जसवां-परागपुर : संजय पराशर ने पेड़ से गिरी महिला के उपचार के लिए उपलब्ध करवाई आर्थिक सहायता
सामाजिक मूल्यों के साथ निरंतर जनसेवा कर रहे समाजसेवी, नेशनल शिपिंग बोर्ड के सदस्य और वीआर मेरीटाइम कंपनी के प्रबंध निदेशक कैप्टन संजय पराशर ने मानवीय संवदेनाओं की एक और मिसाल पेश की है। पिछले सप्ताह शुक्रवार को जसवां-परागपुर क्षेत्र की परागपुर पंचायत के गढ़ गांव में बिजली के करंट से पेड़ से गिरी एक महिला के उपचार में न सिर्फ आर्थिक सहायता की है, बल्कि इलाज में कोई परेशानी न हो, इसके लिए अपनी एक टीम भी टांडा मेडीकल कॉलेज में भेज दी। पराशर के आग्रह पर टीएमसी प्रशासन ने भी महिला के उपचार में यथायोग्य सहयोग दिया है। परागपुर पंचायत के गढ़ गांव की महिला आशा देवी गत शुक्रवार को पशुओं के लिए चारा काटने के लिए पेड़ पर चढ़ी थी, लेकिन पेड़ के साथ बिजली की तारें होने से करंट लगने से वह गिर गई। उसे गंभीर चोटें आईं और स्वजन उसे पहले देहरा अस्पताल ले गए, लेकिन चिकित्सकों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए टीएमसी के लिए रेफर कर दिया गया। उधर, हादसा होने के बाद गांव के ही एक व्यक्ति ने पराशर के वाट्सएप पर एक संदेश भेजा कि गढ़ गांव के गरीब परिवार की महिला के साथ यह दुर्घटना हुई है। साथ में गुजारिश भी की कि पराशर को उक्त महिला के इलाज में मदद करनी चाहिए। इस संदेश के बाद पराशर ने तत्काल संदेश में बताए गए नंबर पर संपर्क किया तो महिला की बेटी ने बताया कि उन्हें उपचार के लिए पैसे की जरूरत है। ऐसे में पराशर ने अपनी एक टीम टांडा मेडीकल कॉलेज के लिए रवाना कर दी। चिकित्सकों से महिला के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली गई और स्वजनों से अब तक हुए खर्च के बारे में पूछा गया। बुधवार तक हुए दवाईयों के सारे खर्च का जिम्मा पराशर ने उठा लिया और महिला के खाते में उक्त राशि जमा करवा दी गई। पराशर के आग्रह पर टीएमसी प्रबंधन ने भी गरीब महिला के उपचार के लिए तीन हजार रूपए की सहयोग राशि दी है। महिला की हालत स्थिर बनी हुई है और उसका आपरेशन होना है। महिला की बेटी मंजू बाला ने बताया कि वह बेहद गरीब परिवार से संबंध रखती हैं। खेतीबाड़ी से ही परिवार का गुजारा चलता है। मां के उपचार में दिक्कत आने वाली थी, लेकिन कैप्टन संजय पराशर ने समय पर उनकी आर्थिक मदद कर दी और उनकी टीम ने खुद अस्पताल में आकर हौसला बढ़ाया। बताया कि इस भाव से की गई सहायता का उनका परिवार पराशर का आभारी रहेगा। वहीं, पराशर का कहना था कि ऐसी प्रतिकूल स्थिति में गरीब परिवार की मदद करना सबका नैतिक दायित्व भी बनता है।