न सरकार सीरियस और न हेल्थ मिनिस्टर : विनोद सुल्तानपुरी
कसौली निर्वाचन क्षेत्र से बीते दो चुनाव में डॉ राजीव सैजल को कड़ी टक्कर देने वाले कांग्रेस के युवा नेता विनोद सुलतानपुरी अभी से 2022 के लिए चार्ज दिख रहे है। माना जाता है कि कांग्रेस का भीतरघात पिछले चुनाव में उन पर भारी पड़ा था। 2012 में सुल्तानपुरी महज 24 वोट से हारे तो 2017 में अंतर 442 वोट का रहा। इन दोनों ही मौकों पर कांग्रेस की अंतर्कलह डॉ राजीव सैजल के लिए संजीवनी सिद्ध हुई। पर 2022 के लिए सुल्तानपुरी अभी से सक्रिय भी है और निरंतर लोगों के बीच भी। साथ ही कांग्रेस में उनके विरोधी खेमे का दमखम भी अब पहले जैसा नहीं दिख रहा। सुल्तानपुरी प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री व बीते दो चुनाव में उन्हें शिकस्त देने वाले डॉ राजीव सैजल के खिलाफ भी आक्रमक दिख रहे है। आगामी उपचुनाव, कसौली में कांग्रेस की स्थिति और पार्टी संगठन जैसे कई मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने विनोद सुल्तानपुरी से खास चर्चा की, पेश है इस चर्चा के मुख्य अंश
सवाल - आप कांग्रेस के महासचिव है और कुछ समय में उपचुनाव होने है, कांग्रेस इन उपचुनाव के लिए कितनी तैयार है ?
जवाब - मैं मानता हूँ कि कांग्रेस यह चारों उपचुनाव जीतने वाली है और भाजपा भी ये बात जानती है। इसी भय से सरकार ने ये उपचुनाव स्थगित किये है। एक तरह से आप देखे तो हमारे मंडी संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभा क्षेत्र आते है और 3 विधानसभा क्षेत्रों में भी उपचुनाव होने है। इन 20 विधानसभा क्षेत्रों के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में तय थे, ऐसे में सरकार ने निश्चित हार टालने के लिए चुनाव टाल दिए। पर जब भी चुनाव होंगे कांग्रेस की जीत तय है। जनता इस सरकार से तंग आ चुकी है और इस सरकार की विदाई का मन बना चुकी है।
सवाल - आप कसौली विधानसभा क्षेत्र से आते है और स्वास्थ्य मंत्री भी वहीं से आते है तो आपके विधानसभा क्षेत्र में विकास की क्या गति है?
जवाब - बेहतर होगा कि आप वहां आकर देखे की किस दुर्गति में हमारा कसौली चुनाव क्षेत्र है। आज भी कई स्थानों तक पहुंचने के लिए ढाई - ढाई घंटे चलना पड़ता है। मसलन एक गावं है ओढ़ा, उस गावं तक पहुंचे के लिए ढ़ाई घंटे लगते है। अगर वहां पर कोई बीमार होता है तो मुझे नहीं लगता कि वह हॉस्पिटल तक पहुंच पाएगा और अगर हॉस्पिटल पहुंच भी जाए तो हमारे हॉस्पिटल का तो काम ही है रेफेर करना है। दूसरा हमारे विधानसभा क्षेत्र में, हमारे जो वर्किंग डॉक्टर्स है वो भी फिक्स्ड हॉस्पिटल में नहीं है, डॉक्टर 2 दिन एक हॉस्पिटल में रहता है 2 दिन दूसरे हॉस्पिटल में रहता है। सिर्फ और सिर्फ अव्यवस्था हावी है। हाल ही में गुनाई में एक हादसा हुआ और घायलों को तुरंत धर्मपुर हॉस्पिटल पहुंचाया गया और वहां से उन्हें रेफेर कर दिया गया। रेफेर करके उन्हें शिमला भेजा गया, और गेट पर पहुंचते - पहुंचते एक मरीज ने दम तोड़ दिया। अभी हमारे गांव के हॉस्पिटल सुल्तानपुर में 2 दिन डॉक्टर आता है 3 दिन डॉक्टर नहीं आता है। जहां पर ओपीडी 150 की थी वहां पर आज ओपीडी 10-15 पर आ गई है। स्पष्ट है कि यह सरकार सीरियस नहीं है और न ही हेल्थ मिनिस्टर सीरियस है।
सवाल - ग्रासरूट लेवल की बात करें तो भाजपा का संगठन ज्यादा सक्रिय है। आप युवा नेता है, यदि हम भारतीय जनता युवा मोर्चा और युवा कांग्रेस को देखे तो कहीं न कहीं भारतीय जनता युवा मोर्चा सक्रिय दिखता है।
जवाब - ऐसा नहीं है, युवा कांग्रेस के लोग बहुत मेहनत कर रहे है और बाकि पार्टी के लोग क्या कर रहे है हमे उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। हाँ, अगर उनके लीडर के बारे में कोई बात करता है तो सामने आ कर उनके लिए जरूर प्रोटेस्ट करते है। मैंने युवा कांग्रेस में खुद काम किया है और युवा कांग्रेस सोशल वर्क करने में अपना विश्वास रखती है और जमीनी स्तर पर काम करती है। जहां कॉलेज के मुद्दों की बात आती है, जहां पर फीस वृद्धि की बात आती है, युवा कांग्रेस और एनएसयूआई ने हमेशा युवाओं और छात्रों के मुद्दों को आगे रखा है।
सवाल - वीरभद्र सिंह थे तो नेतृत्व की कमी कभी नहीं दिखी, लेकिन अब वह नहीं है। तो ऐसे में उनके बाद मुख्यमंत्री का अगला चेहरा कौन हो सकता है ? विनोद सुल्तानपुरी निजी तौर पर किसे उनकी जगह लेने के ज्यादा काबिल मानते है ?
जवाब - हमे दुख है कि एक बहुत बड़े लीडर हमारे बीच में नहीं है। निसंदेह उनकी कमी हमेशा खलेगी। पर जो विधि का विधान है उसमे हमेशा कोई न कोई आगे निकल कर आता है। पंजाब में आप देखेंगे कि चन्नी जी को मुख्यमंत्री बनाया गया है, उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा की वह मुख्यमंत्री बनेंगे। इस तरह से कांग्रेस पार्टी में हर आदमी, हर आम कार्यकर्ता महत्वपूर्ण है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पार्टी है। सब काबिल है और सबको तय वक्त और मौके के हिसाब से ज़िम्मेदारी मिलती है। पार्टी में कई वरिष्ठ नेता है जिनके मार्गदर्शन में चुनाव लड़ा जायेगा और पार्टी आलकमान ही मुख्यमंत्री तय करेगा।
कई नेताओं की हसरत मन में ही रह गई
1977 से अस्तित्व में आया कसौली निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में से है जो हमेशा आरक्षित रहे है। ऐसे में कई कद्दावर नेताओं की विधायक-मंत्री बनने की हसरत कभी पूरी नहीं हुई। कुछ की उम्र संगठन की सेवा में बीत गई, तो कुछ को सत्ता सुख के नाम पर बोर्ड - निगमों में एडजस्ट कर दिया गया। ऐसे में माना जाता है कि सामान्य वर्ग के आने वाले कई नेताओं ने कई मौकों पर अपनी पार्टी प्रत्याशी की राह में ही कांटे डाले ताकि उनकी कुव्वत बनी रहे।