सोलन : सड़क के मुद्दों को बंद कमरे से उठाकर खानापूर्ति कर रही जिला कांग्रेस !
बंद कमरों में चर्चा और ज़ीरो कोर्डिनेशन, जिला सोलन कांग्रेस की कार्यशैली की इससे बेहतर व्याख्या नहीं हो सकती। निकाय चुनाव की जंग शुरू हो चुकी है पर कांग्रेस संगठन के हाल देखकर लगता नहीं है की पार्टी की मौजूदा ब्रिगेड बेडा पार लगा पाएगी। जिला संगठन की सक्रियता मीटिंग्स तक ही सिमित दिख रही है। जिला अध्यक्ष से पार्टी की अपेक्षा मैदान में उतर कर लीड करने की होती है। खासतौर से जब पार्टी विपक्ष में है तो अपेक्षा ये ही है की संगठन सड़क पर उतर सरकार की नाकामियां उजागर करे, पर जिला कांग्रेस अब तक ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है।
जिला मुख्यालय सोलन की बात करें तो यहाँ कांग्रेस की शहरी इकाई ही कुछ हद तक सक्रीय दिखती है। जिला मुख्यालय होने के बावजूद यहाँ कांग्रेस की जिला इकाई का होना न होना एक ही बात है। जिला कांग्रेस कभी कभार पत्रकार वार्ता कर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने का प्रयास करती है, पर दिलचस्प बात तो ये है की अकसर इस बारे में उनकी शहरी इकाई को भी जानकारी नहीं होती। अब आप तालमेल का अंदाजा खुद लगा सकते हैं। जो मुद्दे सड़क पर उतर कर उठाए जाने चाहिए उन्हें जिला कांग्रेस का बंद कमरे से उठाने का प्रयास महज खानापूर्ति से ज्यादा नहीं है। अमूमन जिला के सभी क्षेत्रों में कांग्रेस का ऐसा ही हाल है। एकाध अपवाद है, पर वहां स्थानीय नेता जिला संगठन के भरोसे नहीं है बल्कि खुद मोर्चा संभाले हुए है।
मौजूदा जिला अध्यक्ष की पार्टी कार्यकर्ताओं में कितनी स्वीकार्यता है, इसे लेकर भी सबकी अपनी-अपनी राय है। पर एक बात तय है की यदि कांग्रेस को वापसी करनी है तो संगठन में लगे जंग को अतिशीघ्र हटाना अनिवार्य है। साथ ही संगठन में ऐसे लोगों को लाने की आवश्यकता है जिनकी कार्यशैली में आक्रामकता भी हो और सभी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर फ्रंट फुट से पार्टी को लीड कर सके।