सीएम जयराम को बागवानी की समझ नहीं, महेंद्र ठाकुर का बयान बचकाना : राकेश सिंघा
सेब बागवानों को मिल रहे कम दामों को लेकर मचे घमासान के बीच एक बार फिर से माकपा के ठियोग से विधायक राकेश सिंघा खुलकर बागवानों के समर्थन में खड़े दिख रहे है। फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने मुख्यमंत्री व बागवानी मंत्री की समझ को लेकर तंज भी कसा और साथ ही मार्केटिंग बोर्ड सहित सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर डाली। इस दौरान सिंघा ने बागवानों को पेश आने वाली मूल समस्याओं पर भी अपनी बात रखी। बेबाकी से अपनी बात को रखने वाले राकेश सिंघा ने साक्षात्कार में क्या कहा आइये जानते है उसके कुछ मुख्य अंश....
सवाल : बागवानों को सेब के उचित दाम नहीं मिल रहे है, इसका आप क्या कारण मानते है?
जवाब : बागवानों को उचित दाम नहीं मिल रहा क्योंकि सरकार द्वारा तय मापदंडों पर कोई अमल नहीं कर रहा। चूंकि बागवानों को सेब की पैकिंग, ग्रेडिंग, ट्रांसपोर्टेशन व कार्टन खरीदने पर बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ता है, तो ऐसे में सेब को मंडियो तक पहुंचाने की लागत अधिक बढ़ जाती है। इसके अलावा सेब के सरंक्षण के लिए पहले हॉर्टिकल्चर की तरफ से मुफ्त कीटनाशक व पेस्टिसाइड्स उपलब्ध करवाए जाते थे, लेकिन अब बागवानों को ये स्वयं खर्च कर खरीदने पड़ते है। इस वजह से सेब की लागत लगातार बढ़ती जा रही और उन्हें लागत के भी उचित दाम नही मिल रहे।
सवाल : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह द्वारा बागवानों पर दिए गए बयान पर आप क्या कहते है?
जवाब : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर स्वयं बागवानी नहीं करते और न ही उनके सिपहसालार उन्हें सही सलाह दे पा रहे है। उनके दिए बयान से किसान- बागवान हताश है। मुख्यमंत्री स्वयं बागवानी करते तो इस तरह की टिप्पणी नहीं करते। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बागवानी की समझ नहीं है। मुख्यमंत्री का यह सुझाव की फसल को होल्ड करे, यह समझ से परे है। वहीं बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने जो बयान दिया है वह उनकी बचकानी हरकत को दर्शाता है। वो बताए कि बागवान अपने सेब को क्रेट में भरकर कौन सी ऐसी मंडियों में ले जाए जहां उन्हें उचित दाम मिले।
सवाल : मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि इस बार सेब की बम्पर फसल होने और उच्च गुणवत्ता न होने पर दाम गिरे। आप इससे कितने सहमत है?
जवाब : सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों द्वारा सुझाए गए ऐसे कारण बहुत ही निंदनीय है। ऐसे अधिकारियों को अरेस्ट कर देना चाहिए। इन अधिकारियों पर कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए। ये लोग सरकार द्वारा बनाए गए रेगुलेशन सहित अन्य नियमों को तो लागू नहीं करवा पा रहे है, उल्टा ऐसे कारण गिनवाकर बागवानों की समस्या और बढ़ा रहे है। तय नियम के तहत यदि ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होती है तो सब बागवानों की दिक्कत ठीक हो सकती है। बम्पर फसल तो केवल बहाना है।
सवाल : संयुक्त किसान मंच की चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री ने सीए स्टोर व कश्मीरी तर्ज पर सेब खरीद को लेकर जो बैठक बुलाई है, उस पर आप क्या कहते है?
जवाब : अच्छा होता अगर इस बैठक में बागवानों को भी आमंत्रित किया जाता, उनके सुझाव व समस्याओं पर बैठक में चर्चा की जाती। चूंकि नियमों के अनुसार सीए स्टोर में एक किलो सेब का दाम डेढ़ रुपये होना चाहिए जबकि अदानी के सीए स्टोर में 2 रुपये दाम वसूले जा रहे है। इसे देखकर ऐसा लगता है सरकार का झुकाव ओद्योगिक घरानों की तरफ ज्यादा व मेहनती बागवानों की तरफ कम है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है, सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए न कि उलट बयान देकर बागवानों को निराश करना चाहिए।
सवाल : आप बागवानों के हित में आवाज़ उठाते आये है, अगला कदम क्या होगा ?
जवाब : बागवानों को अपनी समस्याएं कम करने के लिए आगे बढ़कर आवाज़ उठानी होगी। सरकार की मनमानी का विरोध करना होगा। इसके लिए किसानों-बागवानों का सक्रिय होना बेहद ज़रूरी। हिमाचल की अधिकतर आर्थिकी बागवानों पर निर्भर है, ऐसे में बागवानों का हताश होना हिमाचल के लिए अच्छा संकेत नहीं। सभी बागवानों को एकजुट होकर आवाज़ उठानी होगी।