हिमाचल में नहीं हाे सकता कोई दूसरा वीरभद्र सिंह: राजीव शुक्ला
छह दफे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के निधन के बाद प्रदेश कांग्रेस में ऐसा कोई कद्दावर नेता नहीं दिख रहा है, जो उनके निधन के बाद उपजे शून्य को भर सके। ये पार्टी के लिए खतरे की घंटी है। आज विरोधी दल ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के अपने नेता भी यही मान रहे हैं कि हिमाचल में वीरभद्र सिंह जैसा नेता कोई नहीं हाे सकता। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी राजीव शुक्ला खुद भी यही मानते हैं। निसंदेह वीरभद्र सिंह का जाना हिमाचल कांग्रेस की राजनीति काे करारा झटका है। उनके बाद ऐसा कोई नेता नहीं दिख रहा जो सबको स्वीकार्य हो, यानी कांग्रेस राह बहुत कठिन होने वाली है। वीरभद्र सिंह के बगैर कांग्रेस स्थिति, पार्टी नेतृत्व, आगामी चार उपचुनाव, 2022 की तैयारी और पार्टी संगठन और हावी गुटबाजी जैसे कई अहम मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला से चर्चा की, पेश है उसके अंश...
सवाल: वीरभद्र सिंह नहीं रहे, ताे ऐसे में उनके बाद प्रदेश कांग्रेस के पास क्या विकल्प है ? ऐसा कोई नेता आप मानते है जो पार्टी में दम भर सके, जो उनका स्थान ले सके ?
जवाब: वीरभद्र सिंह के जाने से हिमाचल ही नहीं पूरे देश की राजनीति काे क्षति हुई है। हिमाचल में कोई दूसरा वीरभद्र सिंह नहीं हाे सकता है। पूर्व में वे हिमाचल के छह बार मुख्यमंत्री रहे और केंद्र में कई बार मंत्री रहे, लेकिन आज पूरे देश ने विकास पुरुष खो दिया। हालांकि कई नेता तैयार होते हैं, लेकिन वीरभद्र जैसे नेक, विकासशील नजरिये वाला, सबको साथ लेकर चलने वाला नेता हिमाचल में कोई हाे नहीं सकता। वीरभद्र सिंह के चले जाने से प्रदेश कांग्रेस में जो शून्य उपजा है उसे भरने में समय लग सकता हैं। हिमाचल में कई वरिष्ठ नेता हैं, अब उन्हें साथ मिलकर संगठन काे और मजबूत करने की जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। मुझे अभी तक याद है कि वीरभद्र सिंह के फैसले काे पार्टी हाईकमान भी इनकार नहीं करता था। उन जैसा मजबूत और ताकतवर शायद कोई दूसरा न हो। राजनीति से लेकर अफसरशाही को काबू में रखने वाला ऐसा बेमिसाल नेता शायद ही कोई मिलेगा। फिलहाल उनके बगैर हमें संगठन काे और सशक्त करने के लिए एकजुट होकर काम करना पड़ेगा।
सवाल: अब तक वीरभद्र सिंह खुद ही एक चेहरा थे, उनके बगैर प्रदेश कांग्रेस अगले चुनाव में भाजपा काे कैसे टक्कर देगी?
जवाब: यह बात बिलकुल सही है कि प्रदेश कांग्रेस में अब तक वीरभद्र सिंह ही अकेले चेहरा थे, जिन्होंने अपने दम पर भी पार्टी काे सत्ता तक पहुंचाया। उनकी कमी प्रदेश की राजनीति में जरूर खलेगी, मगर हमें विरोधी राजनीतिक दलों काे पराजित करने एवं मुंह तोड़ जवाब देने के लिए वीरभद्र सिंह द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलना हाेगा। अगले साल चुनाव भी है और उससे पहले हिमाचल में चार उपचुनाव होने हैं। इसके लिए हमें दिन -रात मेहनत करनी हाेगी। वीरभद्र सिंह किस तरह से काम करते थे, उसी तर्ज पर सभी वरिष्ठ नेताओं काे काम करना पड़ेगा। सिर्फ भाजपा काे टक्कर देने की बात नहीं, बल्कि उसे पराजित करने के लिए कांग्रेस के पास पूरा तंत्र है। आज पूरा देश आहत है कि मोदी सरकार क्या कर रही है? सात साल से लाेगाें ने अच्छे दिन नहीं देखे। प्रदेश सरकार भी पूरी तरह विफल है।
सवाल: कांग्रेस में पहले से ही गुटबाजी हावी रही है, ये कैसे शांत होगी ?
