पार्टी मौका दे ताे मेरा अंतिम चुनाव होगा, मगर मैंने नहीं किया टिकट का दावा
हिमाचल प्रदेश में होने वाले तीन उपचुनाव की तिथि घोषित होने से पहले सियासत तेज हाे चुकी है। मंडी संसदीय क्षेत्र, जुब्बल-कोटखाई और फतेहपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है, लेकिन मंडी संसदीय सीट पर टिकट के लिए भाजपा नेताओं ने भीतर खाते केंद्रीय आलाकमान तक तार जोड़ दी है। मंडी संसदीय क्षेत्र से पूर्व में दो बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रह चुके भाजपा नेता महेश्वर सिंह उपचुनाव लड़ने के मूड में हैं। हालांकि उन्होंने टिकट के लिए दावा नहीं किया है, लेकिन पार्टी हाईकमान हरी झंडी दे ताे वे और एक बार संसद जाने के लिए तैयार हैं। महेश्वर सिंह कह रहे है कि अगर पार्टी एक माैका दे ताे यह उनका अंतिम चुनाव हाेगा। उपचुनाव में टिकट के लिए उनकी दावेदारी, 2012 में हिलोपा का गठन करने के पीछे का राज, 2017 का विधानसभा चुनाव हारने के पीछे कारण समेत कई अहम मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने महेश्वर सिंह से विशेष चर्चा की। पेश है उसके कुछ अंश...
सवाल: मंडी संसदीय सीट पर उपचुनाव तय है, टिकट के लिए आपकी भी दावेदारी हैं, क्या यह सही है?
जवाब: मंडी संसदीय क्षेत्र हिमाचल का ही नहीं, बल्कि पुरे हिंदुस्तान में सबसे बड़े क्षेत्रफल वाले संसदीय क्षेत्रों में से एक है। पूर्व सांसद स्व. रामस्वरूप जी के निधन के बाद अब यहां उपचुनाव होना है। जहां तक टिकट का सवाल है मैंने न ताे काेई आवेदन किया है और न ही दावा जताया। हां यह बात अलग है कि पार्टी मौका दे ताे मेरा अंतिम चुनाव हाेगा। उपचुनाव के लिए मुझे किन्नौर से लेकर भरमौर के लाेगाें की कॉल आ रही है कि टिकट के लिए जोर लगाओ। मगर मैंने उन्हें कह दिया है कि यह रस्सा-कस्सी का खेल नहीं है। हां पार्टी अगर मौका दे तो मैं पूरी तरह तैयार हूँ। बेशक अभी 72 साल का हूं लेकिन स्वस्थ हूँ। मंडी संसदीय क्षेत्र की जनता का मुझे समर्थन मिलता रहा। पूर्व में दो बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद बनने का मौका भी मिला है। मैं यही कहूंगा कि पार्टी मुझे मौका दे ताे अगले तीन साल तक जनता की सेवा करुंगा।
सवाल: 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले आपने हिलोपा का गठन किया था, फिर वापस भाजपा में लौट आये, क्या वजह रही?
जवाब: जाे हाे गया साे हाे गया। मैंने उस वक्त किसी अन्य राजनीतिक दल काे ज्वाइन नहीं किया था। घर के अंदर गिले-शिकवे थे, ताे मैंने अपनी ही पार्टी का गठन किया था और मैं जीत कर विधानसभा भी पहुंचा। कुछ एक लाेगाें के कारण ऐसा करना पड़ा। भाजपा मेरा घर है, घर से निकला था और अब मैं घर में ही हूं। उस वक्त मैंने कभी भी भाजपा की आलोचना नहीं की थी। कुछ लोगों से मनमुटाव जरुर रहा। वैसे भी मेरी राजनीति भाजपा से ही शुरू हुई थी और वर्तमान में भी भाजपा के लिए दिन-रात काम कर रहा हूं। उस वक्त जाे हाे गया उसे भूल कर मैंने 2017 के चुनाव से पहले मीडिया में भी कह दिया था कि मैं घर वापस जा रहा हूं और आज मैं अपने घर में हूं।
सवाल: आप 2017 का चुनाव हारे, क्या इसके पीछे मुख्य कारण हिलोपा ताे नहीं?
जवाब: 2017 के विधानसभा चुनाव में हार काे लेकर अफसाेस जरूर है, लेकिन मैं करीब डेढ़ हज़ार वाेटाें से ही हारा था। मेरी हार का कारण हिलोपा नहीं था। दरअसल कुछ लाेगाें ने दलित वर्ग को गुमराह किया, जिस कारण मुझे हार का सामना करना पड़ा। लोकतंत्र में हार और जीत होती रहती है। सभी प्रत्याशी नहीं जीतते हैं। आज भी कुल्लू समेत मंडी संसदीय क्षेत्र के लोग मेरे कार्यों की तारीफ करते हैं। पूर्व में जब विधायक रहा हूं, या फिर सांसद, मैंने हमेशा लोगों की सेवा की है। मैं आज विधायक नहीं हूं, फिर भी जनसेवा करता हूं।
सवाल: मंत्री महेन्द्र सिंह ने बीते दिनों अध्यापकों पर जो बयान दिया, उस पर क्या कहेंगे?
जवाब: जब कोई नेता भाषण देता है ताे कई बार ऐसे लहजे से शब्द निकल जाते हैं, मगर महेंद्र सिंह ठाकुर ने अध्यापकों के खिलाफ जानबूझकर बयानबाजी नहीं की। उस दिन मैं ताे वहां नहीं था, लेकिन मंत्री जी ने एक तरह से मजाक के तौर पर ऐसा कह दिया हाेगा। बाद में मामला सुलझ गया।
सवाल: सरकार और संगठन के कार्यों से आप कितने संतुष्ट हैं?
जवाब: पहली बात ताे यह है कि संगठन के कार्यों से संतुष्ट होकर ही आज मैं भाजपा में हूं। दूसरा, प्रदेश सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में हर विधानसभा क्षेत्र का समान विकास किया जिसकी रफ्तार हर राेज तेज होती जा रही है। हां काेराेना संकट के दौरान थोड़ा सा विकास थम सा गया था, लेकिन केंद्र की मोदी और प्रदेश की जयराम सरकार ने काेराेना से जंग जीतने के लिए हर मोर्चे पर काम किया।