बिंदल दरकिनार पर सिरमौर का रसूख बरकरार
मात्र पांच विधानसभा सीटाें वाले जिला सिरमौर का कद प्रदेश की राजनीति में तेजी से बढ़ा है। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ यशवंत सिंह परमार सिरमौर से ही ताल्लुख रखते थे लेकिन उनके बाद प्रदेश की सियासत में सिरमौर को उचित स्थान तो मिला पर सिरमौर सियासत के शिखर तक नहीं पहुंचा। पर अब जयराम राज में सियासत के गगन पर सिरमौर का सितारा फिर चमका है। हालांकि पांच विधानसभा सीट वाले इस जिला में भाजपा ने 2017 में तीन सीटें ही जीती थी, पर सरकार और संगठन दोनों में सिरमौर का जलवा दिखा है। वर्तमान में जिला सिरमौर से एक मंत्री तो है ही, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और शिमला संसदीय क्षेत्र से सांसद भी सिरमौर से है। कई बॉर्ड निगमों में भी सिरमौर को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है।
दिलचस्प बात ये है कि भाजपा के तेजतर्रार नेता और नाहन विधायक डॉ राजीव बिंदल एक किस्म से पूरी तरह साइडलाइन है, न सरकार में उन्हें अहमियत दी जा रही है और न ही संगठन में कोई महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी। उन्हें दरकिनार कर जयराम राज में कई अन्य नेताओं की ताकत बढ़ी है जिससे समीकरण संतुलित रह सके। 2017 के चुनाव में नाहन, पांवटा साहिब और पच्छाद सीट पर भाजपा को जीत मिली ताे नाहन विधायक डा. राजीव बिंदल काे विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी मिली।हालांकि तब प्रो प्रेमकुमार धूमल के चुनाव हारने के बाद बिंदल भी सीएम पद के दावेदारों में थे, पर राजनैतिक बिसात पर वे पिट गए और उन्हें कैबिनेट मंत्री तक का पद नहीं दिया गया। सांत्वना स्वरुप तब उन्हें माननीय विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया था। पर 2019 में डॉ राजीव बिंदल ने स्पीकर पद से इस्तीफा दिया और उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिल गई। पर साल 2020 में काेविड-19 के दौर में स्वास्थ्य विभाग घाेटाले के चलते डा. बिंदल काे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा देना पड़ा। पर पार्टी ने उनका रिप्लेसमेंट भी सिरमौर से ही ढूंढा। सांसद सुरेश कश्यप काे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का ज़िम्मा मिल गया। सिरमौर काे तवज्जो मिलने का सिलसिला जारी रहा और पिछले साल मंत्रिमंडल विस्तार में पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुखराम चाैधरी काे मंत्री की कुर्सी मिल गई। यहीं से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला सिरमौर काे सरकार और संगठन में विशिष्ट स्थान प्राप्त है।
सुरेश कश्यप बने प्राइम फेस :
पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे सुरेश कश्यप काे भाजपा ने 2019 में लाेकसभा चुनाव के मैदान में उतारा और उन्होंने शानदार जीत दर्ज की। शिमला संसदीय क्षेत्र से पहली बार सिरमौर का कोई नेता सांसद बना। उसके बाद हुए उपचुनाव में संगठन ने एक युवा महिला नेता काे टिकट के काबिल समझा और रीना कश्यप काे पच्छाद उपचुपनाव में जीत मिली। हालांकि भाजपा से बागी उम्मीदवार दयाल प्यारी भी मैदान में थी पर यहां भी सुरेश कश्यप ने जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर अपनी काबिलियत सिद्ध की। इसके बाद 2020 में डॉ राजीव बिंदल के इस्तीफा देने के बाद अपनी स्वच्छ छवि और सीएम जयराम ठाकुर से नजदीकी के बुते सुरेश कश्यप भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने में कामयाब रहे।
पच्छाद में दयाल प्यारी फैक्टर पर रहेगी नजरें :
पच्छाद उपचुनाव में भाजपा की बागी रही दयाल प्यारी अब कांग्रेस में शामिल हो चुकी है। यहां से कांग्रेस के लिए हार की हैट्रिक लगा चुके वरिष्ठ नेता गंगूराम मुसाफिर की जगह पार्टी 2022 में दयाल प्यारी को मौका दे सकती है। माना जाता है कि मुसाफिर को वीरभद्र सिंह का करीबी होने के नाते मौके मिलते आ रहे थे, पर अब वीरभद्र सिंह के निधन के बाद स्तिथि बदल चुकी है। ऐसे में भाजपा और सुरेश कश्यप के लिए 2022 में पच्छाद जीतना मुश्किल हो सकता है। वैसे पच्छाद में भाजपा की स्तिथि कुछ कमजोर जरूर हुई है, जिला परिषद और स्थानीय निकाय के नतीजे भी इसकी तस्दीक करते है।
आसान नहीं होगी 2022 की राह :
मंत्री सुखराम चौधरी के क्षेत्र पावंटा साहिब में भीतरखाते मंत्री की मुखालफत की झलकियां अभी से दिखने लगी है। निकाय चुनाव में भी भाजपा को मनमाफिक नतीजे नहीं मिले थे। नाहन में जरूर डॉ राजीव बिंदल खुद को साबित करते आ रहे है लेकिन मौजूदा स्तिथि में वे पूरी तरह हाशिए पर दिख रहे है। रेणुकाजी और शिलाई में फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है और 2022 के लिए अभी से भाजपा को यहां कड़ी तैयारी करनी होगी।