बिजली महादेव में 12 साल में गिरती है आसमानी बिजली
बिजली महादेव कुल्लू जिला के खराहल घाटी के चनसारी गांव होकर बिजली महादेव की पहाड़ी पर पहुंचते हैं। यहाँ बिजली महादेव जी का मंदिर है और विशाल मैदान है। यहाँ हर बर्ष टूरिस्ट व श्रद्धालु सावन माह और शिवरात्रि को जाते हैं। सावन माह में यहाँ मेला लगता है। बिजली महादेव को रामशिला से चनसारी तक बस सफर तय किया जाता है उसके बाद पैदल यात्रा शुरू होती है। सावन माह में बसों में भी काफी भीड़ होती है।
इसलिए पड़ा नाम बिजली महादेव
आकाशवाणी बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है कि शिव नही चाहते थे कि बिजली गिरे तो जनमानस को नुकसान हो इसलिए शिव ने लोगो को बचाने के लिए अपने ऊपर गिरवाते हैं। इसी वजह से भगवान शिव को बिजली महादेव कहा जाता है। इस रमणीय स्थान को 10 किलोमीटर सफर तय करके पहुंचा जाता है।
हर 12 साल में शिवलिंग पर गिरती है आसमानी बिजली
कुल्लु में व्यास व पार्वती नदी का संगम स्थान के ठीक पर्वत के ऊपर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि यह घाटी विशालकाय सांप का रूप है इस सांप का वध भगवान शिव किया था। और जिस स्थान मंदिर स्थित है उसमें गर्व गृह में शिवलिंग स्थापित है और उसी शिवलिंग पर आसमानी बिजली गिरती है । बिजली गिरने से शिवलिग खंडित हो जाती है और टुकड़े टुकड़े हो जाते हैं । पुजारी को सपना होता है की टुकड़े वहां गिरे हुए हैं । पुजारी उन टुकड़ों को इकठ्ठा करता है और म खन। से जोड़ता है और शिवलिंग एक बार फिर ठोस रूप में परिवर्तित हो जाती है।
बिजली महादेव में श्रद्धालु ओ की मनोकामना होती है पूरी
बिजली महादेव में जो श्रद्धालु सच्चे मन से दर्शन करने आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। खासकर यदि बिजली महादेव में प्रेमी जोड़े दर्शन व मनोकामना मांगे तो वो अवश्य ही पूरी होती है। और बिजली महादेव जिनकी संताने व पुत्र प्राप्ति के लिए दरवार में आते है उन्हें पुत्र प्राप्ति होती है।