क्या राजनीति छोड़ रही है वसुंधरा ?
कहा,'अब मैं रिटायरमेंट ले सकती हूं
इमोशनल कार्ड या सच में दौड़ से बाहर हुई महारानी ?*
समर्थक चाहते है पार्टी करें सीएम फेस घोषित*
सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में प्रभाव रखती है वसुंधरा राजे*
अगले ही दिन कहा, 'मैं कहीं नहीं जा रही'
वसुंधरा राजे के राजनीति छोड़ने के ब्यान ने राजस्थान की सियासत में खलबली मचा दी है। दरअसल राजनीति में शब्द नहीं अपितु महत्व सन्देश का होता है। ऐसे में बीच चुनाव में महारानी के इस बयान का बड़े मायने है। वसुंधरा को सियासत की महारानी यूँ ही नहीं कहा जाता, उन्हें पता है कब क्या बोलना है और कब चुप रहना है। बहरहाल वसुंधरा ने क्या आलकमान के सामने हथियार डाल दिए है या इमोशनल कार्ड खेलकर वसुंधरा खेल गई है, ये अहम सवाल है।
चुनावी हो हल्ले के बीचे वसुंधरा राजे के समर्थक उन्हें सीएम कैंडिडेट प्रोजेक्ट करने की मांग कर रहे है, पर भाजपा आलकमान का इरादा कुछ और ही दिख रहा है। इसी बीच वसुंधरा ने राजनीति छोड़ने के संकेत दिए हैं। झालावाड़ में एक जनसभा में उन्होंने क्षेत्र में तीन दशकों में किए गए कार्यों का लेखा-जोखा पेश करने के बाद कहा,"अपने बेटे को बोलते हुए सुनकर अब मुझे लग रहा है कि मैं रिटायरमेंट ले सकती हूं। उन्हें उनके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।" उन्होंने आगे कहा कि 'सभी विधायक यहां हैं और मुझे लगता है कि उन पर नजर रखने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि वे अपने दम पर लोगों के लिए काम करेंगे।' बीच चुनाव में राजस्थान की सियासत की महारानी के रिटायरमेंट के इस बयान के कई मायने है।
पांच बार सांसद और चार बार विधायक और दो बार सूबे की सीएम रहीं वसुंधरा को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने को लेकर लगातार मांग हो रही है। हालांकि बीजेपी ने ऐसा किया नहीं है जिसके बाद भविष्य में उनकी भूमिका को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। वसुंधरा राजस्थान में भाजपा की सबसे लोक्रपिया नेता कही जा सकती है। संभवतः वे इकलौती ऐसी नेता है जिनकी पकड़ और जनाधार सभी 200 विधानसभा हलकों में है। पर भाजपा ने वसुंधरा को सीएम चेहरा घोषित नहीं किया है। आलाकमान के साथ उनके संबंधों को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं होती रही है। इस बीच अब वसुंधरा के इस ब्यान ने सियासी हलचल तेज कर दी है।
क्या वसुंधरा राजे सच में राजनीति से संन्यास लेने जा रही है या उन्होंने इमोशनल कार्ड खेला है, ये सवाल बना हुआ है। वसुंधरा खुद झालरापाटन से प्रत्याशी है और जाहिर है सन्यास लेना होता तो वे चुनावी मैदान में नहीं होती। फिर भी अपने जुदा मिजाज और तल्ख़ सियासी तेवरों के लिए प्रसिद्ध वसुंधरा राजे के किसी ब्यान को हल्के में नहीं लिया जा सकता। हालाँकि अगले ही दिन वसुंधरा ने कहा है कि वे कहीं नहीं जा रही है।
बहरहाल राजस्थान में वसुंधरा राजे भाजपा का सबसे लोकप्रिय चेहरा है। भैरों सिंह शेखावत के बाद से वसुंधरा ही राजस्थान में भाजपा का फेस रही है। वसुंधरा राजे का अपना कद है और निसंदेह राजस्थान में भाजपा के पास कोई ऐसा नेता नहीं दिखता जिसकी जमीनी पकड़ वसुंधरा जैसी हो। बावजूद इसके भाजपा ने उन्हें चेहरा घोषित नहीं किया है। हालांकि माहिर मानते है कि अगर रुझान विपरीत लगे तो पार्टी प्रचार के अंतिम समय में भी वसुंधरा को चेहरा घोषित कर सकती है। क्या भाजपा अपनी रणनीति बदलकर वसुंधरा को आगे करती है या कलेक्टिव लीडरशिप में चुनाव लड़ने का भाजपा का फैसला हिट साबित होता है, ये देखना रोचक होगा।