जेसीसी की बैठक मात्र छलावा, कर्मचारी हितैषी नहीं सरकार : हर्षवर्धन सिंह चौहान | Himachal News
प्रदेश कांग्रेस में मुख्यमंत्री के दावेदारी को लेकर जंग छिड़ चुकी है। स्वर्गीय वीरभद्र के निधन के बाद कौन कांग्रेस की टीम को लीड करेगा यह बड़ा सवाल बना हुआ है। कांग्रेस लगातार जहाँ एकजुट होने की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ भाजपा कांग्रेस पर आए दिनों मुख्यमंत्री पद को लेकर तंज कस रही है. बीते दिनों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का बयान "कांग्रेस में 12 भावी मुख्यमंत्री है " भी खूब चर्चा में रहा। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी की क्या रणनीति है इसे लेकर सिरमौर के शिलाई निर्वाचन क्षेत्र के विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया चैयरमेन हर्षवर्धन सिंह चौहान से बात की। पेश है बातचीत के कुछ अंश
सवाल- इन उपचुनावों में मिली जीत के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर क्या रणनीति है ?
जवाब- देखिये यह जो उपचुनाव के नतीजे रहे है यह भाजपा को जनता ने एक ट्रेलर दिया है, अभी पिक्चर बाकी है। मुख्यमंत्री जी हर मंच से कहते है 'मेरा गणित ठीक नहीं है' और वो सही कहते है उनका गणित सही में बहुत कमजोर है। भाजपा उपचुनाव में हार के अंतर को एक फीसदी बता रही है, जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा करीब 5 फीसदी के अंतर से चुनाव हारी है। जुब्बल-कोटखाई में भाजपा प्रत्याशी को करीब ढाई हजार वोट मिले और जमानत भी जब्त हो गई। कांग्रेस 3 विधानसभा सीटें जीतने के साथ मंडी संसदीय क्षेत्र का चुनाव ही नहीं जीती, बल्कि 17 में से 9 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त लेने में भी कामयाब रही। सीएम साहब कह रहे है कि 2022 में भाजपा ही सत्ता का फाइनल जीतेगी पर मैं बता दूँ की फाइनल में जाने के लिए पहले सेमीफाइनल जीतना होता है। कांग्रेस बहुत मजबूत पार्टी है और 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर संयुक्त रूप से सभी नेता काम करेंगे। भाजपा की जनविरोधी नीतियों के बारे में हम लोगों को बताएंगे और इसके लिए प्रत्येक गांव का दौरा करेंगे। आज बेरोजगारी अहम मुद्दा है, महंगाई से जनता परेशान है, किसान-बागवान चिंतित है और भी बहुत से ऐसे मुद्दे है जिसका समाधान सरकार ने नहीं किया है। इन मुद्दों को हम अपने घोषणा पत्र में रखेंगे और सरकार बनने पर इन्हें पूरा भी करेंगे।
सवाल- मुख्यमंत्री कहते है की कांग्रेस में 12 भावी मुख्यमंत्री है इसपर आप क्या कहेंगे ?
जवाब- मुख्यमंत्री एक तरफ तो ये कहते है कि कांग्रेस के पास लीडर नहीं है और दूसरी तरफ कहते है कि कांग्रेस पार्टी के पास 12 भावी मुख्यमंत्री है, इससे यह स्पष्ट होता है की मुख्यमंत्री भी मानते है कि हम जो 12 लोग है हमारा स्टेटस मुख्यमंत्री वाला है। जब जयराम ठाकुर पांच बार के विधायक मुख्यमंत्री बन सकते है तो पांच बार का विधायक हर्षवर्धन चौहान मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता और आशा कुमारी जो छह बार की एमएलए है वो क्यों मुख्यमंत्री नहीं बन सकती। ठाकुर रामलाल जी पांच बार के विधायक है, मुकेश अग्निहोत्री और सुधीर शर्मा सहित और भी भावी शख्सियत है जिनमें काबिलियत है, मुख्यमंत्री अपने ही बयानों पर नहीं टिकते और फिजूल की बयानबाजी करना उनकी आदत बन गई है।
सवाल - कर्मचारी सरकार से नाराज़ है लेकिन कांग्रेस भी कर्मचारियों का साथ देती नज़र नहीं आ रही, ऐसा क्यों ?
