सिरमौर: शिरगुल महाराज की देव बहन मां भंगायणी का इतिहास
जिला सिरमौर के मुख्यालय नाहन से लगभग 100 किलोमीटर दूर हरिपुरधार नामक एक छोटा कस्बा है जहां रियासत काल में सिरमौर रियासत के महाराज हरि प्रकाश द्वारा हरिपुर किला का निर्माण करवाया गया था। हरिपुरधार क़स्बा समुद्र तल से 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हरिपुरधार का मुख्य आकर्षण यहाँ से 2 कि.मी. दूर माता भंगयाणी देवी का मंदिर है। यह मंदिर हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं की शिवालिक पहाड़ियों में समुद्र तल से लगभग 8000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह उत्तरी भारत का प्रसिद्ध मंदिर है। सिरमौर की देवी के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर कई दशको से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। वैसे तो यहाँ साल भर भक्तों का आगमन रहता हैं लेकिन नवरात्रो और सक्रांति के समय भक्तों की काफी भीड़ होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता भगयाणी महादेव के अवतार शिरगुल महाराज की मुँहबोली बहन है। जब शिरगुल महाराज दिल्ली गए थे तब उनकी ख्याति को देख कर तत्कालीन शासक ने उन्हें गाय की कच्ची चमड़े की बेड़ियों में बंदी बना लिया था। चाह कर भी शिरगुल महाराज चमड़े की जंजीर नही तोड़ सकते थे। उस वक़्त बागड़ के गुगा पीर ने जेल की सफाई कर्मचारी की मदद से भगवान् शिरगुल को आजाद करवाया। शिरगुल जी महाराज ने उस सफाई कर्मचारी माँ भंगयाणी को अपनी मुँहबोली बहन बना लिया और हरिपुरधार में एक टीले पर स्थान देकर सर्वशक्तिमान का वरदान दिया और जो भी श्रद्धालु चूड़धार चोटी पर उनके दर्शन करने के लिए आएगा। उसकी यात्रा तभी पूरी होगी जब वह बहन के मंदिर में भी शीश नवाजेगा।
हरीपुरधार में माता भंगायनी मंदिर में पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इसलिए इस जगह पर सुविधाओं को बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। मां भंगायणी मंदिर 1986 से पूर्व एक देवठी के रूप में था। जिसका जीर्णोद्धार 1986 से यहां मंदिर कमेटी ने शुरू किया।1992 से 2000 के बीच यहां सक्रिय होकर मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ किया गया। मंदिर कमेटी यहां पर अभी तक पार्किंग, भव्य पहाड़ी शैली का द्वार, डेढ़ किलोमीटर पक्के रास्ते का निर्माण, लंगर हॉल, यात्री धर्मशाला और मंदिर पुस्तकालय का निर्माण करवा चुकी है। माता हमेशा सत्य का साथ देती हैं तथा असत्य व दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति को बहुत कठोर दंड देती हैं इसलिए इस देवी की न्यायप्रियता से सभी लोग खौफ खाते हैं तथा भूल कर भी इसके पास झूठी गुहार लगाने से डरते हैं।