दो दशकों से कंप्यूटर शिक्षकों की अनदेखी : राजेश शर्मा
एक तरफ जहां जयराम सरकार एक के बाद एक कई कर्मचारी वर्गों की मांगें पूरी कर उन्हें खुश कर रही है, वहीं कई कर्मचारी ऐसे भी है जिनका संघर्ष अब भी जारी है। 20 सालों तक लगातार संघर्ष करने के बावजूद आज भी कंप्यूटर शिक्षकों की मांगें पूरी नहीं हो पाई है। पिछले करीब दो दशक से कम्प्यूटर अध्यापक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं, लेकिन इनका कहना है कि अब तक किसी भी सरकार ने कम्प्यूटर अध्यापकों के लिए नीति नहीं बनाई है। आखिर क्या है कंप्यूटर शिक्षकों कि मांगें ये जानने के लिए हमने हिमाचल प्रदेश कंप्यूटर टीचर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजेश शर्मा से बात की, पेश है उनसे बातचीत के कुछ मुख्य अंश....
सवाल : अपने संगठन के बारे में थोड़ी जानकारी हमें दें और इस संघ से कितने कर्मचारी जुड़े है ये भी स्पष्ट करें ?
जवाब : हमारे संगठन का नाम हिमाचल प्रदेश कंप्यूटर टीचर्स एसोसिएशन है और इस संगठन के 12 जिलों में 12 अध्यक्ष है, जिनकी अपनी जिला कार्यकारिणी है। इस संगठन के 16 स्टेट बॉडी मेंबर्स भी है और इसमें सदस्यों की संख्या 1364 है। इस संगठन का गठन प्रदेश के स्कूलों में कार्यरत कंप्यूटर शिक्षकों को न्याय दिलाने के लिए किया गया था। मैं आपको बता दूँ की ये शिक्षक सेल्फ फाइनेंस मोड से कार्य कर रहे है। बच्चों से जो आईटी फीस ली जाती है वो एजुकेशन डिपार्टमेंट को जाती है। यहां से 12 लाख एडमिन चार्ज के नाम पर डिपार्टमेंट हर महीने नाइलेट को दे रहा है। हमें हैरानी है कि सरकार को शिक्षकों की नहीं बल्कि नाइलेट की फ़िक्र है। हम पढ़े लिखे शिक्षक है। भारत की टॉप मोस्ट आईटी कंपनी ने कई बार हमारे इंटरव्यू लिए है, परन्तु फिर भी हमारे साथ अन्याय हो रहा है।
सवाल : आपके संघ की मुख्य मांग क्या है ?
जवाब : हमारी मुख्य मांग है कि सरकार कंप्यूटर शिक्षकों को भी शिक्षा विभाग में मर्ज करें। हम भर्ती के सभी नियमों को पूरा करते है। 1998 में पूर्व भाजपा सरकार के सीएम प्रेम कुमार धूमल द्वारा शुरुआती दौर में सेल्फ फाइनेंसिंग प्रोजेक्ट के तहत 250 स्कूलों में कंप्यूटर टीचरों को तैनात किया गया था। उसके बाद 2001 में सरकार द्वारा 900 स्कूलों में आईटी शिक्षा आरंभ की गई और कंप्यूटर टीचरों को नाइलेट कंपनी के अधीन कर दिया गया था। वर्ष 2010 में कंप्यूटर टीचरों को आउटसोर्स नाम दिया गया। जो पैट, पीटीए व विद्या उपासक टीचर 2006 के बाद नियुक्त किए गए थे उन्हें सरकार ने नीति बनाकर रेगुलर कर दिया, परंतु कंप्यूटर टीचरों के बारे आजतक किसी भी सरकार ने नहीं सोचा। एक ओर सरकार आईटी शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है वहीं पर कंप्यूटर टीचरों का बीते दो दशकों से शोषण हो रहा है। महंगाई के दौर में कम्प्यूटर टीचर मात्र 12870 रुपए मासिक वेतन पर कार्य कर रहे है। चालू वित्त वर्ष के बजट में केवल 500 रुपए बढ़ाए गए हैं। हमारी मांग बस इतनी सी है की हमें जल्द रेगुलर किया जाए।
सवाल : आपको क्या लगता है,अब तक सरकार आपकी मांग क्यों पूरी नहीं कर पाई है ?
