हमीरपुर : कई बार सफलता मिलेगी तो कई बार असफलता लेकिन सफर खत्म नहीं होगा : धूमल
खेल के मैदान में सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। अभ्यास करते रहोगे तो एक दिन सफलता खुद आकर कदम चूमेगी। जिंदगी को भी खेल भावना से देखना चाहिए। कई बार सफलता मिलती है कई बार असफलता लेकिन सफर खत्म नहीं होता। अनुशासन की भावना से और खिलाड़ी की भावना से आगे बढोगे तो निश्चित रूप से सफलता हासिल होगी। शनिवार को हमीरपुर राजकीय महाविद्यालय के खेल मैदान में 30वीं प्रदेश स्तरीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप का शुभारंभ करने के पश्चात बतौर मुख्यअतिथि वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने उपस्थित खिलाडिय़ों व जन समूह को संबोधित करते हुए यह बात कही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने चैंपियनशिप के आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी और उनका धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमीरपुर, धर्मशाला और प्रदेश के अन्य भागों में खेल के मैदानों में खिलाडिय़ों को सुविधाएं अच्छी मिले हमने इसके भरपूर कोशिश की है। खिलाडिय़ों को प्रेरित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी बहुत सौभाग्यशाली हो कि जीवन के प्रारंभ में ही आप खेल के मैदान से जुड़ गए हो। खेल के मैदान हमें खेलना ही नहीं बल्कि जीवन में और भी बहुत कुछ सिखाते हैं। टीम स्पिरिट, एक टीम बन कर प्रयत्न कर लक्ष्य को प्राप्त करना, अनुशासनबद्ध होकर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करना, नियमों का उचित प्रकार से पालन करना और जीत हार को एक जैसा समझना, यह सब हमें खेल के मैदान में सीखने को मिलता है। समाज में नशे के सेवन से उजड़ रही नई पीढ़ी के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी का नशों का सेवन कर अपना भविष्य खऱाब करना दुर्भाग्यवश हमारे समाज का एक दुखद पहलू है। नशों की प्रवृति को रोकने और युवा पीढ़ी को बचाने का एक सर्वोत्तम उपाय खेल और खेल के मैदान हैं। खेलों से जुड़े युवाओं को कोशिश करके उन सबको खेल मैदानों से जोडऩा होगा जो सब अभी तक खेल के मैदान से दूर हैं। इस प्रकार की खेल प्रतियोगिताएं भी जिला या ज्यादा से ज्यादा ब्लॉक स्तर पर आयोजित की जाती हैं, इन्हें भी गांव-गांव तक पहुंचाना होगा। इस दिशा में हमारे सांसद अनुराग ठाकुर ने कुछ वर्ष पहले सांसद खेल महाकुंभ का आयोजन शुरू करवा कर एक बढिय़ा प्रयास किया, जिसमें हर पंचायत से युवा खेल प्रतिभाओं को एक मंच मिला। बच्चों को बचपन से ही खेल मैदानों से जोडऩा होगा। और ऐसी प्रतियोगिताओं के आयोजन गांव-गांव में होने चाहिए, ताकि वहां के बच्चे खेल मैदानों से जुड़ सकें। इसे एक सामाजिक दायित्व समझ कर हम सबको प्रयास करने चाहिए।