यूं ही नहीं कहते 'राजा'... महिला ने किराया मांगा तो वीरभद्र सिंह ने उसे हेलीकॉप्टर में चंबा पहुंचाया

पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह को यूं ही 'राजा' नहीं कहा जाता था। वे सच में हिमाचल प्रदेश की जनता के दिलों पर राज करते थे। जनता के प्रति उनकी सच्ची निष्ठा के कई किस्से हैं, जो यह साबित करते हैं कि वीरभद्र सिंह सबसे अलग थे। एक ऐसा ही दिल छू लेने वाला किस्सा आज भी लोगों के दिलों में ताजा है। यह घटना कई साल पहले फरवरी महीने की एक सर्द सुबह की है। हिमाचल प्रदेश में उस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, खासकर गरीबों के लिए यह मौसम और भी कठिन था। इसी बीच, एक गरीब महिला अमरो देई, जो चंबा से शिमला पहुंची थी, वीरभद्र सिंह से मिलने आई। अमरो देई वही महिला थी, जिसे वीरभद्र सिंह ने ही स्कूल में जलवाहक की नौकरी दिलवाई थी। अब, उसकी समस्या यह थी कि स्कूल के कुछ लोग उसे तंग कर रहे थे और उसने अपना स्कूल बदलवाने का निर्णय लिया था। अपनी समस्या का समाधान ढूंढने के लिए वह शिमला आई थी, और उसे उम्मीद थी कि 'राजा साहब' ही उसकी मदद करेंगे।
वीरभद्र सिंह ने पहले महिला की समस्या हल की और फिर उससे पूछा कि अब वह कहां जाना चाहती है। अमरो देई ने कहा कि उसे चुवाड़ी जाना है, लेकिन उसके पास यात्रा के लिए पैसे नहीं हैं। वीरभद्र सिंह ने उसे एक हजार रुपये दिए और कहा, "चिंता मत करो, तुम मेरे साथ चल सकती हो। मैं भी चंबा जा रहा हूं, रास्ते में तुम्हें चुवाड़ी छोड़ दूंगा।"
महिला ने हैरान होकर पूछा, "क्या आप बस से जा रहे हैं?" वीरभद्र सिंह मुस्कराए और बोले, "नहीं, मैं हेलीकॉप्टर में जा रहा हूं और तुम भी मेरे साथ हेलीकॉप्टर में बैठोगी।"
फिर क्या था, वीरभद्र सिंह का एक शब्द किसी आधिकारिक आदेश से कम नहीं था। महिला को मुख्यमंत्री के काफिले के साथ होली लॉज से अनाडेल हेलीपैड तक लाया गया, और वह हेलीकॉप्टर से मुख्यमंत्री के साथ चंबा के लिए रवाना हुई। हेलीकॉप्टर सिंहुता में लैंड हुआ, जिसके बाद वीरभद्र सिंह ने निर्देश दिए कि महिला को काफिले की गाड़ी में बैठाकर चुवाड़ी छोड़ दिया जाए। इस तरह, महिला का घर लौटने का खर्च भी बच गया, और जो पैसे उसके पास नहीं थे, वह भी वीरभद्र सिंह ने खुद दिए। इसके अलावा, स्कूल में उसकी समस्या का समाधान भी वीरभद्र सिंह ने एक फोन कॉल पर कर दिया।