जवाब : देखिये प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्य कर रहे कम्प्यूटर टीचर बीते 21 वर्षों से नियमितिकरण के लिए तरस रहे हैं। आज तक इस वर्ग के अध्यापकों को नियमित करने के लिए सरकार द्वारा कोई भी नीति नहीं बनाई गई है। जबकि प्रदेश सरकार द्वारा पैट, पीटीए, विद्या उपासक अध्यापकों, जलवाहक, दैनिक भोगी मजदूर सहित अनेक श्रेणियों के अस्थायी कर्मचारियों को नियमित किया गया है। सिर्फ हमारी ही अनदेखी हो रही है। मुझे नहीं मालूम कि सरकार ऐसा क्यों कर रही है, बस मैं इतना कहना चाहूंगा कि सरकार व्यर्थ में नाइलेट को एक साल का विस्तार दे रही है। नाइलेट कंपनी की भूमिका संदेह के घेरे में है। सरकार नाइलेट कम्पनी को सिर्फ सैलरी बाँटने के 12 लाख ले दे रही है। ये सब समझ से परे है। सरकार हमारा कोर्ट केस सुलझाने के लिए भी कुछ नहीं कर रही है।
सवाल: अगर अब भी सरकार आपकी मांगें पूरी नहीं करती है, तो आगामी रणनीति क्या होगी ?
जवाब : मैं बता दूँ कि सभी कंप्यूटर शिक्षक आर एंड पी नियमों का अनुसरण करते हैं। इनमें से 90 प्रतिशत कम्प्यूटर शिक्षक 45 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। जब उक्त कम्प्यूटर शिक्षक नौकरी पर लगे थे तो उनका वेतन मात्र 2400 रुपए था और 20 सालों के बाद 13000 तक पहुंचा है। अब भी प्रदेश सरकार वेतन बढ़ाने तक ही पहुंची है। कम्प्यूटर शिक्षक इतने कम वेतन पर बच्चों की पढ़ाई के साथ परिवार का भरण पोषण भी नहीं कर पा रहे हैं तथा अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। अगर अब भी सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करते है तो हम सब शिमला आकर बैठक करेंगे। हैरानी है कि सरकार हम जैसे शिक्षकों को सड़को पर देखना चाहती है, और हम भी अब मजबूर है।
सवाल : कंप्यूटर शिक्षकों की एक स्कूल में क्या भूमिका है ?
जवाब : स्कूलों मे 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को आईटी पढ़ाने के अलावा और स्कूल का सभी ऑनलाइन काम कंप्यूटर शिक्षक करते है, स्कॉलरशिप फॉर्म्स भरना, पे बनाना, सरकारी डाक बनाना इत्यादि। इसके अलावा अन्य टेक्नोलॉजी से जुड़े सभी कार्य भी हम ही करते है।
सवाल : क्या प्रदेश के बड़े कर्मचारी संगठन आपके इस संघर्ष में आपका साथ दे रहे है ?
जवाब : जी हाँ बिलकुल खुद सीएम साहब के करीबी और हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ के अध्यक्ष केसर सिंह जी हमारे साथ है। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने भी हमारी मांग का समर्थन किया है। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र जी ने भी बार-बार हमारी मांग उठाई है।
सवाल : हिमाचल प्रदेश में कर्मचारी नेताओं को लेकर ये धारणा बनी हुई है कि कर्मचारी नेता कर्मचारियों की मांग उठाने से ज्यादा अपनी राजनीति चमकाने में विश्वास रखते है, क्या आपके इरादे भी कुछ ऐसे ही है ? क्या आप आने वाले समय में किसी राजनैतिक दल में शामिल होंगे ?
जवाब : प्रदेश के कुछ कर्मचारी नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए सैकड़ो की भीड़ का इस्तेमाल करते है और पैसा उगाई कर अपना फंड जमा किया जाता है ,जबकि मांग पूरी नहीं होती। असल में ऐसे लोग नहीं चाहते कि सरकारे उनकी उठाई मांग पूरा करे या कोई दूसरा मंच ऐसे कमजोर कर्मचारी वर्ग को मिले, क्यूंकि फिर उनके फण्ड खाली हो जाएंगे। मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं है। हम अपनी मांग पूरी करवाना चाहते है और कुछ नहीं।