एक बार जो मन को भाता है, वो अगली दफे बदल दिया जाता है
फर्स्ट वर्डिक्ट। कुल्लू
कुल्लू के मन को जो एक बार भाता है, वो अगली बार बदल दिया जाता है। 1985 से लेकर अब तक कुल्लू निर्वाचन क्षेत्र ऐसी विधानसभा सीट रही है जहाँ हर पांच साल बाद परिवर्तन हुआ है। कोई भी चेहरा यहाँ लगातार दो बार नहीं जीता। ख़ास बात ये है कि चेहरे के साथ -साथ यहाँ कोई राजनैतिक दल भी लगातार दो बार नहीं जीता। पिछले चुनाव में यहाँ सुंदर सिंह ठाकुर ने जीत दर्ज कर इस सीट को कांग्रेस के नाम किया। अब इस बार सत्ता परिवर्तन की प्रथा का असर दिखता है या सुंदर सिंह ठाकुर रिपीट करते है, बहरहाल ये बड़ा सवाल है।
वर्तमान विधायक सुंदर सिंह ठाकुर 2012 में भी कुल्लू निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस का चेहरा थे, लेकिन तब सुंदर सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। 2017 में फिर कांग्रेस ने सुंदर सिंह पर दाव खेला और उन्होंने दिग्गज नेता महेश्वर सिंह को हराकर जीत दर्ज की। सुंदर सिंह जिला में कांग्रेस के इकलौते विधायक है और इस नाते बीते कुछ वक्त में कुल्लू कांग्रेस का प्राइम फेस भी बन चुके है। चुनाव से पहले ही प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी में सुंदर सिंह को वरिष्ठ उपाध्यक्ष का पद दिया गया है। ऐसे में ये तय माना जा रहा है कि इस बार भी कांग्रेस से टिकट सुंदर सिंह को ही मिलेगा। हालांकि कई अन्य चाहवान भी टिकट की कतार में जरूर है।
कुल्लू की सियासत में रियासत का भी ख़ासा दखल है। कुल्लू रियासत के राजा जगत सिंह के वंशज एवं भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह भाजपा का एक बड़ा चेहरा है। न केवल कुल्लू निर्वाचन क्षेत्र में, बल्कि पुरे जिला में महेश्वर सिंह का खासा दबदबा है।1977 में महेश्वर पहली बार विधायक चुने गए। 1982 में दोबारा वह विधायक बने 1989 में नौवीं लोकसभा के सदस्य चुने गए। इसके बाद वे 1992 में राज्यसभा सांसद बने और 1999 में उन्होंने फिर लोकसभा का चुनाव जीता। इसके बाद महेश्वर सिंह ने भाजपा को अलविदा कहकर अपनी राजनीतिक पार्टी 'हिमाचल लोकहित पार्टी' का गठन किया। तब 2012 में भाजपा ने राम सिंह को मैदान में उतारा लेकिन हिमाचल लोकहित पार्टी से महेश्वर सिंह ने चुनाव जीता। 2017 में भाजपा से राम सिंह टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन टिकट मिला महेश्वर सिंह को। उस समय कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की। अब इस मर्तबा भी भाजपा में महेश्वर सिंह और राम सिंह सहित टिकट के कई दावेदार है। ऐसे में इस दफा भाजपा किसे मैदान में उतारती है ये तो आना वाला समय ही बताएगा।
लोकसभा उपचुनाव में पिछड़ी थी भाजपा :
मंडी लोकसभा उपचुनाव में भी महेश्वर सिंह को टिकट मिलने के कयास लग रहे थे लेकिन बाद में टिकट ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को मिला। जिला कुल्लू के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा पिछड़ी और ये ही कांग्रेस की जीत का बड़ा कारण भी बना। जानकार मानते है कि यदि मंडी लोकसभा उपचुनाव में भाजपा ने महेश्वर सिंह को टिकट दिया होता तो नतीजा बदल सकता था।
आप में जा रहे नाराज नेता :
कांग्रेस-भाजपा से नाराज और टिकट की उम्मीद छोड़ चुके दोनों ही दलों के नेता आप का दामन थाम रहे हैं। हाल ही में कुल्लू जिला से कांग्रेस के उपाध्यक्ष अनुराग प्रार्थी ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। हालांकि प्रदेश में आम आदमी पार्टी अधिक सक्रिय नहीं दिख रही है। ऐसे में कुल्लू विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी का कितना इम्पैक्ट पड़ेगा, ये तो आने वाला समय ही बताएगा।
आखिरी बार कुंज लाल ठाकुर ने किया था रिपीट :
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व लाल चंद प्रार्थी 1972 तक कुल्लू निर्वाचन क्षेत्र के सबसे ताकतवर नेता थे। पर आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता दल के टिकट पर कुंज लाल ठाकुर ने जीत दर्ज की। भाजपा के गठन के बाद कुंज लाल ठाकुर भाजपा में शामिल हुए 1982 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते। इसके बाद कोई भी चेहरा लगातार दो बार कुल्लू में चुनाव नहीं जीता। 1985, 1993 और 2003 में कांग्रेस के राज कृष्ण गौर चुनाव जीतने में कामयाब रहे, 1990 में भाजपा के कुंज लाल ठाकुर और 1998 में भाजपा के चंद्र सेन ठाकुर ने जीत दर्ज की। 2007 में कुंज लाल ठाकुर के पुत्र और वर्तमान शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर कुल्लू से चुनाव जीते, वहीँ 2012 में महेश्वर सिंह और 2017 में कांग्रेस के सूंदर सिंह चुनाव जीते।