जवाब- कांग्रेस सत्ता में नहीं है लेकिन कांग्रेस पार्टी कर्मचारी हितेषी पार्टी है और कर्मचारियों के जायज मांगों के लिए हमेशा आवाज़ उठती रही है। देखिए जेसीसी की बैठक में की घोषणाएं केवल छलावा है कर्मचारियों को अब छठा वेतन आयोग दिया है, जबकि पंजाब में यह 6 माह पूर्व दिया जा चुका है। यह वेतन आयोग वर्ष 2016 से देय था लेकिन उपचुनाव में चारों सीटें हारने के बाद अब सरकार को वेतनमान देने की याद आई। अनुबंध काल को 2 वर्ष कर सरकार ने कोई बड़ा काम नहीं किया है। वर्ष 2017 में हुए विस चुनाव में यह भाजपा के घोषणा पत्र में था लेकिन इसे लागू करने में भी 4 वर्ष लग गए। सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर कोई पॉलिसी नहीं बनाई। पुरानी पेंशन को लेकर जेसीसी की बैठक में कोई निर्णय नहीं हुआ। इस बैठक से केवल अराजकता पैदा हुई। सरकार जेबीटी प्रशिक्षुओं के हितों की रक्षा करने में विफल रही है। प्रदेश में हालत यह हो गई है कि भाजपा की विचारधारा वाले भारतीय मजदूर संघ भी अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर गए हैं। शिमला में प्रदर्शन कर रहे भामसं के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज तक किया गया। एचआरटीसी में पीस मील कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हुए हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपनी ही सरकार की शिक्षा नीति के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। अब इन बातों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस सरकार में जब अपने ही लोगों के काम नहीं हो रहे तो आम आदमी की क्या स्थिति होगी।
सवाल- गिरिपार क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति क्षेत्र घोषित करने का मुद्दा आजतक पूर्ण नहीं हुआ है, जबकि हर चुनाव में यह एजेंडा रहा है, इस पर आपकी क्या राय है ?
जवाब- पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्र के भाजपा नेताओं ने जिले में कई जनसभाओं में छाती ठोक कर कहा था कि शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी को जिताने पर तथा केंद्र में उनकी सरकार बनते ही इस क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित कर दिया जाएगा। केंद्र में भाजपा की सरकार है और हिमाचल में भी भाजपा सरकार है। लिहाजा लोगों को उम्मीद थी की अब दोनों सरकारों के बीच तालमेल बैठेगा और मुद्दा सिरे चढ़ेगा। निश्चित तौर पर यह जो मांग है यह जायज है और इसे करना तो भारत सरकार ने ही है। आज केंद्र और हिमाचल में भी भाजपा की सरकार है। भाजपा की स्पष्ट बहुमत की सरकार है। इस वक़्त इनके पास इस मांग को पूर्ण करवाने का मौका है, इससे अच्छा समय भाजपा के लिए नहीं हो सकता। सुरेश कश्यप जी सांसद है और क्षेत्रवासियों को इनसे उम्मीद है कि इस और यह काम करेंगे।
सवाल- इन दिनों सवर्ण आयोग गठन का मुद्दा गरमाया हुआ है आपकी क्या राय है, क्या आयोग का गठन होना चाहिए?
जवाब - मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि हर वर्ग, जाति और नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, हम स्वतंत्र भारत के नागरिक है। सरकार को चाहिए कि स्पष्ट और पारदर्शिता से उनसे बात करें और कोई हल निकाले और सरकार भी अपना तर्क रखे।
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