सोलन: गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल में STEM कार्यशाला, अनुभवात्मक शिक्षण ने स्थापित की नई मिसाल

गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सोलन में बुधवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के तत्वावधान में प्रेरणादायक STEM शिक्षकों के माध्यम से अनुभवात्मक शिक्षा विषय पर एक शानदार कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षण को अधिक अनुभवात्मक और नवाचारपूर्ण बनाना था जिसमें जिले के विभिन्न प्रतिष्ठित विद्यालयों के शिक्षकों ने सक्रिय भागीदारी की।कार्यशाला में शिक्षकों ने रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान, गणित, कंप्यूटर, इतिहास, विज्ञान और अंग्रेजी भाषा जैसे विभिन्न विषयों को STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियान्त्रिकी एवं गणित) के परिप्रेक्ष्य से जोड़ते हुए अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। इन सभी प्रस्तुतकर्ताओं ने प्रभावी रूप से दिखाया कि कैसे छात्रों को कक्षा की पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकालकर प्रयोग-आधारित, परियोजना-आधारित, अंतर्विषयक और अनुभवात्मक शिक्षण प्रदान किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि STEM सिर्फ एक शैक्षणिक दृष्टिकोण नहीं, बल्कि छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तार्किक चिंतन, समस्या-समाधान क्षमता, सहयोगात्मक कार्यशैली और रचनात्मक अभिव्यक्ति विकसित करने का एक शक्तिशाली माध्यम है। शिक्षकों ने अपनी प्रस्तुतियों में डिजिटल उपकरणों, डेटा विश्लेषण, रोबोटिक्स, कोडिंग, गणितीय मॉडलिंग और यहाँ तक कि भाषा व इतिहास में तकनीकी एकीकरण जैसे नवाचारों का समावेश करते हुए STEM को वास्तविक जीवन से जोड़ने के प्रभावशाली तरीके प्रस्तुत किए।
कार्यशाला में प्रस्तुत शोधपत्रों का मूल्यांकन करने के लिए CBSE द्वारा नामित प्रशंसा समिति के सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें डॉ. राहुल श्रीवास्तव (प्रोफेसर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, जेपी विश्वविद्यालय),वंदना शर्मा (प्रधानाचार्या, साईं ब्लाइट इंटरनेशनल स्कूल, धर्मपुर) और विनोद कुमार शर्मा (प्रधानाचार्य, बाल भारती स्कूल, सोलन) शामिल थे। तीनों विशेषज्ञों ने प्रतिभागी शिक्षकों की तार्किक प्रस्तुति, शोध की गहराई, नवाचार की झलक और STEM अवधारणाओं के प्रभावी एकीकरण की जमकर सराहना की।
विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. लखविंदर अरोड़ा ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में सभी विशिष्ट अतिथियों, विशेषज्ञों और प्रतिभागी शिक्षकों का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्यशालाएँ न केवल शिक्षण तकनीकों को समृद्ध करती हैं, बल्कि शिक्षकों को एक प्रेरक नवाचारकर्ता बनने की दिशा में मार्गदर्शन भी प्रदान करती हैं। डॉ. अरोड़ा ने यह भी कहा कि STEM शिक्षण एक ऐसी विधा है जो विद्यार्थियों को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करने का सामर्थ्य रखती है। कार्यशाला का पूरा वातावरण अत्यंत ऊर्जावान, नवाचारपूर्ण और ज्ञानवर्धक रहा। शिक्षकों की सक्रिय सहभागिता, संवादात्मक प्रस्तुतियाँ और जिज्ञासापूर्ण प्रश्नोत्तर सत्रों ने इस दिन को यादगार बना दिया। गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सोलन के आठ शिक्षकों ने भी इस पहल में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिनमें नेहा वर्मा (रसायन), सारिका गुलेरिया (विज्ञान), ज्योति चौधरी (जीवविज्ञान), कुसुम (गणित),यश पुनिया (कंप्यूटर), प्रियंका (इतिहास),हर्षा (गणित),अंशु पांटा (अंग्रेजी) और उज्ज्वल वालिया (अर्थशास्त्र) शामिल रहे।