कुल्लू : सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 है एक प्रगतिशील अधिनियम-नरेंद्र चौहान
आलाेक। कुल्लू
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 एक प्रगतिशील अधिनियम है, जिससे समाज में बड़ा बदलाव आया है। शासन व प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है। साथ ही बहुत से लोगों को एक्ट के माध्यम से राहत भी मिल रही है। यह बात राज्य मुख्य सूचना आयुक्त नरेंद्र चौहान ने सोमवार को जिला परिषद सभागार कुल्लू में जन सूचना अधिकारियों व प्रथम अपील अधिकारियों के लिए आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही। नरेंद्र चौहान ने कहा कि समाज को आगे बढ़ने के लिए, विकसित होने के लिए ज्ञान जरूरी है और सूचना का अधिकार एक ऐसा हथियार है, जो व्यक्ति को शक्तिशाली बनाता है। सेवा प्रदाताओं को संवेदनशील बनाता है और व्यवस्था में पारदर्शिता लाने का काम करता है। संस्थानों में कार्यशैली को मजबूत बनाने के लिए बाध्य करता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र नागरिक जागरूक होने की जरूरत है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सूचना में पारदर्शिता का होना जरूरी है।
इसी उद्देश्य से सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया गया है। अधिनियम की धारा 4-एक का उल्लेख करते हुए नरेंद्र चौहान ने कहा कि सभी कार्यालयों को अपने रिकार्ड की सूची बनाकर सुव्यवस्थित ढंग से रखना चाहिए, ताकि सूचना के अधिकार के तहत आवेदक को सुविधाजनक सूचना प्रदान की जा सके। अधिनियम के अंतर्गत संस्थान का विवरण, कार्य एवं कर्तव्यों का ब्यौरा, अधिकारियों व कर्मचारियों की शक्तियां एवं दायित्व, अधिकारियों व कर्मचारियों की डायरेक्टरी, विभागीय योजनाओं का ब्यौरा सहित सभी कार्य जो आम जनमानस से जुड़े हों, को 120 दिनों के भीतर वेबसाईट पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। उपनियम-2 के तहत जनता को नियमित अंतराल में इंटरनेट सहित विभिन्न माध्यमों से विभागीय कार्यों की सूचना उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। यदि सूचना पोर्टल अथवा वैबसाइट पर उपलब्ध होगी, तो आरटीआई आवेदनों में काफी कमी आएगी। लोगों को सूचना विभागीय पोर्टल से ही मिल जाएगी।
मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि जन सूचना अधिकारी की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। सूचना उपलब्ध करवाने में किसी प्रकार की आना-कानी नहीं की जानी चाहिए, बल्कि स्पष्ट मंशा के साथ आवेदक को सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 30 दिनों के भीतर सूचना उपलब्ध न करवाने पर जुर्माना लग सकता है, जो अधिकतम 25 हजार तक है। उन्होंने कार्यशाला में आरटीआई के तहत अनेक प्रकार के निर्णयों का हवाला दिया। लोक प्रशासन के सहायक प्रो. राजेंद्र कपूर ने कहा कि सूचना मांगना और प्रदान करना दोनों आरटीआई एक्ट में आते हैं। उनहोंने कहा कि धारा-3 के तहत कोई भी भारतीय नागरिक सूचना मांग सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन से जुड़ी सूचना को 48 घण्टों के भीतर प्रदान करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि थर्ड पार्टी सूचना प्रदान करने के लिए 10 दिनों का अतिरिक्त समय रहता है। यानि 40 दिनों में देनी होती है। उन्होंने कहा कि आरटीआई एक्ट से भ्रष्टाचार में 20 से 30 प्रतिशत कमी आई है और यह एक बहुत बड़ा बदलाव है। उन्होंने कहा कि आरटीआई से प्राप्त राशि को 0070-60-118-01 रिसीट हैड में जमा करवाना अनिवार्य है। इस पैसे का अन्यत्र उपयोग नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि आरटीआई पोर्टल बनाया गया है और सभी विभागों को यूजरनेम व पासवर्ड जारी किया गया है। आरटीआई पोर्टल को हर रोज देखना पीआईओ का काम है। उन्होंने कहा कि आरटीआई का छोटा-सा सवाल नीति निर्धारण में बदलाव लाने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि आरटीआई आवेदन को एक राज्य से दूसरे राज्य काे हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।
वरिष्ठ पत्रकार अश्वनी शर्मा ने आरटीआई में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बहुत सारे घोटालों को आरटीआई के माध्यम से मीडिया ने उजागर किया है। उन्होंने कहा कि सामाजिक बदलाव में मीडिया की भूमिका रही है। लोक कल्याण से जुड़ी नीतियों के निर्धारण में मीडिया का योगदान है। समाज को सरकार की नीतियों के प्रति जागरूक करने में हमेशा भूमिका रही है। इस अवसर पर मौजूद जन सूचना अधिकारियों ने आरटीआई से संबंधित अनेक प्रकार के प्रश्न पूछ कर अपनी शंकाओं का समाधान किया। परस्पर संवाद काफी रोचक रहा। इससे पूर्व, अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी प्रशांत सरकैक ने स्वागत किया तथा कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। जिला लोक सम्पर्क अधिकारी प्रेम ठाकुर ने कार्यशाला का संचालन किया।