बेहलपूर में हुआ श्री मद्भागवत कथा का शुभारंभ
वेहलपुर में चल रही चथुर्थ वर्षीय मद्भागवत महाराज कथा के मुख्य कथा वाचक महेश ठाकुर महाराज वृंदावन वालो ने 6अप्रैल से 12अप्रैल तक चलने वाली मद्भागवत कथा का शुभारंभ बिदिवत पूजा अर्चना व आरती करके किया गया। दोपहर 12बजे से 4बजे तक चलने वाली इस कथा के प्रथम दिन मद्भागवत कथा का परिचय देकर इसका महत्व बताया और साथ उन्होंने मद्भागवत के प्रसंग में कहा कि यह बहुत ही बड़ा ग्रंथ है और ये कल्प तरु की छाया की तरह है जो इससे कामना करेगा वो पूरी करेगा। इसके साथ दुष्ट पुत्र धुंध कारी व उनकी माता धुंधली देवी तथा धर्मात्मा भाई गोकर्ण की कथा में बताया कि उनको यही कथा सुनाकर उनका उधार किया। इसके साथ आज के प्रसंग में उन्होने कहा कि जिसके ह्रदय में भक्ति भाव है उसके ह्रदय में मद्भागवत दौड़ी चली आती है दुनिया की सारी बाते झूठी है बस एक प्रभु का नाम ही सत्य है। इंसान संतोकी संगति से व ठाकुर जी की कृपा से बडी से बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकता है, और उन्होंने महादेव द्वारा मां पार्वती को अमरनाथ जी गुफा में अमरकथा सुनाई गई। इसी दौरान भगवान शुक देव जी का जन्म हुआ और उन्होंने भी अंतिम पड़ाव की ज्ञान और वैराग्य की कथा को सुना जब इसके बारे में भोलेनाथ जी को पता चला तो वो क्रोधित हुए और उसको दंडित करने के लिए उसके पीछे भागे और शुकदेव जी उस गुफा से निकल कर बदरीनाथ जी गुफा में पहुंच गए और ऋषि वेद व्यास जी की धर्मपत्नी भटिका जी के गर्व में परवेश कर गए और गर्व में 12 वर्षों के बाद उनका जन्म हुआ उसके बाद वेद व्यास द्वारा चार वेदों की रचना की गई। और उनको सरल बनाने के लिए छह शास्त्रों को रचा गया और उसको और अधिक सरल बनाने के लिए सत्रह पुराणों की रचना की गई।इसके साथ मनुष्य को मोक्ष पाने के लिए सत्रह पुराणों का सारांश लेकर 18वे पुराण में पिरोया गया तब से यह मद्भागवत पुराण कथा के नाम पर प्रचलित है , जिससे कलयुग में मानव जाति का उधार हो रहा है। इसके साथ कथा को विश्राम दिया गया।