त्रिकोणीय मुकाबला संभावित, हरमेल की मौजूदगी क्या गुल खिलाएगी
विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और प्रदेश में कभी भी आचार संहिता लग सकती है। माना जा रहा है कि नवंबर की शुरुआत में प्रदेश में मतदान हो सकता है। तमाम 68 विधानसभा सीटों पर चुनावी समां बंध चूका है और इन्ही में से एक सीट है कसौली, जिसे हॉट सीट माना जा रहा है। दरअसल ये प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल का निर्वाचन क्षेत्र है, वे यहाँ से लगातार तीन बार विधायक बन चुके है और संभवतः चौथी बार चुनाव लड़ने के लिए मैदान में हो। पर इस बार डॉ राजीव सैजल की राह आसान नहीं दिख रही, दरअसल मंत्री बनने के बाद लोगों की उनसे अपेक्षाएं काफी बढ़ गई और इन अपेक्षाओं के बोझ पर वे खरे उतरे या नहीं, ये फैक्टर ही चुनाव के नतीजे तय करेगा। पिछले तीन चुनाव के नतीजों पर नज़र डाले तो 2007 में डॉ राजीव सैजल नए कैंडिडेट थे और उनका मुकाबला वीरभद्र सरकार के मंत्री और कसौली के दिग्गज नेता रघुराज से था। पर एंटी इंकम्बैंसी रघुराज पर भारी पड़ी और सैजल आसानी से चुनाव जीत गए। हालांकि इससे अगले दो चुनाव डॉ सैजल हारते -हारते बचे है और दोनों ही बार उनका मुकाबला था विनोद सुल्तानपुरी से, जो इस बार फिर कांग्रेस के कैंडिडेट हो सकते है। जाहिर है विनोद को लेकर क्षेत्र में कुछ सहानुभूति है और डॉ सैजल के लिए एंटी इंकम्बैंसी, ऐसे में यहाँ सैजल को फूंक फूंक कर कदम रखने होंगे। इस बीच चर्चा भाजपा से किसी नए उम्मीदवार को उतारने की भी है लेकिन ऐसा कोई चेहरा फिलहाल मैदान में नहीं दीखता। सुल्तानपुरी के भाजपा में शामिल होने की अटकलें भी लगती रही है लेकिन फिर खुलकर इसका खंडन कर चुके है।
निगाह अगर कांग्रेस की सियासत पर डाले तो कसौली में एक गुट विशेष को विनोद स्वीकार नहीं है और ये ही उनकी पिछली दो हार का कारण माना जाता है। हालहीं में एक राजस्व अधिकारी वीआरएस लेकर कांग्रेस में शामिल हुए है और माना जाता है कि विनोद विरोधी गुट इन्हे उम्मीदवार बनाना चाहता था, पर अब मौजूद स्थिति में विनोद का टिकट लगभग तय माना जा रहा है। कसौली में मौजूदा सियासी स्तिथि की चर्चा हरमेल धीमान के जिक्र के बिना पूरी नहीं हो सकती। कुछ माह पहले ही हरमेल धीमान भाजपा छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए है और इस निर्वाचन क्षेत्र में आम आदमी पार्टी का मुख्य चेहरा बन चुके है। हरमेल धीमान बतौर समाजसेवी वर्षों से सक्रिय है और ये फैक्टर चुनाव में उन्हें निसंदेह लाभ पहुचायेगा। दीलचस्प बात ये है की उनके साथ न सिर्फ भाजपा बल्कि कांग्रेस छोड़कर भी लोग आम आदमी पार्टी में आएं है। माहिर मानते है कि दोनों तरफ के नाराज नेता -कार्यकर्त्ता भी मौका आने पर हरमेल धीमान की मदद कर सकते है। बहरहाल कसौली में त्रिकोणीय मुकाबला तय है और यहाँ कौन जीतेगा और कौन हारेगा, कुछ नहीं कहा जा सकता। इस हॉट सीट पर हरमेल धीमान की मौजूदगी क्या गुल खिलाती है, ये देखना रोचक होगा।