जीत का चौका लगाने के इरादे से मैदान में है सैजल
थोड़े शिकवे भी है, कुछ शिकायत भी है, लेकिन नाराज़गी इस कदर नहीं दिखती कि साथ छोड़ दिया जाए। डॉ राजीव सैजल और कसौली में उनका साथ देते आ रहे लोगों के बीच का सम्बन्ध कुछ ऐसा ही दिख रहा है। यहाँ जीत की हैट्रिक लगा चुके डॉ राजीव सैजल अब जीत का चौका लगाना चाहते है और लगातार उनका जनसम्पर्क जारी है। सैजल स्वास्थ्य मंत्री है तो जाहिर है कि लोगों की अपेक्षाएं भी उनसे बढ़ी है, और सैजल ने उन पर खरा उतरने का प्रयास भी किया है। बावजूद इसके अगर कहीं कुछ ठसक है भी, तो डॉ राजीव सैजल के सामने आने से दूर हो जाती है। दरअसल डॉ सैजल न सिर्फ ईमानदार नेता के तौर पर जाने जाते है, बल्कि उनका सरल व्यक्तित्व उन्हें सीधे लोगों से जोड़ता है। बड़ों के पाँव छूकर सैजल जीत का आशीर्वाद ले रहे है तो छोटो को झप्पी डालकर अपना बनाने का हुनर उन्हें बखूबी आता है। ये ही कारण है कि इस बार भी चौथी बार मैदान में होने के बावजूद कसौली में उनका दावा दमदार है।
कसौली के इतिहास पर निगाह डाले तो लम्बे समय तक इस सीट पर कांग्रेस का कज्बा रहा और 2007 में डॉ राजीव सैजल ने सीट कांग्रेस से छीनी। तब से अब तक सैजल ने यहाँ कांग्रेस को वापसी नहीं करने दी। हालांकि इस क्षेत्र में कांग्रेस का अच्छा काडर है, और पिछले डॉ चुनाव डॉ सैजल मामूली अंतर से जीते है, पर जीत तो आखिरकार जीत होती है। सैजल इस बार भी जीत को लेकर आश्वस्त है। सैजल साफ कहते है कि लगातार पंद्रह साल के बाद भी लोगों का उनसे कोई मोहभंग नहीं हुआ है। वे जितने सरल तब थे, उतने ही आज है और सदा ऐसे ही रहेंगे। कसौली कि जनता उनके लिए वोटर नहीं, उनका परिवार है। बहरहाल कसौली का दिल फिर से सैजल जीत पाते है या नहीं, ये तो आठ दिसंबर को ही पता चलेगा। पर नतीजा जो भी हो सैजल को यहाँ कम आंकना विरोधियों के लिए भूल सिद्ध हो सकती है। वैसे भी बीते चुनाव में अति आत्मविश्वास उनके विरोधियों को भारी पड़ा है।