जवाब: पूर्व में क्या रहा, क्या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मगर वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के सभी नेता एकजुट हैं और आगामी रणनीति के लिए हर राेज रूपरेखा तैयार की जाती है। कांग्रेस में गुटबाजी नहीं हैं, बल्कि प्रदेश भाजपा में यह परंपरा चरम सीमा पर है। आज भाजपा के दूसरे गुट के नेता सीएम जयराम ठाकुर से खुश नहीं हैं। उनकी सरकार में कुछ मंत्री भी गुटबाजी का शिकार हाे चुके हैं। मैं साफ कहना चाहूंगा कि हिमाचल कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं हैं। हाईकमान के आदेशों का पालन हाे रहा है और सभी संगठन की मजबूती के लिए मेहनत कर रहे हैं।
सवाल: हिमाचल में 4 उपचुनाव होने हैं, इस वक्त कांग्रेस कहां पर खड़ी है?
जवाब: हिमाचल में होने वाले 4 उपचुनाव के लिए कांग्रेस पूरी तरह से तैयार हैं। पहले ताे तीन ही उपचुनाव तय थे, लेकिन दुर्भाग्य से वीरभद्र सिंह जी के निधन के बाद अब अर्की विधानसभा क्षेत्र में भी उपचुनाव होना है। मंडी संसदीय क्षेत्र समेत फतेहपुर, जुब्बल-कोटखाई और अर्की में जब भी उपचुनाव की तिथि घोषित होगी कांग्रेस अपने प्रत्याशियों काे मैदान में उतार देगी। 2019 के लाेकसभा चुनाव में हम किन कारणाें से हारे उन सभी खामियों काे ध्यान में रखते हुए मेहनत कर रहे हैं। कांग्रेस पूरी ताकत के साथ खड़ी है और मंडी संसदीय क्षेत्र के साथ तीनों विधानसभा उपचुनाव पर कांग्रेस की ही जीत तय है। काश वीरभद्र सिंह जी हाेते ताे संगठन में और जान आ जाती।
सवाल: भाजपा ने मिशन रिपीट के लिए अभी से ही ताकत झोंक दी, कांग्रेस ने कोई रोडमैप तैयार किया है?
जवाब: अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा मिशन रिपीट का सपना ही देख रही है, जाे कभी साकार नहीं हाे सकता। इस वक्त भाजपा सत्ता में हैं ताे ताकत झोंकेंगी, लेकिन कांग्रेस कभी दिखावा नहीं करती है। हमने जमीनी स्तर पर रूपरेखा तैयार कर दी है। बीते दिनों धर्मशाला, कांगड़ा और ऊना में बैठक हुई जिसमें सभी पदाधिकारियों से फीडबैक लिया। जल्द ही मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में भी बैठक की जाएंगी। इसके साथ-साथ जुब्बल-कोटखाई, फतेहपुर और अर्की विधानसभा क्षेत्र के लिए सशक्त प्रत्याशियों की तलाश भी जारी है। उपचुनाव की घोषणा होते ही हम उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर देंगे। फतेहपुर और अर्की विधानसभा सीट कांग्रेस के पास ही थी। जबकि जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र और मंडी संसदीय क्षेत्र में हम और अधिक मेहनत करेंगे। जहां तक उपचुनाव के लिए टिकट का सवाल है, पार्टी हाईकमान ही इस पर फैसला करेगा। हिमाचल की जनता उपचुनाव में भाजपा को आईना दिखाएगी और 2022 के चुनाव में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेगी।