हिमाचल सरकार बदलेगी 19 साल पुरानी खेल नीति
साल 2001 में प्रदेश की खेल नीति बनाई गई थी। बीते कई वर्षों से नई नीति बनाने के प्रयास जारी रहे। अब जयराम सरकार ने 19 साल बाद खेल नीति 2020 तैयार की है। हिमाचल की नई खेल नीति में पहली बार दिव्यांगों की खेलों के साथ साहसिक खेलों को शामिल किया गया है। राज्य अभिमन्यु अवार्ड, राज्य गुरू वशिष्ठ अवार्ड और अवार्ड फार दिव्यांग भी शुरू किए जाना प्रस्तावित है। वंही खेल नीति 2020 में प्रदेश में स्पोर्ट्स म्यूजियम और लाइब्रेरी भी बनाई जाएगी। भाषा एवं संस्कृति और पर्यटन विभाग के साथ मिलकर स्पोर्ट्स म्यूजियम बनाया जाएगा। इसमें खेल गतिविधियों से जुड़े प्रदेश के इतिहास, बेहतरीन खिलाड़ियों की जानकारी मुहैया करवाई जाएगी। स्पोर्ट्स लाइब्रेरी में खेल से जुड़ी अलग-अलग तरह की लिखित सामग्री और ओलंपिक स्पोर्ट्स की किताबें उपलब्ध करवाई जाएंगी।
नई खेल नीति में खेल संघों को मजबूत करने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। एक खेल के लिए एक ही संघ बनाने का इसमें सबसे बड़ा प्रावधान है। निष्क्रिय हुए खेल संघों की मान्यता रद्द करने का भी इसमें प्रावधान है। वंही ओलंपिक, एशियन और कॉमनवेल्थ खेलों के पदक विजेता को पेंशन दी जाएगी। अर्जुन अवार्ड, ध्यानचंद अवार्ड और राजीव गांधी खेल रत्न प्राप्त अवार्डियों को मासिक वेतन भी दिया जाएगा। गांवों से शहरों तक नए स्टेडियम बनाए जाएंगे। स्पोर्ट्स ट्रेनिंग डेस्टिनेशन बनाने के लिए 58 करोड़ का प्रस्ताव है। खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में तीन फीसदी आरक्षण देने और एथलीट को घायल होने पर एक लाख का बीमा कवर देने का प्रावधान भी किया गया है। इस खेल नीति 2020 में कुल्लू को ऐडवेंचर स्पोर्ट्स, सिरमौर और कांगड़ा को एथलेटिक्स और कबड्डी का हब बनाया जाएगा। स्कूलों में फिजिकल एजूकेशन और खेलों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का प्रावधान भी किया गया है। राष्ट्रीय, राज्य, जिला और उपमंडल स्तर के एथलीटों को स्कूल-कॉलेजों की हाजिरी में भी विशेष छूट दी जाएगी।