार चुनाव जीत चुके है। मगर इस बार भाजपा ने भारद्वाज का टिकट बदल कर उन्हें कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र भेज दिया। भारद्वाज ने कसुम्पटी से चुनाव लड़ा और शिमला शहरी से भाजपा ने एक नए चेहरे संजय सूद को मैदान में उतार दिया। एक चाय वाले यानी भाजपा प्रत्याशी संजय सूद के मैदान में होने से शिमला शहरी सीट के चर्चे प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में हुए। वहीं कांग्रेस ने भी पिछली बार की अपनी गलती को सुधारा है और हरीश जनारथा को मैदान में उतारा है। जबकि इस बार माकपा ने इस विधानसभा क्षेत्र से टिकेंद्र पंवर को मैदान में उतारा है।
2017 में इस विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने आनंद शर्मा के करीबी हरभजन भज्जी को टिकट दिया था। इस बात से नाराज होकर वीरभद्र सिंह के करीबी रहे कांग्रेस नेता हरीश जनारथा ने बगावत की और निर्दलीय तौर पर मैदान में उतर गए। केवल हरीश जनारथा ही इस टिकट आवंटन से असंतुष्ट नहीं थे, बल्कि कई पार्षद ओर कांग्रेस के कई कार्यकर्त्ता भी उनके साथ खड़े हो गए थे। इसके अलावा माकपा की ओर से शिमला नगर पालिका के पूर्व महापौर संजय चौहान भी मैदान में थे। तब जीत बीजेपी प्रत्याशी सुरेश भारद्वाज की हुई, जबकि दूसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी हरीश जनारथा रहे। सुरेश भारद्वाज को कुल 14,012 मत मिले, जबकि जनार्था को 12,109 मत मिले। तीसरे स्थान पर माकपा के संजय चौहान रहे थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी हरभजन सिंह भज्जी सिर्फ 2680 मत पाकर चौथे स्थान पर रहे थे। बीते चुनाव में यहां कांग्रेस अपनी ज़मानत भी नहीं बचा पाई थी, मगर इस बार हालत बदले हुए है।
जीत की हैट्रिक लगा चुके है भारद्वाज :
शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का खासा प्रभाव दिखता रहा है। इस क्षेत्र में साल 1967 से 1982 तक चार बार दौलत राम विधायक रहे। इसके बाद 1985 में हुए चुनाव में इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हरभजन सिंह भज्जी विधायक बने। साल 1990 में इस क्षेत्र से सुरेश भारद्वाज बतौर भाजपा प्रत्याशी पहली बार विधायक बने। साल 1993 में माकपा के तेज़तर्रार नेता राकेश सिंघा भी शिमला से विधायक रह चुके है। 1996 में हुए उपचुनाव में इस क्षेत्र में कांग्रेस की जीत हुई और आदर्श कुमार विधायक बने। इसके बाद 1998 में हुए चुनाव में भाजपा से नरेंद्र बरागटा की जीत हुई। साल 2003 में कांग्रेस ने एक बार फिर हरभजन सिंह भज्जी को टिकट दिया और वे ये चुनाव जीत गए। इसके बाद 2007 , 2012 और 2017 के चुनाव में लगातार भाजपा से सुरेश भारद्वाज ही विधायक चुन कर आते रहे है।
मौजूदा चुनाव की बात करें तो यहां भाजपा ने नए उम्मीदवार संजय सूद को मैदान में उतारा है। सम्भवतः भाजपा को लगा हो कि सुरेश भारद्वाज के लिए क्षेत्र में एंटी इंकम्बैंसी है और इसी लिए पार्टी ने ये फेरबदल किया है। वहीं कांग्रेस ने हरीश जनारथा को मैदान में उतारा है जो लगातार सक्रीय रहे है। कांग्रेस से इस बार कोई बागी मैदान में नहीं है जिसका लाभ पार्टी को होता दिख रहा है। यहां सीपीआईएम भी मौजूदगी दर्ज करवाती दिख रही है। बहरहाल यहां हरीश जनारथा इस बार जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहे है।