सिरमौर : बूढ़ी दिवाली का विधिवत रूप से समापन, ढोल-नगाड़ों की थाप ने बांधा समां
आनी दो दिवसीय धोगी में बूढ़ी दिवाली का वीरवार को विधिवत रूप से समापन हुआ। क्षेत्र के आराध्य देव शमशरी महादेव व टोणा नाग की भावपूर्ण विदाई व मनमोहक नृत्य के बीच दिवाली की खूब रौनक देखने को मिली। क्षेत्र के आराध्य देव शमशरी महादेव हर वर्ष मार्गशीष की कृष्ण अमावस्या को अपने प्राचीन मंदिर धोगी में बूढ़ी दिवाली मनाने पहुंचते है, जिससे क्षेत्रवासियों में काफी उत्साह देखने को मिलता है। मान्यता है कि प्रभु राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापसी पर त्रेता युग का अंत हुआ, परंतु दिवाली सतयुग के अंत में बलिराज के समय से प्रचलित है। तभी से दिवाली विभिन्न जगहों पर मनाई जाती है। प्राचीन रीति-रिवाजों के अनुसार रात्रि के समय गांव के सैकड़ों लोगों ने वाद्य यंत्रों की धुनों पर मशाल जलाकर प्राचीन गीत, जतियां गाकर मंदिर की परिक्रमा करके समाज में फैली अंधकार रूपी बुराइयों को प्रकाश रूपी दुर्जय शस्त्र से दूर करने का संदेश देकर सुख शांति की कामना करते है।